ग्राऊंड रिपोर्ट : फतेहपुर में दलित चाहते हैं कि बदल जाए सरकार !

हमारे संवाददाता ने उत्तर प्रदेश के फतेहपुर सदर विधानसभा के लोगों से बात की और जानने की कोशिश की कि आगामी विधानसभा चुनाव में वे लोग किस दल को वोट करने जा रहे हैं। लोगों ने खुलकर तो नहीं बताया कि वे चुनाव में किसे वोट देंगे, लेकिन यह ज़रूर बताया कि वे लोग वर्तमान भाजपा सरकार से खुश है या नही !

आकिल हुसैन की रिपोर्ट


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गंगा और यमुना के दोआब में बसे फतेहपुर ज़िले की सदर विधानसभा में 2017 चुनाव में फतेहपुर सदर विधानसभा में लगभग 3 लाख 27 हज़ार मतदाताओं ने अपने मतों का प्रयोग किया था। 2017 में भाजपा प्रत्याशी यहां से जीतकर विधानसभा पहुंचे थे, सपा दूसरे नंबर और बसपा तीसरे नंबर पर रही थी। फतेहपुर सदर विधानसभा पर 1989 तक कांग्रेस का कब्ज़ा रहा। 1993 में भाजपा पहली बार यहां से जीती,1996 में भाजपा यहां से फिर जीती। 2002 में बहुजन समाज पार्टी ने यहां कब्ज़ा किया, 2007 में यह सीट फिर से बीजेपी की झोली में चली गई। 2012 में समाजवादी पार्टी ने यहां कब्ज़ा जमाया, लेकर विधानसभा सदस्य के स्वर्गवास के बाद यहां फिर से भाजपा का कब्ज़ा हो गया।

यहां Twocircles.net की टीम आखूपुर गांव पहुंची। आखूपुर एक पिछड़ा वर्ग बाहुल्य गांव हैं। गांव के रास्ते में बाबू पासवान सड़क किनारे बने तालाब में मछली पकड़ रहे थे। बाबू पासवान से आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर उनका मन टटोलने की कोशिश करी। बाबू पासवान ने बताया कि वे रेलवे स्टेशन पर सीमेंट की रैक को उतारने का काम करते थे, लाकडाउन की वज़ह से अब ज़्यादा काम बचा नहीं वहां तो उन्होंने छोड़ दिया। बाबू पासवान ने बताया कि अब वे दूसरे की ज़मीन पर खेती किसानी करके परिवार का पालन-पोषण करतें हैं।

बाबू पासवान Two circles.net से बताते हैं कि योगी सरकार में खेती-बाड़ी मे फसल के सही दाम नहीं मिले, बस लागत ही निकल पा रहीं हैं इतनी हालत ख़राब है। खेती-बाड़ी मे मुनाफा नाम भर का हैं। बाबू पासवान कहते हैं कि इस सरकार में सब कुछ बहुत मंहगा हो गया है,गरीब आदमी कैसे जियेगा। बाबू पासवान कहते हैं कि इस सरकार में योजनाओं का लाभ अधिकारियों को पैसे देकर मिलता है, जिसके पास पैसा हैं वो देते हैं उनको योजना का लाभ मिलता हैं।

बाबू पासवान कहते हैं कि काम के मामले में अखिलेश यादव अच्छे हैं। उनके समय में गांव में काफी काम हुए, लेकिन इन पांच सालों में गांव में कोई काम नहीं हुआ। बाबू पासवान कहते हैं कि उनकी पसंद मायावती हैं, वे चाहते हैं कि मायावती सरकार बनाएं और योगी जी को हटाएं।

Two circles.net की टीम गांव के अंदर पहुंचती है। पप्पू पासवान मिलते हैं जो सुअर पालन का काम करते हैं। पप्पू पासवान कहते हैं कि योगी सरकार ने उनका धंधा चौपट कर दिया है। वे बताते हैं कि पहले वो कानपुर के स्लाटर हाउस में सुअर की सप्लाई का काम करते थे, लेकिन योगी सरकार ने स्लाटर हाउस को बंद कर दिया जिससे उनका रोजगार न के बराबर हो गया। पप्पू पासवान बताते हैं कि जो मुनाफे पहले होता था, अब उसका मात्र 10 प्रतिशत ही मुनाफा होता है। पप्पू पासवान कहते हैं कि बाकि सरकार काम अच्छा कर रहीं हैं, लोगों को महीने में फ्री राशन दे रहीं हैं। पप्पू पासवान कहते हैं कि वे चाहते हैं कि भाजपा फिर से यूपी में सरकार बनाएं।

गांव का 26 वर्षीय युवा शैलेन्द्र कुमार कहता है कि अपने ज़िले में रोजगार न होने के चलते वो जयपुर में कढ़ाई बुनाई कर खाता कमाता हैं। शैलेन्द्र कुमार कहता है कि लाकडाउन में सब कुछ बंद हो गया तो वो वापस गांव आ गया है, अब यही जानवर चराता हैं। शैलेन्द्र कहता है इन पांच सालों में युवाओं को रोजगार बिल्कुल नहीं मिला, अगर रोजगार मिलता तो वो खाने कमाने को जयपुर नहीं जाता।

शैलेन्द्र सिंह बताते हैं कि गांव या आसपास के क्षेत्र में कुछ काम नहीं हुआ, सड़कों की हालत देख लीजिए, सड़क कम गड्ढे ज्यादा हैं। शैलेन्द्र कहते हैं कि सरकारी योजनाओं का लाभ उन्हें ही मिला जिन्होंने पैसे अधिकारियों को दिए फिर चाहे प्रधानमंत्री आवास योजना क्यो न हो। शैलेन्द्र कहते हैं कि इतनी महंगाई में खेती किसानी में फ़ायदा नाम भर का हैं, सिंचाई के लिए डीज़ल चाहिए कितना महंगा है,एक गरीब किसान कहां से पेट भरेगा अपना। शैलेन्द्र कहते हैं कि इस सरकार से हर कोई त्रस्त है युवाओं के पास रोजगार नहीं हैं, किसानों के पास फसल का सही दाम नहीं हैं, मंहगाई आसमान पर है , शैलेन्द्र कहते हैं कि इस बार बिल्कुल परिवर्तन हो रहा है यूपी में।

भैंसों को चरा रहें लगभग 70 वर्षीय बुजुर्ग रामराज कहते हैं कि उन्होंने अभी तक इतनी ख़राब सरकार नहीं देखी हैं। रामराम कहते हैं कि बीजेपी सरकार में हर तरफ़ लूट मची हुई हैं, सरकारी योजनाओं का लाभ बगैर पैसे दिए नहीं मिलता है। रामराज कहते हैं कि उनका घर बारिश के कारण गिर गया था, अधिकारियों को पत्र लिखकर बनवाने की मांग करी थी, लेकिन अभी तक कोई उनके गिरे घर की हालत तक देखने नहीं आया, वे ऐसे ही गिरे हुए घर में रह रहे हैं।

रामराम से पूछा कि सरकार तो गरीबों को प्रधानमंत्री आवास योजना में मकान दे रहीं हैं,आपको नहीं मिला? रामराज जवाब देते हैं कि उनसे अधिकारियों ने 20 हज़ार की मांग की थी और कहा था 20 हज़ार दोगे तभी मकान मिलेगा। रामराज कहते हैं लेखपाल और पंचायत सेक्रेटरी पैसे की मांग करते हैं तब जाकर कोई योजना का लाभ मिलता हैं।

रामराज कहते हैं कि सरकार में कोई काम बगैर अधिकारियो को पैसा खिलाएं नहीं होता है। वे कहते हैं कि सरकार ने मंहगाई में सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। रामराज कहते हैं कि जो डीज़ल उन्हें पहले की सरकार में 60-65 में मिलता था वो अब 90 रूपए में मिल रहा है, एक गरीब किसान कैसे सींचे अपना खेत। रामराज कहते हैं कि मायावती की सरकार सबसे अच्छी थी, गांवों में काम भी होता था और सरकारी योजनाओं का लाभ आसानी से मिलता था।

गांव के युवा किसान बृजलाल वर्मा कहते हैं कि अगर मंहगाई ऐसी ही रही तो खेती-बाड़ी करना मुश्किल हो जाएगा। बृजलाल वर्मा कहते हैं कि गेहुं की फसल 1200-1300 रुपए मात्र मिल रही है तो वहीं चावल की फसल का दाम 1800 रुपए में मिल रहा है,इतने में तो लागत भी नहीं निकल रहीं खेती की। बृजलाल कहते हैं कि यूरिया 1200 रुपए हो गया इस सरकार में , सिंचाई के लिए डीज़ल चाहिए वो 90 में चल रहा है, धान काटने को मशीन आती है वो भी एक घंटे के हज़ार रुपए लेती है। यह सब करने के बाद कुछ पैसे न बचे तो हमारी साल भर की मेहनत बेकार है।

बृजलाल कहते हैं कि गांव में पांच सालों में कुछ काम नहीं हुआ हैं। वे कहते हैं कि सब लोग परेशान हैं मंहगाई से लेकिन सरकार कुछ नहीं कर रहीं हैं और करेगी भी क्यो उनको थोड़ी न कोई दिक्कत हैं। वे कहते हैं कि कांग्रेस सरकार बेहतर थी उसमें मंहगाई भी नहीं थी। जब बृजलाल से पूछा गया कि उन्हें दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन या किसानों से संबंधित तीन कानून जो सरकार लेकर आई है उसके बारे में कोई जानकारी हैं तो बृजलाल ने इंकार कर दिया कि उन्हें कुछ जानकारी नहीं है आंदोलन की या तीन कानूनों की।

गांव के रामसजीवन कहते हैं कि मौजूदा सरकार विकास के नाम पर शून्य हैं। न कोई रोज़ी रोज़गार हैं, मंहगाई इतनी हैं, न सड़क बनी है ,न बिजली हैं सब राम भरोसे हैं इस सरकार में। रामसजीवन कहते हैं कि यह तो नहीं कह सकते कि सरकार किसकी बनेंगी लेकिन यूपी की जनता और सभी लोग बदलाव चाहते हैं अब, योगी सरकार को जाना चाहिए 2022 में।

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