TwoCircles.net News Desk
अजमेर : सूफ़ी संत हज़रत ख़्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के वंशज एवं वंशानुगत सज्जादानशीं दीवान सैय्यद जैनुल आबेदीन अली ख़ान ने आज जारी एक प्रेस बयान में भारत के प्रधानमंत्री से मांग की है कि वह म्यांमार में हो रहे रोहिंग्या मुसलमानों के नरसंहार पर भारत अपना विरोध दर्ज कराए और साथ ही इस मामले को UNO में भी उठाए.
उनका कहना है कि, एशिया में भारत एक बड़ी शक्ति माना जाता है. इसलिए हमारा फ़र्ज़ बनता है कि हमारे पड़ोसी मुल्क यदि मानवता को शर्मसार करने वाला काम करे तो हम उसको अपना विरोध दर्ज कराएं.
जैनुल आबेदीन ने इस संबंध में प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री को पत्र भी लिखा है. दरगाह दीवान ने अपने पत्र में भारत सरकार से मांग की है कि वह रोहिंग्या मुसलमानों को इस नाज़ुक समय में तब तक ना वापस भेजे जब तक म्यांमार की सरकार उनकी सुरक्षा की ज़िम्मेदारी ना ले ले.
उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि इस तरह से खून ख़राबा और निर्दोष लोगों की हत्या इंसानियत और मानव अधिकारों की ख़िलाफवर्ज़ी है. और ऐसा करने की किसी को भी छूट नहीं दी जानी चाहिए. चाहे वो किसी भी मुल्क की सरकार ही क्यों ना हो, ऐसे ज़ुल्मों-सितम के ख़िलाफ़ हर देश को आगे आकर विरोध करना चाहिए.
दरगाह दीवान ने कहा कि वह जल्द ही विदेश मंत्री से मिलकर इस मामले में मांग करेंगे कि इन बेसहारा लोगों की मदद करें और उनके लिए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत अपनी आवाज़ बुलंद करे.