यूसुफ़ अंसारी
देश में तेज़ी से फैलते कोरोना के संक्रमण पर काबू पाने के लिए लॉकडाउन का चौथा चरण जारी है। इसी दौरान अलविदा जुमा भी आएगा और ईद भी। अलविदा जुमा को भी ईद की तरह खुशी मनाई जाती हैं। वहीं ईद के दिन सुबह ईदगाहों और शहर की बड़ी मस्जिदों में ईद की विशेष नमाज़ होती है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। लॉकडाउन की वजह से इस बार न तो अलविदा जुमे के दिन मस्जिदों में भीड़ जुटेगी और न ही ईद के दिन ईदगाहों पर रौनक़ होगी।
लॉकडाउन को देखते हुए भारत के लगभग सभी इस्लामी इदारों ओर बड़े उलेमा ने मुसलमनों को अलविदा जुमा और ईद की नमाज़ घर पर ही अदा करने की हिदातयत जारी कर दी है। ज़्यादातर हिदायतों में कहा गया है कि अलविदा जुमा भी आम जुमे की तरह ही है। इसकी कोई ज़्यादा अहमियत नहीं है। बस ख़ास बात यह है कि यह रमज़ान का आख़िरी जुमा होता है। इसकी नमाज़ भी ठीक वैसे ही घर पर पढ़ी जाए जैसे कि लॉकडाउन के दैरान इससे पहले आए तमाम जुमों की नमाज़ पढ़ी गई है।
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दुनियाभर में इस्लामी शिक्षा के लिए मशहूर दारुल उलूम देवबंद ने मंगलवार को एक फ़तवा जारी करके मुसलमानों से ईद-उल-फितर की नमाज़ घर में ही अदा करने को कहा है। दारुल उलूम के मीडिया प्रभारी अशरफ़ उस्मानी ने कहा, “कुलपति मुफ्ती अबुल क़ासिम नोमानी के सवाल पर संस्थान के फ़तवा विभाग की एक पीठ ने यह फ़तवा जारी किया है। इसके मुताबिक़, लॉकडाउन में जिस तरह से जुमे (शुक्रवार) की नमाज़ घर में पढ़ी जा रही है, उसी तरह ईद की नमाज़ भी घर में ही अदा की जाए।”
देवबंद के फ़तवे में यह भी कहा गया है कि जिन लोगों को ईद की नमाज़ नहीं मिले, उन्हें परेशान होने की ज़रूरत नहीं है। जो हालात हैं, ऐसे में उनकी ईद की नमाज़ माफ होगी। इससे पहले शरीयत के मामलों पर सलाह जारी करने वाली संस्था इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया और जमात-ए-इस्लामी हिंद ने भी एडवाइज़री जारी की थी। इनमें भी ईद की नमाज़ घर पर ही अदा करने को कहा गया है। इन हिदायतों में मुसलमान को बेहद सादगी से ईद मनाने की सलाह दी गई है। ईद के दिन भी लॉकडाउन का सख़्ती से पालन करने, सामाजिक दूरी बनाए रखने और एक दूसरे का घर नहीं जाने की हिदायत गई है।
इनके अलावा दिल्ली की ऐतिहासिक जामा मस्जिद के इमाम सैयद अहमद बुख़ारी और फतेहुपुरी जामा मस्जिद के इमाम मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने भी बयान जारी करके मुसलमानों से घर में ही ईद क नमाज़ अदा करने की अपील की है। मुफ्ती मुकर्रम ने twocircles.net से ख़ास बातचीत में कहा है, ‘ईद की नमाज़ वैसे तो वाजिब है। ईदगाह या मस्जिदों में जमात के साथ पढ़ी जाती है। लेकिन चूंकि कोरोना की माहमारी की वजह से दुनिया भर में लॉकडाउन है। मक्का में हरम शरीफ़ यानि ‘कआबा’ और मदीना का सबसे बडी मस्जिद नबवी भी बंद है। लिहाज़ा इन हालात में ईन की नमाज़ वाजिब नहीं होती। मस्जिदों में इमाम और मुअज़्ज़िन के अलाव दो-चार लोग ही नमाज़ पढ़ेंगे। उसके बाद बाक़ी लोग अपने घर पर ही चार रकात नफ़िल नमाज़ पढ़ेंगे। उनके लिए यही ईद की नमाज़ मानी जाएगी।’
(दिल्ली की ऐतिहासिक फ़तेहपुरी जामा मस्जिद के इमाम मुफ्ती मुकर्रम अहमद के साथ वरिष्ठ पत्रकार यूसुफ़ अंसारी की यह ख़ास बातचीत आप हमारे youtube Channel और facbebook page पर सुन सकते हैं।)
ग़ौरतलब है कि twocircles.net ने 24 अप्रैल को ही अपेन पाठको को बता या था कि रमज़ान के दौरान मस्जिदों और ईद के दिन ईदगाहों पर नमाज़ के लिए भीड़ जुटने से रोकने के लिए केंद्र सरकार मई के आख़िर तर लॉकडाउन बढ़ाएगी। इस ख़बर में यह भी बताया गया था कि पहले लॉकडाउन 17 मई तक बढ़ेगा और फिर इसे 31 मई तक बढ़ाया जाएगा। लाकडाउन ठीक ऐसे ही बढ़ाया गया है।
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ग़ौरतलब है कि तब्लीग़ जमात के हज़रत निज़ामुद्दीन स्थित मरकज़ में 31 मार्च को 1500 से ज़्यादा लोगों के जमा होने की ख़बरों को राष्ट्रीय मीडिया के एक बड़े तबक़े ने मुसलमानों के ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाने के लिए इस्तेमाल किया। मीडिया के एक बड़े तबक़े ने जमात के मरकज़ को कोरोना का केंद्र और जमात से जुडे लोगों को कोरोना का कैरियर बताते हुए इल्ज़ाम लगाया कि तब्लीग़ जमात की वजह से ही देश भर में कोरोना फैला है। उसके बाद देश के कई हिस्सों से लगातार मुसलमानों के सामाजिक बहिष्कार और उनके साथ मारपीट की ख़बरे आईं। इस पर काफ़ी बवाल भी मचा।
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मुस्लिम संगठन चाहतें है कि मुसलमानों काी किसी हरकत की वजह से उन पर इस तरह के इल्ज़ाम दोबारा नहीं लगें। इसी लिए तमाम मुस्लिम संगठन मुसलमानों को हिदायत दे रहे हैं कि वो रमज़ान के दौरान ईद की ख़रीदारी के लिए बाज़ारों में न जुटें। भले ही सरकार ने बाज़ार खोलने की इजाज़त दे दी हो लेकिन मुसलमानों के नए कपड़े ख़रीदने के बजाए घर में पहले से रखे नए या पुराने कपड़े पहनकर ही ईद मनानी चाहिए। देश में जिस तेज़ी से कोरोना वायरस का संक्रमण फैल रहा है उस देखते हुए मुसलमानों का यह ज़िम्मेदारी बनती है कि वो सरकार के बनाए और बताए लॉकडाउन के नियमों का सख़्ती से पालन करते हुए ईद की ख़ुशी मनाएं। सामाजिक दूरी का ख़ास ख़्याल रखें।