आकिल हुसैन। Twocircles.net
जॉर्डन के अम्मान में चल रही एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में भारतीय बॉक्सर अल्फिया खान ने गोल्ड मेडल जीता है। मात्र 20 वर्ष की अल्फिया ने 81 किलो का भार उठाकर गोल्ड मेडल अपने नाम किया है। अल्फिया ने जॉर्डन की इस्लाम हुसैली को हराकर भारत के कुल मेडलों की संख्या 7 पहुंचा दी है। ख़ास बात यह है कि यह इस टूर्नामेंट में भारतीय महिला खिलाडियों को मिला यह चौथा स्वर्ण है।
नागपुर के मनकापुर की रहने वाली अल्फिया खान तेज़ी के साथ अंतराष्ट्रीय स्तर पर बॉक्सिंग में अपनी चमक बिखेर रहीं हैं। एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने वाली अल्फिया नागपुर की पहली महिला बॉक्सर बनी है। अल्फिया ने 2017 में मात्र 15 साल की उम्र में ही बॉक्सिंग करना शुरू कर दिया था। शुरुआत से ही अल्फिया की मंशा खेल में ही अपना कैरियर बनाने में रहीं, परिवार की इजाज़त के बाद अल्फिया अपनी इस मंशा को पूरा करने में लग गईं।
अल्फिया ने बॉक्सिंग की ट्रेनिंग रोहतक में साई राष्ट्रीय मुक्केबाजी अकादमी में ली। वहां अमनप्रीत कौर और गणेश पुरोहित नामक ट्रेनरों की मदद से अल्फिया ने मुक्केबाजी की बारीकियां सीखी। उन्होंने जूनियर मुक्केबाज के रूप में अपने कैरियर की शुरुआत की और 2018 में ही घरेलू भारतीय महिला स्कूल राष्ट्रीय खेलों और महिला जूनियर राष्ट्रीय चौंपियनशिप में मुक्केबाजी में कई पदक जीते।
घरेलू स्तर पर अल्फिया के द्वारा किए गए शानदार प्रदर्शन के बदौलत सफलता के रास्ते खुलते चले गए और 2018 में ही अल्फिया को सर्बिया में आयोजित अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी चैंपियनशिप के द्वितीय राष्ट्र कप के लिए भारत की जूनियर टीम में शामिल किया गया। यह अल्फिया के लिए पहली अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप थी और इसमें उन्होंने रजत मेडल जीता था।
अपने पहले अंतराष्ट्रीय स्तर की चैंपियनशिप में पदक हासिल करने के बाद 2019 में सर्बिया के व्रबास में आयोजित अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी चैंपियनशिप के तीसरे राष्ट्र कप में अल्फिया ने भारत के नाम कांस्य मेडल जीता। इस चैंपियनशिप में वो रूसी बॉक्सर वोरोत्सोवा वेलेरिया से हारकर तीसरे नंबर पर रहीं थीं।
अल्फिया खान का अंतराष्ट्रीय पटल पर शानदार प्रदर्शन जारी रहा। इसके बाद उन्होंने संयुक्त अरब अमीरात के में आयोजित एशिया की पहली जूनियर चैंपियनशिप में कजाकिस्तान की मगौयेवा डायना को 80 किलो भार के वर्ग में हराकर गोल्ड मेडल का ताज अपने नाम किया।
अल्फिया का राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रदर्शन हमेशा शानदार रहा। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर के चैंपियनशिप में दो गोल्ड मेडल, दो रजत और एक कांस्य मेडल जीते हैं। महाराष्ट्र की राज्य बॉक्सिंग चैंपियनशिप में अल्फिया का प्रदर्शन एकदम अद्भुत रहा। अल्फिया ने 80 किलो भार के वर्ग में प्री-क्वार्टर फाइनल, क्वार्टर फाइनल और फाइनल मुकाबलों में जीत हासिल की थी।
अल्फिया ख़ान के परिवार में मां नूरजहां , पिता अकरम खान के अलावा दो भाई भी हैं। अल्फिया के पिता नागपुर पुलिस में असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर हैं तो वहीं दोनों भाई एथलीट हैं। एक भाई थ्रोबॉल खेलता है तो वहीं दूसरे भाई बॉक्सर हैं। अल्फिया अपने शुरुआती दिनों में बैडमिंटन खेला करती थी लेकिन अपने भाई को देख देख कर वो बॉक्सिंग की और आकर्षित हुई और फिर उसकी ही तैयारी करने लगीं। फिर अल्फिया ने भी उसी कोच से ट्रेनिंग ली जिससे उनके भाई ने ली थी।
अल्फिया खान अपने परिवार में बॉक्सिंग करने वाली पहली महिला हैं। अल्फिया के अनुसार शुरुआत में उनके पिता उन्हें बॉक्सिंग करते हुए देखकर खुश नहीं होते थे हालांकि उनके पिता ही बाद में उनके सबसे बड़े प्रशंसक बन गए। अल्फिया इस कोशिश में रहतीं थीं और ज़ोर भी देती थी कि ज़्यादा तादाद में महिलाएं बॉक्सिंग से जुड़े।
अल्फिया के भाई बांए हाथ से मुकाबला करने वाला बॉक्सर है। अल्फिया को बॉक्सिंग में माहिर बनाने में उनके भाई का भी योगदान रहा है। उनके भाई भी राष्टीय चैंपियनशिप में कई मेडल भी जीत चुके हैं। अल्फिया नागपुर की पहली महिला हैं जिनको 2018 में खेलो इंडिया स्पॉन्सरशिप मिली थी। अल्फिया के बारे में खास बात यह है कि वो हज का सफर भी कर चुकीं हैं।