आकिल हुसैन। Twocircles.net
कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं जिसने इंसानियत और मानवता को जिंदा रखा है। राजस्थान के उदयपुर में एक मुस्लिम युवक ने अपना रोज़ा तोड़कर कोरोना मरीज़ को प्लाज्मा दान किया हैं। उदयपुर के अकील मंसूरी ने अपना रोज़ा तोड़ दिया जिससे वो कोरोना से संक्रमित मरीज को प्लाज्मा दान करके उसका जीवन बचा सके। अकील के इस काम की हर तरफ़ चर्चा और तारीफ़ हो रहीं हैं।
उदयपुर के पेसिफिक हॉस्पिटल में 36 वर्षीय निर्मला चार दिन से और ऋषभदेव निवासी 30 वर्षीय अलका दो दिन से भर्ती थी। दोनों महिलाओं को ऑक्सीजन पर रखा हुआ था। दोनों का ब्लड ग्रुप ए-पॉजिटिव था। दोनों को प्लाज्मा की जरूरत पड़ी। डाक्टरों ने मरीजों के परिजनों से प्लाज्मा का इंतजाम करने को कहा। परिजनों द्वारा काफ़ी कोशिश करने के बाद भी प्लाज़मा का इंतजाम नहीं हो सका।
एक ब्लड डोनर ग्रुप रक्तदाता युवा वाहिनी के जरिए अकील मंसूरी को जानकारी मिली की दो कोरोना से संक्रमित महिलाओं को ब्लड ग्रुप ए- पाज़िटिव प्लाज़मा की जरूरत है। अकील ने प्लाज्मा दान करने का फैसला किया और रोज़े की हालत में अस्पताल पहुंच गए। लेकिन डॉक्टरों ने अकील से कहा कि वे खाली पेट प्लाज्मा नहीं ले सकते। जिसके बाद अकील ने बिना हिचकिचाहट के प्लाज्मा दान करने को रोज़ा तोड़ दिया। डाक्टरों ने उनका एंटी एंटीबॉडी टेस्ट करते हुए उनका प्लाज्मा लिया फिर दोनों महिलाओं को प्लाज्मा चढ़ाया गया।
प्लाज्मा दान करते हुए अकील मंसूरी ने कहा कि किसी की सेवा करना भी अल्लाह की बड़ी इबादत है। अकील ने कहा उनका जीवन किसी का जीवन बचाने के काम आ रहा है, इससे बड़ा क्या धर्म होगा। अकील ने कहा मानवता से बड़ा काेई धर्म नहीं हाेता। अकील मंसूरी ने कहा कि एक इंसान के तौर पर उन्होंने अपनी जिम्मेदारी पूरी की। अकील मंसूरी ने प्लाज्मा डोनेट करने के बाद उन्होंने दोनों महिलाओं के जल्द ठीक होने की भी प्रार्थना की और साथ ही कोरोना संक्रमण से ठीक हुए सभी लोगों से अपील की है कि वो जरूरतमंद लोगों को प्लाज्मा जरूर डोनेट करें।
32 वर्षीय अकील मंसूरी उदयपुर के रहने वाले हैं जो पेशे से एक सिविल कॉन्ट्रैक्टर हैं। अकील समाजसेवा के कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते रहते हैं। अकील लगभग 17 बार रक्तदान कर चुके हैं। अकील सितंबर 2020 में कोरोना से ठीक होकर तीन बार प्लाज्मा भी डोनेट कर चुके हैं।