बजट में कटौती से अल्पसंख्यक समुदाय में निराशा

आकिल हुसैन। Twocircles.net


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मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी बजट अल्पसंख्यकों के लिए मायूसी लेकर आया। पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष अल्पसंख्यक मंत्रालय के बजट में लगभग 1923 करोड़ रुपए की कटौती हुईं हैं। वर्ष 2023-2024 के लिए अल्पसंख्यक मंत्रालय के खाते में 3097 करोड़ रुपए आए हैं। इससे पहले केन्द्र सरकार ने अल्पसंख्यक छात्रों को दी जाने वाली कई स्कॉलरशिप को बंद कर दिया था जिसके बाद यह उम्मीद लगाईं जा रही थी कि इस बजट में सरकार अल्पसंख्यक छात्रों के लिए कुछ नए स्कीम की घोषणा करेगी। लोगों ने सरकार पर बजट में अल्पसंख्यकों की अनदेखी करने का आरोप लगाया है।

बुधवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार के इस कार्यकाल का आखिरी बजट पेश किया। अल्पसंख्यक मंत्रालय के बजट में लगभग 38% की कटौती हुईं हैं। पिछले वर्ष 2022 में जहां अल्पसंख्यक मंत्रालय को 5020 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे वहीं इस वर्ष 3097 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। वहीं वर्ष 2021 में अल्पसंख्यक मंत्रालय के बजट की राशि लगभग 4300 करोड़ रुपए थी। वर्ष 2021 की तुलना में वर्ष 2022 में लगभग 650 करोड़ रुपए अल्पसंख्यक मंत्रालय को ज़्यादा आवंटित हुए थे।

बजट में अल्पसंख्यकों के शिक्षा सशक्तिकरण में भी भारी कटौती हुईं हैं। इस वर्ष अल्पसंख्यकों की शिक्षा सशक्तिकरण के लिए मात्र 1,689 करोड़ रुपए आवंटित हुए हैं। वर्ष 2022 में इसके लिए 2,515 करोड़ रुपए आवंटित हुए थे। इस वर्ष शिक्षा सशक्तिकरण के बजट में में लगभग 826 करोड़ रुपए की कटौती हुईं हैं। वहीं वर्ष 2021 में अल्पसंख्यकों के शिक्षा सशक्तिकरण के लिए 2,249 करोड़ रुपए मिले थे।

अल्पसंख्यकों के लिए फ्री कोचिंग के लिए इस वर्ष सरकार ने मात्र 30 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 49 करोड़ रुपए कम आवंटित हुए हैं। वहीं 2021 में भी फ्री कोचिंग के लिए मात्र 37 करोड़ रुपए आवंटित हुए थे। इसके अलावा ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट अल्पसंख्यक छात्रों को दी जाने वाली स्कॉलरशिप में भी भारी कटौती हुईं हैं। वर्ष 2022 में इसके लिए सरकार ने 365 करोड़ रुपए आवंटित किए थे, वहीं इस वर्ष मात्र 44 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष स्कॉलरशिप के फंड में 321 करोड़ रुपए की कटौती की गई है।

सरकार ने यूपीएससी की तैयारी के लिए अल्पसंख्यक छात्रों के लिए चलने वाली स्कीम बन्द कर दी गई है। इस वर्ष अल्पसंख्यकों के स्किल डेवलपमेंट के लिए सिर्फ दस लाख रुपये आवंटित हुए हैं। पिछले साल स्किल डेवलपमेंट का बजट 100 करोड़ रूपए का था। वहीं 2021 में यह बजट 268 करोड़ रुपए था। इसी तरह ‘नई मंज़िल’ योजना को भी सिर्फ 10 लाख का बजट दिया गया है।

मदरसों की एजूकेशन स्कीम के बजट पर भी सरकार ने कैंची चलाईं हैं। मदरसों को इस वर्ष मात्र 10 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। पिछले वर्ष मदरसा एजूकेशन स्कीम के लिए बजट 160 करोड़ रुपए था। इस वर्ष सरकार ने 150 करोड़ रुपए की कटौती की हैं। अल्पसंख्यकों के विकास के लिए अंब्रेला कार्यक्रम के लिए इस वर्ष 610 करोड़ रुपए बजट दिया गया है। पिछले वर्ष इसके लिए 1,810 करोड़ रुपए बजट दिया गया था। इस वर्ष लगभग 1200 करोड़ रुपए की कटौती की गई।

कुछ समय पहले ही केंद्र सरकार ने अल्पसंख्यक छात्रों को दी जाने वाली कई स्कीमों को बंद कर दिया है। जिसमें मुख्य तौर पर मौलाना आजाद फैलोशिप, पढ़ो प्रदेश योजना शामिल हैं। इन स्कॉलरशिप के अलावा केंद्र सरकार ने कक्षा 1 से कक्षा 8 तक के छात्रों को मिलने वाली प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप को खत्म करके इसे केवल कक्षा-9 और 10 के लिए सीमित कर दिया। इसके बाद से यह उम्मीद लगाईं थी कि सरकार इस बजट में अल्पसंख्यक छात्रों के लिए कुछ नई स्कॉलरशिप और स्कीम लेकर आएंगी।

सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास का दावा कर सत्ता में आने वालीं बीजेपी ने 2019 में एक करोड़ अल्पसंख्यक छात्रों को स्कॉलरशिप देने का वादा किया था। लेकिन यह स्कॉलरशिप मात्र 55 लाख छात्रों को ही मिली। आंकड़ों के मुताबिक 2006 से लेकर 2013 के बीच अल्पसंख्यक मंत्रालय की ओर से लगभग 80 लाख अल्पसंख्यक छात्रों को स्कॉलरशिप दी गई।

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अल्पसंख्यक मंत्रालय के बजट पर कटौती करने पर केंद्र सरकार को जमकर घेरा है। उन्होंने कहा हैं कि मोदी सरकार ने अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के बजट में 40 फीसदी की कटौती की है, शायद पीएम मोदी के हिसाब से गरीब अल्पसंख्यक बच्चों को सरकार के प्रयास की जरूरत नहीं है, सबका विकास जैसे नारे काफी हैं।

उर्दू डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन के डा सैयद अहमद ख़ान कहते हैं कि बजट में अल्पसंख्यकों के विकास और शिक्षा में की गई कटौती परेशान करने वाली है। सच्चर कमेटी की रिपोर्ट से यह जाहिर हो चुका है कि देश में मुसलमान सबसे ज़्यादा पिछड़े हुए हैं। आज के समय मुसलमानों की स्थिति और भी ज्यादा दयनीय हो गई है। इसके बावजूद उनकी तरक्की और कल्याण के लिए बजट में बढ़ोतरी के बजाय कमी की गई है। यूपीएससी की तैयारी के लिए अल्पसंख्यक छात्रों के लिए चलने वाली स्कीम बंद कर दी गई है।

केंद्र के अल्पसंख्यक मंत्रालय के बजट में 2014 के बाद से लगातार गिरावट देखी जा रही है। कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में 2013 तक अल्पसंख्यक मंत्रालय का बजट 3531 करोड़ रुपए था, लेकिन केंद्र में मोदी के काबिज़ होने के बाद से इसमें लगातार गिरावट आई है। एक ओर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक तरफ़ ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ की दिशा में काम करने का दावा करते हैं। वहीं दूसरी तरफ उनकी सरकार कभी अल्पसंख्यकों के बजट में कटौती करती है तो कभी अल्पसंख्यकों के हितों के लिए चलाईं जा रही योजनाओं को बंद करती है। सवाल उठता है कि क्या मोदी सरकार अल्पसंख्यकों की अनदेखी कर रही है या फिर यह सब अल्पसंख्यकों को दरकिनार करने की कोशिश हैं।

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