जिब्रानउद्दीन।Twocircles.net
बिहार के मधुबनी ज़िले से एक आरटीआई कार्यकर्ता और पत्रकार की हत्या का सनसनीखेज मामला सामने आया है। 22 वर्षीय बुद्धिनाथ झा उर्फ अविनाश झा का शव उनके पैतृक गांव बेनीपट्टी से करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर जली हुई अवस्था में बरामद हुआ। घर वालों को मेडिकल माफिया पर अविनाश की हत्या का शक है। अभी कुछ दिनों पहले ही अविनाश ने अपने गांव के कई अवैध मेडिकल क्लीनिकों का भंडाफोड़ किया था। वो एक स्थानीय हिंदी समाचार पोर्टल, “बीएनएन न्यूज बेनीपट्टी” के साथ काम कर रहे थें।
बीते 9 नवंबर की रात से अविनाश झा लापता थें। सीसीटीवी के वीडियो फुटेज के अनुसार, उन्हे आखरी बार उसी रात करीब 9:58 को अपने क्लिनिक के पास की सड़क को पार करते हुए देखा गया था। फुटेज में वो किसी से फोन पर बात करते और फिर तेज़ी से एक दिशा में चलते हुए दिखे थें। उसके बाद की उनकी कोई जानकारी मौजूद नहीं है।
परिवार के सदस्यों ने हत्या के पीछे मेडिकल माफिया की भूमिका पर संदेह जताया है, क्योंकि अभी पिछले ही दिनों अविनाश झा ने पत्रकार और आरटीआई कार्यकर्ता के रूप में कई अवैध क्लीनिकों के खिलाफ अपनी शिकायत दर्ज करवाई थी, जिसके परिणामस्वरूप कुछ क्लीनिको पर ताला लग गया था और कईयों को भारी जुर्माना चुकाना पड़ा था।
परिजनों ने मीडिया को बताया, “सुबह जब हम उनके कमरे में गए तो हमें क्लिनिक के पास ही उनकी बाइक लगी हुई मिली, उनका लैपटॉप भी चालू था, जिसका अर्थ है कि उन्होंने कुछ ही मिनटों के लिए बाहर जाने की योजना बनाई होगी।” परिजन आगे बताते हैं कि उन्होंने 10 नवंबर को स्थानीय पुलिस को इस मामले की सूचना दी। जिसके बाद 10 नवंबर को ही उनके क्लिनिक से करीब पांच किलोमीटर दूर एक गांव में उनका मोबाइल फोन ट्रेस किया गया।
11 नवंबर को उनके बड़े भाई चंद्रशेखर झा ने बेनीपट्टी थाने में अपनी शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें उन्होंने अपने भाई के 9 नवंबर से लापता होने की बात और उसके मोबाइल फोन बंद होने का उल्लेख किया। उन्होंने अपनी शिकायत में इलाके के 11 निजी नर्सिंग होम का नाम दिया, जिसमें कहा कि अविनाश के लापता होने के पीछे उनका ही हाथ होगा, क्योंकि पत्रकार ने उनके खिलाफ लोक शिकायत निवारण अधिनियम के तहत शिकायत दर्ज करवाई थी।
इस बीच उसके दोस्तों और रिश्तेदारों ने उसके लापता होने की खबर फेसबुक पर लिखी। इसके बाद 12 नवंबर को बेनीपट्टी से करीब पांच किलोमीटर दूर एक गांव से बीजे बिकाश का फोन आया। “लगभग 6:41 बजे, मुझे एक फोन आया। फोन करने वाले ने मुझे बताया कि स्टेट हाईवे के किनारे एक लाश मिली है। हम पुलिस के साथ वहां गए और वहां उसका जला हुआ शव मिला। हमने उसकी पहचान की और पोस्टमॉर्टम के बाद उसके शरीर का अंतिम संस्कार कर दिया।”
बेनीपट्टी पुलिस स्टेशन के एसएचओ अरविंद कुमार ने मीडिया को बताया, “हमने मामले में कुछ संदिग्धों को हिरासत में लिया है और मामले की जांच की जा रही है।” बुद्धिनाथ झा ने क्षेत्र में चल रहे कई गैर-लाइसेंस निजी क्लीनिकों का पर्दाफाश किया था। जिला लोक शिकायत निवारण अधिकारियों ने अविनाश झा के शिकायतों के परिणामस्वरूप 2020 से कई निजी क्लीनिकों के खिलाफ जुर्माना और कार्रवाई किया था। इस साल अगस्त में, झा की शिकायत के बाद, जिला स्वास्थ्य अधिकारियों ने आठ निजी नर्सिंग होम की तलाशी ली थी, जो कथित रूप से उचित लाइसेंस के बिना चलाए जा रहे थे। चार क्लीनिकों पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया था। साथ ही पुलिस ने कुछ क्लीनिकों के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज की थी।
मधुबनी जिले के सिविल सर्जन डॉ सुनील कुमार झा ने भी इस बात की पुष्टि की है कि अविनाश झा की शिकायतों के बाद कई अनधिकृत क्लीनिकों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी। इधर उनके रिश्तेदारों के अनुसार उन्होंने 2019 में एक नर्सिंग होम खोला था, जहां विभिन्न क्षेत्रों के डॉक्टर मरीजों का इलाज किया। रिश्तेदारों ने कहा कि इससे कई स्थानीय डॉक्टर नाराज हो गए थे और उन्होंने अविनाश का क्लिनिक बंद करा दिया था। इसके बाद ही अविनाश ने क्षेत्र में अनधिकृत क्लीनिकों की पहचान करने का फैसला किया और आरटीआई और शिकायतें दर्ज कराना शुरू कर दिया।
एक अन्य बड़े भाई त्रिलोक झा के अनुसार निजी नर्सिंग होम के खिलाफ की गई कार्रवाई से उनके परिचालक नाराज थें, जो कभी धमकी तो कभी पैसे की पेशकश कर अविनाश को रोकने की कोशिश करते थें। लेकिन अविनाश उन्हें बेनकाब करने पर अड़ा रहा था। त्रिलोक झा ने कहा, “हमें संदेह है कि मेडिकल माफिया ने साजिश रची और अपहरण के बाद उसे जलाकर मार डाला।”
झा के सहयोगी कन्हैया कश्यप ने मीडिया को बताया, “स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा की गई कार्रवाई के बावजूद, कुछ अवैध निजी क्लीनिक अभी भी नए नामों से चल रहे थे। वह उनके खिलाफ शिकायतों का एक और दौर की योजना बना रहा था।” कन्हैया ने कहना जारी रखा, “एक हफ्ते पहले, अविनाश ने मुझसे कहा था कि वह फिर से स्वास्थ्य अधिकारियों के पास शिकायत दर्ज कराना शुरू कर देगा। फेसबुक पर उसने 7 नवंबर को एक पोस्ट किया था कि 15 नवंबर से ‘खेल शुरू हो जाएगा’। इससे अंदाज़ा लगताहै कि वो अनधिकृत क्लीनिकों के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाने वाला था।
इधर थाना प्रभारी (एसएचओ) ने हत्या के पीछे के मकसद के बारे में कुछ भी टिप्पणी करने से इंकार कर दिया जबतक उनके पास अधिक जानकारी नही आ जाती है।
इस घटना के बाद एनएसयूआई के छात्र नेता, मधुबनी ज़िला निवासी, मोहम्मद अबूहम्ज़ा ने TwoCircles.Net से बात करते हुए अविनाश झा के मौत पर अपना शोक ज़ाहिर किया। उन्होंने कहा, “सच का साथ देने वाले पत्रकार अविनाश झा की हत्या की खबर काफी दुखदपूर्ण है, प्रशासन से निवेदन है कि हत्यारोपियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर उन्हें सख्त सजा दिलवाए।” अबूहम्ज़ा ने साथ ही राज्य में चल रहे माफियाओं को लेकर भी अपनी चिंता जताई है।
विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) पार्टी ने भी अविनाश झा की हत्या मामले को लेकर नीतीश कुमार सरकार की काफी आलोचना की है। कहा, ‘सच बोलना और गलत कार्यों का विरोध करना नीतीश कुमार के शासन में सबसे बड़ा अपराध है। जो लोग सरकार चला रहे हैं उन्होंने अपने फायदे के लिए अपराधियों और माफियाओं का मनोबल बढ़ाया है। बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष मदन मोहन झा ने भी इस घटना को लेकर ट्वीट करते हुए कहा, ‘कल सामाजिक कार्यकर्ता नवीन झा और आज आरटीआई कार्यकर्ता अविनाश झा की हत्या कर दी गई है। नीतीश कुमार जी, अपने पिछले 15 साल के प्रदर्शन को छोड़ दो, अब अपना प्रदर्शन दिखाओ।