स्टाफ रिपोर्टर।Twocircles.net
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अभी 100 दिन पूरे होने की कामयाबी का जश्न मना रही थी कि चार महीने की इस अवधि में एक अप्रत्याशित घटनाक्रम हो गया है। सरकार में शामिल हस्तिनापुर से बीजेपी विधायक दिनेश खटीक ने कई गंभीर आरोपों को लगाने के बाद मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है दिनेश खटीक ने गृह मंत्री अमित शाह को भेजे गए पत्र में लिखा है कि दलित समाज का राज्य मंत्री होने के कारण उनके किसी भी आदेश पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती है और न ही उन्हें किसी बैठक की सूचना दी जाती है और न ही विभाग में कौन-कौन सी योजनाएं वर्तमान में संचालित है तथा उस पर क्या कार्यवाही हो रही है इसकी कोई सूचना उन्हें दी जा रही है ! सम्बंधित विभाग के अधिकारी राज्य मंत्री को केवल विभाग द्वारा गाड़ी उपलब्ध करा देना ही राज्य मंत्री का अधिकार समझते हैं और इतने से ही राज्य मंत्री के कर्त्तव्यों का निर्वहन हो जाना समझते हैं। वो इससे आहत है और त्यागपत्र दे रहे हैं।
यही नही दिनेश खटीक से इससे भी आगे बढ़कर एक और गंभीर आरोप जड़ दिया है दिनेश खटीक ने इस्तीफ़ा सौंपते हुए लिखा है कि उनके विभाग में स्थानांतरण सत्र में बहुत बड़ा भ्रष्टाचार किया गया है। उनके संज्ञान में आने पर इस विभाग में स्थानांतरण सत्र 2022-23 में किये गये अधिकारियों के स्थानांतरण से सम्बंधित सूचना उनके द्वारा मांगी गयी तो उन्हें नहीं दी गयी । कई दिनों के बाद विभागाध्यक्ष से दूरभाष पर वार्ता करके सूचना देने हेतु कहा गया तब भी उन्होंने आज तक सूचना उपलब्ध नहीं करायी है। यहां तक कि प्रमुख सचिव सिंचाई अनिल गर्ग को उक्त स्थिति से अवगत कराना चाहा तो उन्होंने बिना पूरी बात सुने बिना ही टेलीफोन काट दिये और मेरी बात को अनुसुना कर दिया जो एक जनप्रतिनिधि का बहुत बड़ा अपमान है।
दिनेश खटीक का कहना है कि उनके साथ ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि वो एक दलित जाति का मंत्री है इसीलिये विभाग में उनके साथ बहुत ज्यादा भेदभाव किया जा रहा है। विभाग में अभी तक उन्हें कोई अधिकार नहीं दिया गया है इसलिये उनके पत्रों का जवाब नहीं दिया जाता है। उनके द्वारा लिखे गये पत्रों पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती है। मंत्री दिनेश खटीक के अनुसार विभाग में नामामि गंगे योजना के अन्दर भी बहुत बड़ा भ्रष्टाचार फैला हुआ है जो ग्राउण्ड पर जाने पर पता चलता है और जब वो कोई शिकायत किसी भी अधिकारी के विरूद्ध करते है तो उस पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती है। उत्तर प्रदेश में सरकार के अन्दर अधिकारीगण दलितों का अपमान कर रहे है। दिनेश खटीक ने लिखा है कि विभाग में दलित समाज के राज्य मंत्री का विभाग में कोई अस्तित्व नहीं है तो फिर ऐसी स्थिति में राज्य मंत्री के रूप में उनका कार्य करना बेकार है। इन्हीं वो सब बातों से आहत होकर वो अपने पद से त्यागपत्र दे रहे है।
जहाँ मंत्री होने का सम्मान तो नहीं परंतु दलित होने का अपमान मिले… ऐसी भेदभावपूर्ण भाजपा सरकार से त्यागपत्र देना ही अपने समाज का मान रखने के लिए यथोचित उपाय है।
कभी-कभी बुलडोज़र उल्टा भी चलता है।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) July 20, 2022
उत्तर प्रदेश सरकार में तबादलो को लेकर पिछले कुछ समय से उथल-पुथल मची हुई है। इससे पहले डिप्टी सीएम बृजेश पाठक के पोर्टफोलियो वाले स्वास्थ्य विभाग और जितिन प्रसाद के लोकनिर्माण विभाग में भी कई अधिकारियों पर गाज गिर चुकी है। हालांकि यूपी सरकार में इस तरह के गम्भीर आरोपों के बीच यह पहला इस्तीफा है। दिनेश खटीक को इससे पहले की सरकार में अंतिम मंत्रिमंडल विस्तार में शामिल किया गया था। दिनेश खटीक जिस जल शक्ति मंत्रालय में राज्यमंत्री थे उस विभाग के कैबिनेट मंत्री स्वंतत्र देव सिंह है। स्वतंत्र देव सिंह को सरकार में काफी मजबूत माना जाता है। दिनेश खटीक हस्तिनापुर से दूसरी बार विधायक निर्वाचित हुए हैं।
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि जहाँ मंत्री होने का सम्मान तो नहीं परंतु दलित होने का अपमान मिले ऐसी भेदभावपूर्ण भाजपा सरकार से त्यागपत्र देना ही अपने समाज का मान रखने के लिए यथोचित उपाय है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि यह एक गंभीर चिंतन का विषय है।