#HajFacts : हज कमिटी ऑफ इंडिया या हज कम्पनी प्राईवेट लिमिटेड?

अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net


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नई दिल्ली : ईमान लाने के बाद नमाज़, रोज़ा और ज़कात की तरह ‘हज’ भी उन सभी मुसलमानों पर ज़िन्दगी में एक बार फर्ज़ है, जो अपनी माली हालत और सेहत को देखते हुए अपनी ‘हलाल’ कमाई से मक्का जा सकते हों.

इसलिए हर मुसलमान की ख़्वाहिश होती है कि वह अपनी ज़िन्दगी में कम से कम एक बार हज ज़रूर करें. लेकिन आपके ज़रिए अपने हज के लिए दिए गए हलाल पैसे को हज कमिटी बैंक में रखकर उसका ब्याज खाने लगे तो आप क्या कहेंगे?

बताते चलें कि ड्रॉ में नाम आने के बाद हज कमिटी ऑफ इंडिया प्रत्येक हाजी से बतौर पेशगी रक़म 80 हज़ार रूपये लेती है. इस रक़म के जमा करने की तारीख़ इस बार 31 मार्च, 2017 रखी गई थी.

यहां यह भी स्पष्ट रहे कि भारत से इस बार 1,70,025 लोग हज के लिए सऊदी अरब जाएंगे. इनमें 45 हज़ार लोग प्राईवेट टूर ऑपरेटर के कोटे से हैं तो वहीं 1,25,025 लोग सरकारी कोटे से हज पर जा रहे हैं. फिलहाल इस स्टोरी में हम सरकारी कोटे पर बात कर रहे हैं.

जब हम इस 80 हज़ार रूपये का हिसाब-किताब लगाते हैं कि तो हम पाते हैं कि हज कमिटी ऑफ़ इंडिया के पास मार्च महीने के आख़िर तक क़रीब 10 अरब 20 लाख रूपये आ जाते हैं. इस पैसे को यक़ीनन हज कमिटी बैंक में रखती है और इस पैसे के ब्याज का लाभ भी उठाती है.

आरटीआई से मिले अहम दस्तावेज़ बताते हैं कि, हज कमिटी को साल 2014-15 में 46.22 करोड़ रूपये बैंक से ब्याज के तौर पर मिला था. वहीं पिछले पांच साल में ब्याज की ये रक़म 1 अरब 20 लाख रही है. (ये आंकडा़ साल 2010-11 से 2014-15 तक का है.)

अब 80 हज़ार की रक़म से थोड़ा आगे बढ़ते हैं. इस बार हज कमिटी ऑफ़ इंडिया ने ग्रीन कैटेगरी में सेलेक्ट हुए उत्तर प्रदेश के हर हाजी से 2,39,600 रूपये जमा करने को कहा है, वहीं गुजरात वालों के लिए ये रक़म 2,32,650 रूपये है. स्पष्ट रहे कि एयर-फेयर की वजह से हर राज्य का खर्च अलग-अलग है.

अज़ीज़िया कैटेगरी में सेलेक्ट हुए उत्तर प्रदेश के हाजियों को 2,06,200 रूपये जमा करना है तो वहीं गुजरात के हाजियों को सबसे कम 1,99,250 रूपये अदा करना है. इस रक़म के जमा करने की आख़िरी तारीख़ 19 जून, 2017 रखी गई थी.

बताते चलें कि मक्का में रिहाईश के दौरान दो कैटेगरी में लोग रहते हैं. ग्रीन कैटेगरी का मतलब हरम शरीफ़ से 1000 मीटर के अंदर रहने की सुविधा होती है. जबकि अज़ीज़िया कैटेगरी में लोग हरम शरीफ़ से 7-8 किलोमीटर की दूरी पर रहते हैं. 

आईए, अब यहां उत्तर प्रदेश को ध्यान में रखकर बात करते हैं. यहां का हर हाजी को हज पर जाने के लिए ग्रीन कैटेगरी में 2,39,600 रूपये तो अज़ीज़िया कैटेगरी के लिए 2,06,200 रूपये अदा कर चुका है. यहां के हाजियों के लिए इस बार 70 हज़ार रूपये जाने का किराया तय किया गया है (इस मुद्दे पर हम अगली रिपोर्ट में विस्तृत रूप से चर्चा करेंगे) यानी हज कमिटी ऑफ़ इंडिया यहां के हर हाजी से खर्च के नाम पर ग्रीन कैटेगरी वालों से कुल 1,69,600 रूपये तो अज़ीज़िया कैटेगरी के हाजियों से 1,36,200 ले रही है.

अब इस रक़म में से 2100 सऊदी रियाल यानी भारतीय मुद्रा में बात करेंगे तो तक़रीबन 35 हज़ार हर हाजी को सऊदी अरब पहुंचने से पहले दे दिया जाता है ताकि वो इस रक़म को अपने खाने-पीने पर खर्च कर सकें.

बाक़ी बचे ग्रीन कैटेगरी में 1,34,600 रूपये तो अज़ीज़िया में 1,01,200 रूपये हज कमिटी हर हाजी के रहने पर खर्च करती है. साथ ही मीना में रहने के दौरान 5 दिनों के खाने का भी इंतज़ाम करती है. बाक़ी खर्च हाजियों को खुद ही करना पड़ता है.    

अगर रिहाईश पर खर्च की बात करें तो हज कमिटी ऑफ इंडिया से पिछले साल के हासिल दस्तावेज़ बताते हैं कि हज कमिटी मक्का में ग्रीन कैटेगरी पर 4500 सऊदी रियाल तो अज़ीज़िया कैटेगरी पर 2580 सऊदी रियाल खर्च करती है. वहीं मदीना में रिहाईश पर सबके लिए 700 सऊदी रियाल खर्च होते हैं. इस तरह अगर भारतीय मुद्रा को ध्यान में रखते हुए बात करेंगे तो ग्रीन कैटेगरी के हाजियों पर हज कमिटी का तक़रीबन 88 हज़ार रूपये तो अज़ीज़िया कैटेगरी में क़रीब 56 हज़ार रूपये खर्च होते हैं. इसके अलावा मीना में रहने के दौरान पांच दिन के खाने का खर्च अलग से है. लेकिन बाक़ी पैसे कहां खर्च होते हैं, ये हज कमिटी ऑफ इंडिया ही बेहतर बता पाएगी.   

हज कमिटी ऑफ़ इंडिया का यह भी कहना है कि, एक्सचेंज रेट के कम या ज़्यादा होने पर अगर खर्चे की रक़म ज़्यादा होगी तो ज़्यादा रक़म हाजियों से या तो रवानगी के वक़्त सऊदी रियाल 2100 में से ले ली जाएगी या इस बारे में हज कमेटी ऑफ इंडिया अलग से ऐलान करेगी जिसके तहत हर हाजी को ये रक़म जमा करना ज़रूरी है.

यहां यह भी बताते चलें कि 2100 सऊदी रियाल के एक्सचेंज रेट को तय करने के लिए हज कमेटी ऑफ इंडिया टेंडर निकालती है. दस्तावेज़ों की माने तो हज कमिटी का यहां भी फ़ायदा ही फ़ायदा है. हज कमिटी की 2010-11 की एक रिपोर्ट बताती है कि फॉरन एक्सचेंज से लगभग 48 करोड़ का मुनाफ़ा हज कमिटी को हुआ था. आगे के मुनाफ़े की जानकारी जल्द ही से अपने पाठकों से शेयर करने की कोशिश करेंगे.

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नोट : TwoCircles.net की ये ख़ास सीरीज़ #HajFacts आगे भी जारी रहेगा. अगर आप भी हज करने का ये फ़र्ज़ अदा कर चुके हैं और अपना कोई भी एक्सपीरियंस हमसे शेयर करना चाहते हैं तो आप [email protected] पर सम्पर्क कर सकते हैं. हम चाहते हैं कि आपकी कहानियों व तजुर्बों को अपने पाठकों तक पहुंचाए ताकि वो भी इन सच्चाईयों से रूबरू हो सकें.

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