स्टाफ़ रिपोर्टर।Twocircles.net
बहराइच में लगभग 2 महीने पहले हुए एक नवनिर्वाचित दलित प्रधान की हत्या का मामला अब तुल पकड़ता जा रहा है। मृत प्रधान के परिवार वालों ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने दोषियों की गिरफ्तारी में कोताही बरती और उल्टा उन्हे ही परेशान कर रहे। जिससे तंग आकर पीड़ित परिवार पिछले 1 हफ्ते से बहराइच कलेक्ट्रेट ऑफिस की गेट पर इंसाफ पाने के लिए धरने पर बैठा है। कई बार प्रशासन द्वारा उन्हे वहां से जबरदस्ती हटवाने के असफल प्रयास भी किए जा चुके हैं, लेकिन उनके दृढ़ता में कोई कमी नहीं आई हैं। मंगलवार को मायावती द्वारा किए गए ट्वीट के बाद अब कई बसपा और सपा नेता भी धरने के समर्थन में कूद चुके हैं।
बीते 17 जून को जनपद बहराइच जरवल विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत करनई डीहा के नवनिर्वाचित प्रधान द्वारका प्रसाद राव की कुछ अज्ञात बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। अनुमान है कि द्वारका प्रसाद राव की हत्या चुनावी रंजिश के कारण हुई चूंकि वो दलित होने के बावजूद प्रधान पद के सामान्य सीट से लगातार 2 बार से जीतते आ रहे थे। परिजनों ने प्रशासन के ऊपर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा है, “पुलिस ने हत्या के बाद कुछ आरोपियों को गिरफ्तार तो किया था लेकिन जल्द ही उन्हें छोड़ भी दिया।” जिसके बाद परिजनों ने इंसाफ पाने की उम्मीद में बहराइच कलेक्ट्रेट के बाहर धरना देने का फैसला किया।
द्वारका प्रसाद के बेटे राम मनोरथ जो की पेशे से अध्यापक भी हैं, कहते हैं, “हत्या करने से पहले (आरोपी) संतोष सिंह, राम बहादुर सिंह और उनके साथी अक्सर पिताजी को जान की धमकी दिया करते थे ताकि वो प्रधान पद के चुनाव से अपना नाम वापस खींच लें।” मनोरथ के अनुसार द्वारका प्रसाद काफी बहादुर व्यक्ति थे इसलिए उनका जवाब सिर्फ इतना होता था, “अगर मौत तुम्हारे हाथों लिखी होगी तो मार देना।” आखिर में उनलोगो ने वही किया और पिताजी की जान ले ली।
मनोरथ आगे कहते हैं, गांव में द्वारका प्रसाद राव की खूब इज्जत थी तभी दलित समाज के होने के बावजूद भी वो सामान्य सीट पर लगातार दो बार जीत सके थें। मनोरथ की शिकायत पुलिस से भी है, जोकि उनके अनुसार, बहुत अत्याचार कर रही है। “जब गोली लगने के बाद हम अपने पिताजी को लेकर अस्पताल गए हुए थें, उस समय मेरे पीठ पीछे पुलिस घर से मेरे छोटे भतीजे को अपने साथ थाना ले गई।” मनोरथ के अनुसार पुलिस ने अपने हिसाब से रिपोर्ट लिखी और उनके भतीजे से उसके उपर हस्ताक्षर करवा लिया।
“उसके बाद से आजतक पुलिस सिर्फ हमारे ही परिवार को प्रताड़ित कर रही है।” मनोहर कहते हैं, पुलिस घर पे आकर उनकी पत्नी और बाकी लोगों से गंदे गंदे सवाल करती है। “खुद मुझसे भी कई गंदे सवाल किए जा चुके हैं।” वास्तव में जो कार्यवाही करनी चाहिए थी वो गायब है। “हत्यारोपियों को शुरू में थाना ले गए, लेकिन 1 हफ्ता वहां रखने के बाद उन्होंने सब को छोड़ दिया।” मनोरथ और परिजन दर्ज मामले (अपराध संख्या 147/21) को एससी/एसटी एक्ट में बदलने की मांग कर रहे हैं।
मिली जानकारी के अनुसार इधर कुछ लोग पीड़ित परिवार पर ही आरोप लगाने लगे हैं की इस हत्याकांड के पीछे उनका ही हाथ है, जबकि पीड़ित परिवार इस आरोप को सिरे से नकारते हुए बताते हैं कि ये सब उनलोगों के खिलाफ एक साजिश है। पीड़ित परिवार ने थाने के सारे पुलिस अधिकारियों को निलंबित करने की भी मांग की है। साथ ही मामले की विवेचना एससी क्षेत्र अधिकारियों से कराने की मांग रखी है। मामले को लेकर भीम आर्मी भी काफी सक्रिय दिखी। भीम आर्मी के पदाधिकारियों पुलिस अधिकारियों को ज्ञापन भी सौंप रखा है।
इधर कांशीराम बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व सांसद सावित्रीबाई फुले भी दलित परिवार को इंसाफ दिलाने के लिए धरने पर बैठ चुकी हैं। फूले ने वर्तमान सरकार पर जमकर निशाना साधते हुए कहा कि जब से केंद्र और राज्य में भाजपा की सरकार बनी है, तब से दलितों के साथ ऐसे कई निंदनीय मामले सामने आ रहे हैं। उन्होंने सरकार को दलित विरोधी करार दिया। फूले ने साथ ही पुलिस पर भी आरोप लगाया की वो हत्यारों को संरक्षण दे रही है।
TwoCircles.Net से बात करते हुए एक स्थानीय पत्रकार, अन्नी भैया बताते हैं कि मौत के पश्चात पूरे गांव को पुलिस छावनी में बदल दिया गया था ताकि किसी तरह का माहौल बिगड़ने से रोका जा सके। उस समय सीओ कैसरगंज ने यकीन दिलवाया था कि किसी भी हालत में दोषियों को छोड़ा नहीं जायेगा, हालांकि अभी की परिस्थिति काफी अलग है। “द्वारका प्रसाद का दाह संस्कार बौद्ध धर्म के रीति रिवाज के अनुसार किया गया था।” अन्नी भैया ने जानकारी दी।
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने अपने ट्विटर हैंडल से इस धरने की जानकारी लोगों के समक्ष रखी थी, उन्होंने लिखा, “बहराइच में सामान्य सीट से नवनिर्वाचित दलित प्रधान की हत्या के नामित लोगों की गिरफ्तारी की माँग को लेकर उनके परिवार के लोग जिला कलेक्ट्रेट के सामने लगातार धरने पर बैठ रहे हैं लेकिन यूपी सरकार खामोश है, यह अति-दुःखद।” इस ट्वीट को अब तक सैकड़ों लोग शेयर कर चुके हैं और साथ ही राज्य सरकार से पीड़ित परिवार के लिए इंसाफ की गुहार भी लगा रहे हैं।