आकिल हुसैन।Twocircles.net
आज़मगढ़ की निज़ामाबाद विधानसभा से समाजवादी पार्टी के नेता 86 वर्षीय आलम बदी चुनाव जीत गए हैं। आलम बदी उत्तर प्रदेश के सबसे ईमानदार नेतागणों में जाने जाते हैं। उन्होंने भाजपा के मनोज यादव को 35 हजार से अधिक मतों से हराया है। आलम बदी यहां से पांचवी बार विद्यायक चुने गए हैं।
पूर्वांचल में बाहुबल और धनबल की राजनीति के बीच उन्हें किसी बाहुबल और धनबल के बल पर नहीं बल्कि अपनी सादगी और सच्चाई के बल पर जाना जाता है। अपनी सादगी और ईमानदारी के बल पर वो लोगों के दिलों पर राज करते हैं। इसलिए एक बार फिर आलम बदी इसी सीट से चुनावी मैदान में थे आज वो पांचवी बार विधायक चुने गए हैं।
आजमगढ की निज़ामाबाद विधानसभा पूर्वांचल की हाट सीटों में से एक है। इसके अलावा निज़ामाबाद विधानसभा धार्मिक मान्यताओं के लिए भी मशहूर है। यहां पर सूफी संत निजाम-उद-दिन का मकबरा है, इसके साथ ही यहां के गुरुद्वारा में गुरु नानक देव रुके थे जिसके चलते यह सिख और मुस्लिम समाज के लिए धार्मिक तौर पर एक ख़ास स्थान माना जाता है। इन सबके अलावा निज़ामाबाद आधुनिक युग के प्रसिद्ध कवि अयोध्या सिंह हरिऔध की जन्मभूमि भी है।
निज़ामाबाद से पांचवीं बार समाजवादी पार्टी से विधायक चुने गए 86 वर्षीय आलम बदी इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुके हैं। वह एक मैकेनिकल इंजीनियर हैं। पढ़ाई पूरी करने के बाद शुरुआत में उन्होंने गोरखपुर में नौकरी भी की है, लेकिन जवाहर लाल नेहरू, सुभाष चंद्र बोस और महात्मा गांधी से प्रेरणा लेकर वह समाजसेवा करने लग गए।
आलम बदी ने अपना पहला चुनाव 1996 मे समाजवादी पार्टी के टिकट पर निज़ामाबाद विधानसभा से जीता था। 2002 में आलमबदी फिर से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ें और जीते भी। 2007 में आलमबदी बसपा के बाहुबली अंगद यादव से चुनाव हार गए थे। 2012 के विधानसभा चुनाव में आलमबदी ने फिर से एक बार सपा के टिकट पर चुनाव जीता और 2017 में भी अपनी जीत को बरकरार रखा।
आलमबदी के परिवार में पत्नी के अलावा उनके 6 बेटे हैं, जिसमें से 3 बेटे रोज़गार के लिए बाहर हैं। बाकि एक बेटा प्राइवेट नौकरी करता है और दूसरा बेटा फर्नीचर की एक छोटी सी दुकान चलाता है। इसके अलावा उनका सबसे छोटा बेटा उन्हीं का साथ एक पीए की तरह रहता है और काम-काज में उनकी मदद करता है।
विधायक आलम बदी जिस घर में रहते हैं वो एक सामान्य पुराने घर की तरह है जिसमें बाहर के एक हिस्से में टीन शेड पड़ा हुआ है जहां पर वे आए हुए लोगों से मुलाकात करते हैं। आलमबदी के बारे में बताया जाता है कि कई बार तो वह खुद ही अपने घर की झाड़ू भी लगा दिया करते हैं। आलम बदी के घर पर कोई नौकर भी नहीं हैं, सब काम उनके बेटे और पोते ही करते हैं।
आलम बदी का हाव भाव एकदम सादगी भरा है, बेहद सस्ते कपड़े का कुर्ता पायजामा, मामूली चप्पल, कान में छोटी सी सुनने की मशीन, हाथ में महज 1200 रूपये का मोबाइल फोन। आलम बदी में सादगी इतनी कि वह बिना लाव लश्कर के अपने विधानसभा क्षेत्र में घूमते हैं कहीं भी किसी चाय की दुकान पर बैठ जाते हैं लोगों से गप्पे लड़ाते हैं और उनकी समस्या सुनते हैं।
जहां आज एक ओर नेता बड़ी बड़ी गाड़ियों के काफिले के साथ चलते हैं वहीं आलमबदी अधिकतर यूपी रोडवेज की बस में ही सफर करते हैं, लखनऊ विधानसभा में भाग लेने के लिए भी वे रोडवेज बस से ही लखनऊ जातें हैं। आलम बदी उन लोगों में से हैं जो आज भी क्षेत्र में पैदल घूमते और चलते हैं। आलम बदी के पास चार पहिया गाड़ी के नाम पर एक सेकेंड हैंड बोलेरो गाड़ी हैं। चार बार के विधायक आलम बदी की सादगी का अंदाजा इसी बात से चलता है कि वह अपने साथ कार्यकर्ताओं का झुंड रखना बिल्कुल पसंद नहीं करते हैं।
चुनाव में जहां एक ओर नेता करोड़ों रुपए खर्च करते हैं वहीं आलम बदी चुनाव जीतने के लिए पैसों का सहारा नहीं लेते हैं। इस बार का अंदाजा यही से लगाया जा सकता है कि 2012 के चुनाव में आलम बदी ने मात्र 2 लाख रुपए खर्च किया था। आलम बदी कभी अपने प्रचार में पोस्टर और बैनर का इस्तेमाल नहीं करते हैं। आलमबदी रोज़ सुबह 9 बजे घर से निकल जाते हैं और शाम 5 बजे तक लोगों के ही बीच रहते हैं। उनका यही अंदाज उन्हें और नेताओं से अलग करता है। आलम बदी विधायक निधि का पूरा पैसा जनता की सेवा में लगा देते हैं। विधायक आलम बदी के बारे में एक बात और मशहूर है कि वे विधायक निधि से जो काम करवाते हैं, अपनी आंखों के सामने खड़े होकर करवाते हैं और विधायक निधि के कामों का पाई पाई का हिसाब रखते हैं।
विधायक आलम बदी सपा सरकार में कई बार मंत्री पद को ठुकरा चुके हैं। आलम बदी के बारे में उनकी ईमानदारी के साथ ही सभी धर्म और जातियों के लिए बराबर काम करने के किस्से भी हैं। आलम बदी ने अपने इसी कार्यकाल में निज़ामाबाद क्षेत्र के शहीदों के नाम पर 4 बड़े द्वार बनवाये हैं, जिसमें एक भी मुस्लिम नहीं हैं। आलम बदी का मानना है कि इन सबसे आने वाली पीढ़ी को प्रेरणा मिलेगी।
यूपी के पूर्वांचल की बात हो और धनबल, बाहुबल और अपराध का जिक्र न हो तो मानो की चर्चा अधूरी है। लेकिन निजामाबाद विधानसभा एक बड़ा अपवाद बना हुआ है। निज़ामाबाद में बेहद साधारण जीवन जीने वाले नेता आलमबदी सभी समीकरणों को ध्वस्त कर देते है। समाजवादी पार्टी के सबसे ईमानदार नेता आलमबदी सभी सियासी समीकरणों और आरोपों को अपनी सादगी से तोड़ देते हैं। आलम बदी की सादगी और सहजता की तारीफे उनके राजनैतिक विरोधी तक करते हैं।