तेलंगाना में केसीआर की दलित बंधु योजना की देश भर में चर्चा है। केसीआर अपनी इस योजना को खूब प्रचार करते हैं और इसे पूरे देश मे प्रभावी करने की महत्वाकांक्षा भी जताते हैं। कॉंग्रेस इस योजना में घालमेल की बात कह रही है। हैदराबाद से यह ग्राऊंड रिपोर्ट पढ़िए
मोहम्मद ज़मीर हसन।Twocircles.net
तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर राव ने हाल ही में तेलंगाना के खम्मम में अपनी नई पार्टी भारत राष्ट्र समिति की रैली की। इसमें उन्होंने केंद्र सरकार को तीसरे मोर्चे की ताकत दिखाने की भी कोशिश की। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव, आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान जैसे नेताओं की मौजूदगी में केसीआर ने कहा कि उनकी पार्टी अगर सत्ता में आती है तो तेलंगाना की दलित बंधु योजना को पूरे देश में लागू करेगी और पूरे देश को किसानों को मुफ्त बिजली मिलेगी। उन्होंने कहा कि बीआरएस देश में हर साल 25 लाख परिवारों को इस योजना से जोड़ेगी। इसमें 2.5 लाख करोड़ रुपए का खर्च आएगा, जो केंद्र के लिए कोई बहुत बड़ी बात नहीं है। तेलंगाना सरकार दलित बंधु योजना को गेमचेंजर मान रही है। उसका मानना है कि इस योजना के दम पर वो आगामी विधानसभा चुनाव में सत्ता बरकरार रखेगी और लोकसभा चुनाव में भी देश में पार्टी का विस्तार करने में अहम भूमिका निभाएगी।
इस योजना के तहत तेलंगाना सरकार दलित परिवारों को सशक्त बनाने और उनके बीच कारोबार की प्रवृत्ति बढ़ाने के लिए प्रति परिवार 10 लाख रुपए की आर्थिक मदद दे रही है। यह देश की सबसे बड़ी नकद हस्तांतरण योजना हैं। इसकी शुरुआत 16 अगस्त 2021 को की गई थी। पहले चरण में राज्य के 119 विधानसभा क्षेत्रों से 100-100 दलित परिवारों को अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए बिना किसी बैंक गारंटी के 10-10 लाख रुपये की नकद सहायता के लिए चुना गया था। 2021 में 1,200 करोड़ रुपये की बजट को मंजूरी दी गई थी। तेलंगाना सरकार का दावा है कि अब तक 38 हजार दलित परिवारों को इस योजना का लाभ मिल चुका है।
Twocircles.net ने लाभार्थियों और दलित परिवारों से मिलकर इस योजना की जमीनी हकीकत जानने की कोशिश की। इस योजना के एक लाभार्थी अनिल कुमार से मुलाकात हुई। वे हैदराबाद के सुल्तान शाही इलाके में परिवार के साथ रहते हैं। वे बताते हैं, ‘मैं एक निजी सुरक्षा गार्ड था। महीने में बारह हजार कमा लेता था, जिससे बमुश्किल ही परिवार चलता था। स्थानीय नेता ने हमें दलित बंधु योजना के बारे में बताया, फिर हम अपने क्षेत्र के विधायक से मिले, उन्होंने मुझे इस योजना को दिलाने में मदद की। दलित बंधु योजना का लाभ मिलने के बाद उन्होंने अपना टेंट का व्यवसाय शुरू किया है। दुकान पर चार लोगों को काम पर रखा है। अब एक महीने में 30-35 हजार कमा लेते हैं। वे भावुक होते हुए कहते हैं, ‘इस योजना ने हमारी पूरी जिंदगी बदल दी है, जिसकी कभी सपने में भी कल्पना नहीं की थी। अब हमने अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा के लिए निजी स्कूलों में पढ़ाना शुरू कर दिया है। हमारे अन्य दलित भाइयों को भी इस योजना का लाभ मिलना चाहिए।
तेलंगाना मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के मुताबिक 2014 में राज्य सरकार द्वारा आयोजित समग्र कुटुंब सर्वेक्षण हुआ था, जिसमें तेलंगाना की कुल आबादी में अनुसूचित जाति की हिस्सेदारी करीब 17 प्रतिशत है। करीब 18 लाख दलित परिवार हैं। दलित आबादी इस तरह बंटी हुई है कि करीब 33 में 10 जिले ऐसे हैं जहां उनकी आबादी 20 से 26 प्रतिशत तक है। जैसे मंचेरियल में 26 प्रतिशत, जयशंकर भूपलपल्ली जिले में 22 प्रतिशत, जनगांव, खम्मम, रंगारेड्डी और विकाराबाद में 21-21 प्रतिशत और करीमनगर में 20 प्रतिशत है। हैदराबाद में सबसे कम 11 प्रतिशत दलित आबादी है। चारमीनार में रहने वाले पी राकेश दिहाड़ी मजदूरी कर घर चलाते हैं। वे कहते हैं, ‘हमारे कुछ साथियों को दलित बंधु योजना का लाभ मिला है। मैं भी पूरी कोशिश कर रहा हूं कि दलित बंधु योजना का लाभ मिले, लेकिन अब तक लाभ नहीं मिला है।’ वह आगे कहते हैं, यहां पर 5000 परिवारों के लोग रहते हैं। दलित बंधु योजना का लाभ महज 70 परिवारों को मिला है। यहां ज्यादातर परिवारों के लोग साफ-सफाई, सुरक्षा गार्ड और छोटे-मोटे काम करते हैं। इस महंगाई के दौर में, इससे परिवार चलाना बहुत मुश्किल है। आगे उम्मीद भरी नजरों से कहते हैं, ‘मैं खुश हूं कि केसीआर साहब ने इस योजना को लागू किया है। हमारे भाइयों की मदद हो रही है । उम्मीद है कि हम लोगों को भी इस योजना का लाभ मिलेगा, ताकि अपना कारोबार शुरू कर सकें।
दलित बंधु योजना की एक और लाभार्थी ममता बताती हैं कि इस योजना के बारे में मुझे ऑनलाइन माध्यम के ज़रिए पता चला। मैं जब जिला ऑफिस गई, तो अधिकारियों ने कहा कि आप स्थानीय विधायक से मिलें। उनके सिफारिश पर आपको योजना का लाभ मिलेगा। स्थानीय विधायक से मिलने के बाद मुझे इस योजना का लाभ मिला है। वे बताती हैं, ‘मैं एमबीए कर चुकी हूं। अब अपना ब्यूटीपार्लर शुरू किया है। यह सब दलित बंधु स्कीम की वजह से मुमकिन हो पाया है।’ ममता जब यह कह रही थीं तो उनके चेहरे पर मुस्कान और गर्व की भावना साफ देखी जा सकती है। ममता को बॉलीवुड की स्टार महिमा चौधरी से राइजिंग मेकअप आर्टिस्ट का अवॉर्ड भी मिला है। वे कहती हैं, ‘मेरे परिवार में पापा इकलौते कमाने वाले थे। पिछले साल उन्हें पेरालिसिस का अटैक आया और घर चलाना मुश्किल हो गया। इलाज में भी काफी पैसा खर्च हो गया। मैं भाई-बहन में सबसे बड़ी हूं। तब से मेरे ऊपर काफी दबाव था कि मैं किसी तरह घर को संभालूं। इस योजना के बाद मेरी जिंदगी बदल गई है। मैं पूरे परिवार की देखभाल अच्छे से कर लेती हूं। दलित परिवारों के लिए यह योजना काफी लाभकारी है। लेकिन इसका जो प्रोसेस है वह आम दलितों के लिए थोड़ा मुश्किल है। इसे और आसान बनाया जाना चाहिए ‘।
जया कुमारी संयुक्त परिवार में रहती हैं। परिवार में जितने भी पुरुष है, सब साफ-सफाई का काम करते हैं। इन्हें दलित बंधु योजना का लाभ मिला है। तब से जिंदगी बदल सी गई है। वह टू सर्किल डॉट नेट से बातचीत करते हुए कहती हैं, ‘हमारे पति और ससुर साफ-सफाई का काम किया करते थे। महीने में मुश्किल से बीस हजार रुपए कमाते थे, परिवार चलाना मुश्किल था। बच्चों की पढ़ाई तक नहीं हो पाती थी। दलित बंधु योजना का लाभ मिलने के बाद अब मेरे पति ने टेंट का व्यापार शुरू किया है। पति और ससुर मिलकर दुकान चलाते हैं। हर महीने 35 हजार तक की कमाई हो जाती है और सीजन में इससे ज्यादा भी आमदनी हो जाती है। पूरे परिवार में खुशहाली है, बच्चों को भी पढ़ा रहे हैं। यह योजना यकीनन दलितों के लिए वरदान है। मैं सरकार की शुक्रगुजार हूं कि हमारे लिए इतना कुछ सोच रही हैं।’
विपक्षी पार्टियां इस योजना में कथित गड़बड़ी और भ्रष्टाचार का आरोप लगी हैं और इसको लेकर केसीआर सरकार को घेर रही हैं। नलगोंडा कांग्रेस के सांसद एन उत्तम कुमार रेड्डी के साथ कांग्रेस एससी सेल के राज्य अध्यक्ष एन प्रीतम ने आरोप लगाया है कि टीआरएस विधायक राजनीतिक लाभ के लिए दलित बंधु योजना का दुरुपयोग कर रहे हैं। ये 2 लाख से 5 लाख तक का कमीशन लेकर लाभार्थियों का चयन कर रहे है। इस योजना में योग्य दलित परिवारों को वंचित रखा जा रहा है और अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए योजना का इस्तेमाल किया जा रहा है। दलित बंधु योजना के प्प्रकिया के खिलाफ जन्नू नूतन बाबू नाम के व्यक्ति के अलावा तीन अन्य लोगों ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। आरोप यह लगाया कि वारंगल जिला कलेक्टर दलित बंधु योजना के लिए उनके आवेदन पर विचार नहीं कर रहे है क्योंकि वे टीआरएस के सदस्य नहीं है । याचिकाकर्ताओं ने कहा कि वे शिक्षित और बेरोजगार हैं और योजना के तहत वित्तीय सहायता पाने के हकदार हैं। याचिका की सुनवाई करते हुए अदालत ने स्पष्ट कर दिया कि विधायकों की सिफारिश की आवश्यकता नहीं है और केवल राज्य सरकार द्वारा गठित समिति को ही आवेदनों का मूल्यांकन करना होगा। समिति में केवल अधिकारी होंगे न कि राजनीतिक कार्यकर्ता। कांग्रेस ने दलित बंधु योजना के लाभार्थियों के निष्पक्ष चयन के तेलंगाना उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत किया।
लोकलुभावन योजनाओं के लिए तेलंगाना पर सवाल भी उठ रहे हैं। इन तरह की योजनाओं से राज्य का वित्तीय संतुलन बिगड़ रहा है। कोरोना काल में आर्थिक गतिविधियां रुकने और इन तरह की लोकप्रिय योजनओं के चलते तेलंगाना का कर्ज और जीडीपी रेशियो 27.4 प्रतिशत पर पहुंच गया है, जो 2017 में 15.7 प्रतिशत पर था। देश के सभी राज्यों का औसत कर्ज और जीडीपी रेशियो 29.5% है। राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन समीक्षा समिति के मुताबिक राज्य का कर्ज और जीडीपी रेशियो 20% से अधिक नहीं होना चाहिए। संसद में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक तेलंगाना में 2018 में कुल कर्ज 1,60,296.3 करोड़ रुपए था। बजट अनुमान के मुताबिक यह कर्ज 2022 में बढ़कर 3,12,191.3 करोड़ पर पहुंच गया है। पिछले साल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जब आए थे तो उन्होंने आरोप लगाया था कि केंद्र की मदद के बावजूद तेलंगाना कर्ज के जाल में फंस गया है।
इसके जवाब में तेलंगाना सरकार ने कहा कि केंद्र की तर्कहीन नीतियों की वजह से तेलंगाना की विकास दर रुकी हुई है। पेट्रोल-डीजल और एलपीजी के दाम आसमान छू रही है और इसके चलते महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है। राज्य को फंड नहीं दिया जा रहा है। अगर केंद्र सरकार ने भी राज्य द्वारा हासिल की गई प्रगति में साथ दिया होता तो प्रदेश की जीएसडीपी 3 लाख करोड़ से बढ़कर 14.50 लाख करोड़ तक पहुंच जाती। हमारे राज्य की देश की आबादी में हिस्सेदारी सिर्फ 2.5 प्रतिशत है और राज्य देश की आय में 5 प्रतिशत का योगदान देता है।