मुजफ्फरनगर में किसानों ने गाड़ दिया है बड़ा खूंटा, राकेश टिकैत ने किया महापंचायत का ऐलान

वसीम अहमद twocircles.net के लिए


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मुजफ्फरनगर में एक और किसान आंदोलन का आगाज़ समझे जा रहे किसानों के धरने को एक सप्ताह पूरा हो गया है। किसानों के बीच गहरी हलचल के साथ भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने अब 10 फरवरी को महापंचायत का आह्वान कर दिया है। इस महापंचायत के ऐलान के साथ ही स्थानीय प्रशासन में हलचल देखी जा रही है। यहां चर्चा है कि एक बहुत बड़े किसान आंदोलन की नींव रखी जा रही है। बता दें कि भारतीय किसान यूनियन ने यहां 27 फरवरी को दर्जनों तंबू गाड़ दिये थे। मुजफ्फरनगर के जीआईसी मैदान में अब इन तंबुओं की संख्या बढ़ती ही जा रही है, आसपास के दूसरे जनपदों के किसान भी यहां जुट रहे हैं।

किसानों के इस धरने के मुख्य रचियता किसान नेता राकेश टिकैत का कहना है कि आंदोलन के आधार में खेती किसानी से जुड़े मुद्दे है। उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों के साथ वादा खिलाफी की है वो किसान पैर पीछे नही खींचने वाले है, किसानों की समस्याओं का पूरा समाधान होने तक वो यहां ही रहेंगे। इसके बाद भी अगर आवश्यकता पड़ी तो इस आंदोलन को वो गाजीपुर बॉर्डर से भी लंबा चलाएंगे। 10 फरवरी को बुलाई जा रही महापंचायत के विषय मे राकेश टिकैत ने जानकारी देते हुए बताया कि किसानों की महापंचायत आपसी सलाह मशवरा और निर्णय लेने के लिए होती है। इस महापंचायत में सभी किसान मिलकर आगे की रणनीति तय करेंगे। राकेश टिकैत बजट में किसानों की अनदेखी करने की बात भी कह रहे हैं। वो कह रहे हैं कि इससे भाजपा सरकार की नीयत समझ मे आ रही है।

गौरतलब है कि मुजफ्फरनगर में भारतीय किसान यूनियन ने राजकीय इंटर काॅलेज के मैदान पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया है। यहां गन्ना बकाया भुगतान, आवारा पशु और किसानों की कई समस्याओं के समाधान की मांग को लेकर भाकियू ने अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू कर दिया है। आसपास के जनपदों से किसान भारी संख्या में यहां पहुंच रहे हैं। दिल्ली बॉर्डर पर हुए किसान आंदोलन की तर्ज पर ही धरने की कई मैनेजमेंट कमेटियों का गठन किया गया है। हर एक प्रकार की व्यवस्था के लिए व्यवस्थापक इंचार्ज किसान है। अलग अलग क्षेत्रों के किसानों को बारी बारी से जिम्मेदारी दी जा रही है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि आंदोलन को लंबा चलाने की तैयारी हो रही है। राकेश टिकैत तो धरने पर ही डटे हुए हैं मगर भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष और बालियान खाप के चौधरी नरेश टिकैत भी यहां नियमित तौर पर आ रहे हैं। यहां पहुंचे नरेश टिकैत ने गन्ना मूल्य न बढ़ाने पर उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार की आलोचना की है। नरेश टिकैत ने कहा है कि हरियाणा ने 10 रुपये बढ़ाये है, वो भी बहुत मामूली है, मगर यूपी की सरकार के कान पर जूं नही रेंग रही है। उन्होंने कहा कि अब किसान यहां बैठ गए हैं तो तंबू समस्या का समाधान होने तक नही उखाड़ेंगे।

इस आंदोलन की सबसे खास बात यह है कि राष्ट्रीय स्तर के मुद्दों के साथ साथ किसानों में स्थानीय मुद्दों को लेकर भी खासी हलचल है, जैसे ट्यूबवेल पर लगने वाला बिजली का मीटर किसानों के बीच मे काफ़ी नाराजगी पैदा करता है। इसको लेकर मुजफ्फरनगर और शामली जनपद के कई बिजलीघरों पर किसानों ने प्रदर्शन भी किया है मगर समाधान नही निकला है। इसलिए किसानों ने बड़ा खूंटा गाड़ दिया है। किसानों के कर्जा माफी के अलावा दिल्ली में आंदोलन के दौरान दर्ज किए गए मुकदमों को वापस लेने की मांग भी की जा रही है। मुजफ्फरनगर के जीआईसी मैदान पर मौजूद किसान सतेंद्र चौधरी कहते हैं कि यह सब किसानों की वास्तविक समस्या है। हम राजनीतिक मोहरे नही है,हम अपना अच्छा बुरा समझते हैं। अधिकारी बेलगाम है वो किसानों को मुकदमों की धमकी देते हैं और उनकी कोई सुनवाई नही कर रहे हैं। आवारा जानवर फसल बर्बाद कर रहे हैं। महंगाई का दौर है। किसान मजबूरी में यह धरना प्रदर्शन करता है।

मुजफ्फरनगर के इस धरने में एक सप्ताह पूरा होने के बाद अब यहां किसानों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। यहां किसान ट्रैक्टर ट्राॅली के साथ पहुंच रहे है । किसानों ने यहीं लिए झोपड़ी और भट्टी लगा ली है। हालांकि इस मजबूत तैयारी का संकेत पहले ही दे दिया गया था, धरने के तुरंत बाद यहां बारिश हो गई थी लेकिन किसान डटे रहे। युवा किसान मिंटू कहते हैं कि बारिश से उन पर कोई फर्क नही पड़ता है। यह आंदोलन जारी रहेगा। जब तक किसानों का बकाया गन्ना भुगतान नहीं होगा, गन्ना मूल्य बढ़ाकर घोषित नहीं होगा और आवारा पशुओं की समस्या का समाधान नही होगा यहां से कोई नही हिलेगा। जीआईसी के इस मैदान अब बिजनौर , मेरठ , बागपत और हरिद्वार के किसानों ने भी डेरे जमा लिए है। वो सिलसिलेवार ठहरने, सोने और टिकने को लेकर जिम्मेदारी में सहयोग कर रहे हैं। भोजन की जिम्मेदारी के सभी नौ ब्लाॅक की टीम को दी गयी है। हर ब्लाॅक की अलग भट्टी लगाई गयी है। किसानों और यूनियन पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं की रोजाना हाजिरी होती है। यह सब तैयारियां भविष्य की लंबी लड़ाई का संकेत देती है।

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