चार छात्रों ने मिलकर sehri۔in की शुरुआत की, विधवा महिलाओं को काम पर रखा
मोहम्मद ज़मीर हसन|twocircles.net
रमजान के मौके पर हैदराबाद में इंजीनियरिंग के छात्रों ने एक अनूठी पहल की। रमजान के दौरान सहरी और इफ्तार के वक्त लोगों को घर का खाना मिले, इस उद्देश्य के साथ इंजीनियरिंग के छात्र आदिल ने अपने चार दोस्तों के साथ sehri.in नाम से स्टार्टअप शुरू किया। आदिल मोहम्मद, अब्दुल रज्जाक, जैनब रियाज, अब्दुल रहमान और रेहान ने तीन रमजान से इसकी शुरुआत की थी। साथ ही, विधवा महिलाओं को काम देने के उद्देश्य से उन्हें इस स्टॉर्टअप का हिस्सा बनाया, ताकि रोजगार से उनकी जिंदगी आसान हो सकें। हालांकि,इन छात्रों को पूरे रमजान में सिर्फ 150 ऑर्डर मिले। लेकिन इससे उनके हौसले कम नहीं हुए बल्कि इन लोगों ने Sehri.in के जरिए एक नई पहल शुरू की है। अनाथों और बेघरों को भी भोजन उपलब्ध कराने की। इसके लिए लोगों से कुछ पैसे दान करने की अपील कर रहे हैं ताकि उस पैसे से वे घर का बना खाना जरूरतमंद लोगों तक पहुंचा सकें।
आदिल मोहम्मद के लिए Sehri.in चलाना आसान नहीं था, उन्होंने टू सर्किल को बताया, “मेरे पिता मेरे स्टार्टअप से खुश नहीं थे, उन्होंने मुझे अपनी पढ़ाई पर ध्यान देने के लिए जोर दिया लेकिन मैं रुका नहीं और काम करना जारी रखा। अब हमें सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है। मेरे पिता भी खुश हैं।” आदिल मोहम्मद इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में डिप्लोमा में इंजीनियरिंग कर रहे है। वह आगे कहते हैं, मैं अपना खुद का स्टार्टअप करना चाहता हूं ताकि मुझे जॉब के लिए भटकना न पड़े। मेरा मानना है कि Sehri.in एक अनूठी पहल है और हम इसे भविष्य में बड़े पैमाने पर करने की उम्मीद कर रहे हैं। ताकि मैं और अधिक विधवा महिलाओं को रोजगार दे सकूं और लोगों तक घर का बना खाना पहुंचा सकूं।
ज़ैनब रियाज़ और उनके भाई अब्दुल रज़्ज़ाक सहरी.इन टीम का हिस्सा हैं
जैनब रियाज और अब्दुल रज्जाक दोनों भाई-बहन हैं।दोनों सहरी डॉट इन स्टार्टअप टीम का हिस्सा हैं। खुशी जाहिर करते हुए जैनब कहती हैं, “हमें खुशी है कि लोगों को हमारा खाना पसंद आ रहा है। लोग हमारा खाना पसंद कर रहे हैं क्योंकि यह घर का बना और ताजा होता है। और हमारा मकसद भी लोगों को घर का बना खाना खिलाना। वह आगे कहती हैं, “हम एक ही ऑफिस से काम करते हैं। आदिल मोहम्मद ने ऐसे ही एक स्टार्टअप के बारे में हमसे चर्चा किया। सच कहूं तो यह एक बहुत ही दिलचस्प विचार था। और हमने इसे करने का फैसला किया। रमजान के 3 दिन बाद हमने शुरू कर दिया। हम अपने समुदाय की सेवा करना चाहते हैं। भविष्य में हम जरूरतमंदों तक भी खाना पहुंचाने का सोच रहे हैं। और इंशाअल्लाह इसे अगले रमज़ान में भी जारी रखेंगे।” ज़ैनब एमएस डिग्री कॉलेज की अंतिम वर्ष की छात्रा है, बी.कॉम कंप्यूटर की पढ़ाई कर रही है।
Sehri.in के ज़रिए अनाथों और बेघर लोगों तक भी खाना पहुंचाते हैं।
सहरी डॉट इन के उप संस्थापक अब्दुल रज्जाक कहते हैं, “एक छात्र के रूप में यह यात्रा कभी भी आसान नहीं थी क्योंकि मैंने हाल ही में इंटरमीडिएट स्नातक किया है और मैं इस साल 7 मई को ईमसेट की परीक्षा देने जा रहा हूं। दोपहर के समय क्लास होती थी और उसी समय मार्केटिंग करनी पड़ती थी। यह पहल सिर्फ सहरी के बारे में नहीं है, यह उन लोगों के बारे में है जिन्हें वास्तव में सहरी की जरूरत है, जैसे अविवाहित और छात्रावास में रहने वाले छात्र। और इसे ध्यान में रखते हुए हमने इसकी शुरुआत की।”
आगे वह कहते हैं, “रमजान के 20 दिनों के बाद हमने अनाथों और बेघर लोगों को भी खाना खिलाना शुरू किया जिन्हें खाने की वास्तव में आवश्यकता है। हम इसे बड़े पैमाने पर नहीं कर पा रहे हैं कि क्योंकि हमारे पास ज्यादा सोर्स और पैसे नहीं हैं। लेकिन हमारी कोशिश है कि इस स्टार्टअप के ज़रिए तमाम लोगों तक घर का बना खाना पहुंचाया जाए।