बिजनौर ट्रेन रेप-काण्ड : आख़िर क्या है इसकी सच्चाई?

आस मुहम्मद कैफ़, TwoCircles.net

बिजनौर : बिजनौर ट्रेन रेप-कांड अब एक बड़ा सवाल है. सच-झूठ के बीच उलझा यह मामला अब एक रहस्य बन चुका है. एक पल सच कुछ दिखता है तो दूसरे ही पल वो बदल जाता है. इस रेप-कांड से जुड़ी कुछ बातें हम यहां अपने पाठकों के लिए रख रहे हैं.


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चश्मदीदों के मुताबिक़ गुनाहगार है सिपाही

घटना के चश्मदीदों की गवाही आरोपी सिपाही को गुनाहगार साबित करती है. घटना के चश्मदीद उमेश कुमार नाम के यात्री का कहना है कि, सिपाही महिला को जबरन खींचकर विकलांग कोच में ले गया और कोच का दरवाज़ा अंदर से बंद कर महिला के साथ बलात्कार किया.

कोच का दरवाज़ा खुलने पर सिपाही अर्ध-नग्न अवस्था में था और महिला बदहवाश पड़ी थी. उमेश ने सिपाही द्वारा महिला से ज़बरदस्ती करने की कुछ फोटो भी वायरल की.

चांदपुर क्षेत्र के ग्राम मिर्जापुर बेला निवासी उमेश कुमार ने पुलिस को दिए अपने बयान में भी स्पष्ट तौर पर कहा है कि, वो रोज़ ट्रेन से बिजनौर जाता है. 30 मई की सुबह जब ट्रेन चांदपुर रेलवे स्टेशन पर रुकी तो वो उसी कोच में बैठा था, जिसमें महिला पहले से बैठी हुई थी. जब ट्रेन चली तो महिला की तबीयत बिगड़ गई, जिसे कुछ यात्रियों ने संभाला. इसी दौरान सिपाही कमल शुक्ला वहां आया और महिला को विकलांग कोच में ले गया. सिपाही ने कोच का दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया. जिसकी वजह से उसे शक हुआ. रास्ते में दो स्टॉप पर ट्रेन रुकी, लेकिन कोई यात्री नहीं चढ़ा. ट्रेन जब बिजनौर रेलवे स्टेशन पर पहुंची तो उमेश ने ट्रेन के गार्ड से सिपाही की करतूत बताई. जिसके बाद उमेश, गार्ड और अन्य लोग विकलांग कोच पहुंचे और दरवाज़ा खुलवाया. लेकिन सिपाही ने दरवाज़ा नहीं खोला. लोगों के शोर मचाने पर दरवाज़ा खुला तो सिपाही अर्धनग्न अवस्था में था और महिला बदहवाश पड़ी थी.

गार्ड ने भी दी है सिपाही के ख़िलाफ़ गवाही

इस मामले में एक और चश्मदीद गवाह स्वयं ट्रेन का गार्ड है. सुरेंद्र कुमार नाम के इस गार्ड के मुताबिक़ जब ट्रेन स्टेशन पर आकर रुकी तो लोग उस डिब्बे में चढ़ने के लिए पहुंचे, जिसे सिपाही कमल शुक्ला ने अंदर से बंद कर रखा था. उमेश कुमार ने भी इसी कोच की शिकायत की थी.

गार्ड ने बताया कि जब वो दरवाज़ा खुलवाने पहुंचे तो दरवाज़ा नहीं खोला गया. बाद में लोगों के शोर मचाने पर दरवाज़ा खोला गया. दरवाज़ा खुला तो उन्होंने देखा कि सिपाही अर्ध-नग्न अवस्था में था और महिला बेहोश थी. थोड़ी देर बाद जब वो होश में आई तो रोते हुए उसने सिपाही पर दुष्कर्म का आरोप लगाया, जिसके बाद भीड़ आक्रोशित हुई.

महिला ने भी कहा कि सिपाही ने किया है बलात्कार

होश आने पर पीड़ित महिला ने भी दर्ज कराई रिपोर्ट में सिपाही पर सीधा बलात्कार का आरोप लगाया. पीड़िता ने अपने लिखित बयान में स्पष्ट तौर पर बताया कि, मैं लखनऊ से मेरठ जाने के लिए ट्रेन में बैठी थी. चांदपुर स्टेशन से एक पुलिस वाला मेरे डिब्बे में चढ़ा. उस डिब्बे में एक सिपाही भी बैठा था, जिसे उस पुलिस वाले ने गाली-गलौज करके डिब्बे से उतार दिया. मैं भी डिब्बे से उतरने लगी तो मुझे ज़बरदस्ती खींच लिया और मेरा मुंह भीच कर बोला —शोर मचाया तो गोली मार दुंगा. इसलिए मैं डर गई…

पीड़िता ने आगे बताया कि उसने मेरे साथ मारपीट करके बलात्कार किया. मैं बेहोश हो गई थी. जब मुझे होश आया तो वहां पर बहुत सारी पब्लिक थी. शोर-शराबा हो रहा था. साहब मुझे इंसाफ़ चाहिए… मैं पढ़ी-लिखी नहीं हूं…

  

मगर बाद में बदल गई ये महिला

बावजूद इसके महिला जब कोर्ट में 164 का बयान देने पहुंची तो आधा-अधूरा बयान दिया. यानी उसने अपने बयान में घटना के संबंध में स्थिति साफ़ नहीं की. उसका कहना था कि, सिपाही जब उसे विकलांग कोच में ले गया तो वो बेहोश हो गई थी. उसे नहीं पता कि बाद में क्या हुआ.

लेकिन अगले दिन कहा, नाना को 5 लाख देकर दिलवाया गया बयान

अगले दिन एक जून की रात को अचानक ये पीड़िता शहर कोतवाली थाने पहुंची और पुलिस व अपने नाना पर दबाव डालकर कोर्ट में बयान देने का आरोप लगाया. पीड़िता ने हंगामा करते हुए कहा कि सिपाही कमल शुक्ला ने उसके साथ बलात्कार किया है, लेकिन पुलिस ने उसके नाना को 5 लाख रूपये देकर उसे ग़लत बयान देने के लिए दबाव डलवाया. उसने पुलिस-कर्मियों को भी खरी-खोटी सुनाई.

स्थानीय मीडिया ने भी की ग़लत रिपोर्टिंग

स्थानीय मीडिया में भी पीड़िता के गर्भवती होने की झूठी अफ़वाह फैलाई गई और उसके चरित्र पर भी सवाल खड़े किए गए. रिपोर्ट में लिखा गया कि महिला की मेडिकल जांच में रेप की पुष्टि नहीं हुई हैं, बल्कि उसके गर्भवती होने की जानकारी मिली है.

सोशल मीडिया पर उठे सवाल, पुलिस पर दबाव डालकर बयान बदलवाने के लगें आरोप

इस ट्रेन रेप-कांड को लेकर सोशल मीडिया पर भी पुलिस प्रशासन पर संगीन आरोप लग रहे हैं. सोशल मीडिया में सक्रिय लोगों का कहना है कि, सरकार की फ़ज़ीहत और अपनी नाकामी छिपाने के लिए जीआरपी व ज़िला प्रशासन रेप-कांड को झुठलाने की कोशिश कर रहा है. पीड़िता के नाना से सांठगांठ कर उससे कोर्ट में बयान बदलवाया गया. क्योंकि ये घटना दिल्ली में हुए निर्भया कांड से कम नहीं है. इसलिए शासन-प्रशासन पूरे मामले पर पर्दा डालने पर जुटा हुआ है.

दो दिन बाद फिर लौटी महिला, थाने में किया हंगामा

दो दिन बाद फिर से ये पीड़ित महिला शहर कोतवाली में पहुंच गई और पुलिस पर अपने नाना को 5 लाख रुपये में खरीदने का इल्ज़ाम लगाया. पीड़िता ने थाने में जमकर हंगामा किया और सिपाही से निकाह करने की जिद पर अड़ गई. ख़ास बात यह थी कि पीड़िता ने कहा कि वो सिपाही को 6 महीने से जानती है.

सच है कि मिल नहीं रहा

अभी तक इस पूरे मामले कई रहस्य हैं. जिन पर से पर्दा उठना अभी बाक़ी है. हालांकि पुलिस खिग भी इस पर पर्दा डालने की कोशिश कर रही है. सच तो यही है कि तमाम तरह के तथ्य, गवाही और भ्रामक ख़बरों के बीच इस ट्रेन रेपकांड का सच सामने नहीं आया है. कोर्ट में पीड़िता का आधा-अधूरा बयान और चश्मदीदों की गवाही में समानता न होने से इस मामले को उलझा दिया है.

बयान के बाद पीड़ित महिला का अगले दिन थाने पहुंचकर पुलिस पर गंभीर आरोप लगाना भी सिस्टम पर सवाल खड़े कर रहा है. इन सबके बीच यदि पीड़िता व गवाह झूठ बोल रहे हैं तो फिर सिपाही कमल शुक्ला ने कोच का दरवाज़ा अंदर से बंद क्यों किया? सिपाही अगर निर्दोष है तो वो अर्धनग्न अवस्था में क्यों पकड़ा गया? और यदि महिला के साथ रेप नहीं हुआ और वो बेहोश कैसे हो गई थी और दरवाज़ा खुलने के बाद महिला क्यों रोई? फिर उसने अपने बयान में बलात्कार की बात कैसे कही और पुलिस ने उसकी बुनियाद पर एफ़आईआर कैसे लिख लिया? इन सब सवालों के जवाब को तलाशना अब बहुत अहम हो गया है. ताकि इस ट्रेन रेप-कांड का सच सामने आ सके और दोषियों को कड़ी सज़ा मिले.

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