अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net
नई दिल्ली : भारतीय मुसलमानों के मुक़द्दस हज को भी भारत सरकार ने अपने भ्रष्टाचार का माध्यम बना लिया है. हद तो ये है कि हाजियों को हज से पहले लगाए जाने वाले दिमाग़ी बुखार के टीकों की ख़रीद में भी जमकर घोटाले हुए हैं और इस घोटाले को सरकार अब स्वीकार भी कर रही है.
बताते चलें कि राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में खुद स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने यह बताया है कि सरकार को साल 2015 में हज यात्रियों हेतु सीजनल इन्फ्लूएंजा टीके (सीआईवी) की खरीद प्रक्रिया में भ्रष्टाचार की शिकायत मिली है.
जे.पी. नड्डा समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद विशम्भर प्रसाद निषाद के तारांकित प्रश्न का जवाब दे रहे थे.
मंत्री नड्डा ने आगे विस्तारपूर्वक बताया कि साल 2015 में एसआईवी की खरीद के लिए चिकित्सा भंडार संगठन (एमएसओ) ने खुली निविदा आमंत्रित की थी. निविदा में दो फार्मा कम्पनी —मैसर्स अबॉट इंडिया लि. तथा मैसर्स सनोफ़ा पाश्चर ने भाग लिया था. निविदा के शर्तों के अनुसार एसआईवी प्रि-फिल्ड सिरीज (पीएफएस) प्रेज़ेन्टेशन में होनी अपेक्षित थी, जो कि विदेशी निर्माताओं के मामले में डब्ल्यूएचओ का निष्पादन, गुणवत्ता और सुरक्षा (डब्ल्यूएचओ पीक्यूएस) मानकों के अनुरूप होनी चाहिए था.
उन्होंने आगे बताया कि इसमें मैसर्स सनोफा पाश्चर का निविदा ठीक पाया गया था और उनकी मूल्य संबंधी निविदा को खोला गया था. इस कंपनी ने 433 रूपये प्रति डोज की दर कोट की थी. एकीकृत खरीद समिति ने इस दर पर मोलभाव किया तथा टीके को 412 रूपये प्रति डोज ख़रीदा गया था.
हालांकि जे.पी. नड्डा ये भी मानते हैं कि 2014 और 2016 में इस टीके को कम दर पर खरीदा गया था. मतलब 2016 में 2015 से कम दाम पर. आरोप यह है कि दूसरी कम्पनी ने खरीदे गए दर से आधी क़ीमत का रेट लगाया था.
इस संबंध में हज कमिटी ऑफ़ इंडिया के सीईओ मो. शहबाज़ अली से बात करने पर वो कहते हैं कि, मुझे इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है. वैसे भी मुझे हज कमिटी ऑफ इंडिया का एडिश्नल चार्ज मिला है. अभी मुझे आए हुए तक़रीबन दो महीने हुए हैं.
बताते चलें कि शहबाज़ अली फिलहाल नेशनल माईनॉरिटीज़ डेवलपमेंट एंड फाईनेंस कॉरपोरेशन के मैनेजिंग डायरेक्टर भी हैं.
स्पष्ट रहे कि सऊदी क़ानून के मुताबिक़ हज पर जाने के लिए हर हाजी को मेडिकल चेकअप कराना ज़रूरी है, क्योंकि हज के लिए सिर्फ़ सेहतमंद लोग ही जा सकते हैं. इसके लिए फिटनेस सर्टिफिकेट बहुत ज़रूरी है. इतना ही नहीं, मेडिकल सर्टिफिकेट को डिस्ट्रिक हेल्थ ऑफिसर से अटेस्टेड कराना भी ज़रूरी है.
साथ ही हज पर जाने से पहले हाजियों को दिमाग़ी बुख़ार का टीका लेना भी ज़रूरी है. इसके लिए हज कमिटी ऑफ इंडिया हर साल हज हाऊस, मुंबई में मेडिकल जांच और उसके बाद दिमाग़ी बुखार के टीके लगाए जाते हैं. बाक़ी राज्यों में हाजी खुद भी कहीं से टीके लगवा सकते हैं और कई जगहों पर हज हाऊस, स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ मिलकर टीके लगाने का कैम्प लगाता है. यही नहीं, पोलियो की खुराक हज पर जाने के छह हफ्ते पहले लेना लाज़िमी है.
हज के साथ-साथ स्वास्थ्य मामलों पर काम करने वाले एक जानकार नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताते हैं कि इस हाजियों के टीके के नाम पर हर साल बड़े स्तर पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री धांधली करता है. एक तो महंगे दर पर टीके खरीदे जाते हैं और ख़रीदा कम जाता है और दिखाया ज़्यादा जाता है. ज़्यादातर राज्यों के हज हाऊस में टीके पहुंच ही नहीं पाते हैं. यानी मतलब साफ़ है कि भारतीय मुसलमानों के इस हज से न सिर्फ़ अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री, हज कमिटी ऑफ़ इंडिया, नागर विमानन मंत्रालय ही लाभवंतित होता है, बल्कि अब भारत सरकार का स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय का नाम भी शामिल नज़र आ रहा है.
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