By मो. इस्माइल खां, TwoCircles.net,
भोपाल: नरेन्द्र मोदी सरकार की वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री नजमा हेपतुल्ला ने जब फंदा कलां गाँव को प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के अंतर्गत ‘गोद’ लिया, उस वक्त भी यह अन्य द्वारा किये जा रहे तड़क-भड़क से भरे आयोजनों सरीखा लग रहा था. लेकिन इस गाँव को गोद लिए जाने की पीछे की सचाई से यदि रू-ब-रू हुआ जाए तो इस बात का भान हो आता है कि भगवा समाज में मुस्लिम समुदाय की क्या हैसियत रह गयी है, वह भी उस वक्त जब कबिनेट का एक वरिष्ठ मंत्री भी इस समुदाय से ताल्लुक रखता है.
बीते 27 नवंबर को केन्द्रीय अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री नजमा हेपतुल्ला ने यहां से 23 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गाँव फंदा कलां को गोद लिया. जब एक तरफ़ गाँव को गोद लेने-लिवाने का जश्न मनाया जा रहा था, उस वक्त कोलू खेड़ी गाँव – जहां नजमा हेपतुल्ला का पैतृक निवास भी मौजूद है – के लोग खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे थे. मुस्लिम आबादी से सिंचित गाँव कोलू खेड़ी के लोग कहते हैं कि ‘उनके गाँव को इसलिए गोद नहीं लिया गया क्योंकि इस इलाके की आबादी संघ को रास नहीं आयी.’
नजमा हेपतुल्ला से बात करने की कोशिशें विफल हुईं लेकिन उनके भतीजे ने कहा कि ‘यदि नजमा जी अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री हैं, तो यह ज़रूरी तो नहीं कि वे अल्पसंख्यक समुदाय के आबादी वाले गाँव को ही गोद लें.’
कोलू खेड़ी गाँव के सरपंच मोहम्मद रईस के अनुसार नजमा हेपतुल्ला के कार्यालय द्वारा आदर्श ग्राम योजना के तहत गोद लेने के लिए पहले कोलू खेड़ी गाँव को वरीयता दी गयी, लेकिन बाद में अन्य गाँव को गोद ले लिया गया. रईस कहते हैं, ‘तीन महीनों पहले नजमा जी के ऑफिस से तीन अधिकारी यहां आए थे. मैं उनको पूरा गाँव दिखाने ले गया था. उन्होंने सड़कों, व्यवस्थाओं, सीवेज के निष्कासन और आँगनबाड़ी कार्यों का जायज़ा लिया था. उन्होंने वायदा किया कि गाँव को गोद लेने की प्रक्रिया को जल्द अंजाम दे दिया जाएगा. लेकिन 15 दिनों पहले हमें यह खबर मिली कि उन्होंने ऐन वक्त इस गाँव को गोद न लेकर पड़ोस के किसी गाँव को गोद ले लिया.’
मोहम्मद रईस ने दावा किया कि श्रीमती हेपतुल्ला अभी भी साल में एक बार अपने पैतृक गाँव आती हैं और पहले से वे इस गाँव को मुख्य सड़क से जोड़ने के लिए सड़क के निर्माण के लिए ज़ोर दे रही थी.
यह पूछने पर कि नजमा हेपतुल्ला ने पड़ोस के दूसरे गाँव को गोद क्यों लिया, रईस कहते हैं, ‘इसका जवाब सिर्फ़ शर्मा जी ही दे सकते हैं क्योंकि वे ही नजमा जी को फंदा कलां ले गए थे.’ यहां जानकारी के लिए बता दें कि शर्मा जी से आशय इस क्षेत्र के विधायक रामेश्वर शर्मा से है.
मध्य प्रदेश भाजपा के अल्पसंख्यक सेल के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ‘रामेश्वर शर्मा ने मुख्यमंत्री कार्यालय के संपर्कों की मदद से नजमा जी पर मुस्लिम आबादी वाले गाँव को गोद न लेने का दबाव बनाया. इसके बाद इस पूरी योजना का केन्द्र पड़ोस के गाँव में स्थापित हो गया, जहां मुस्लिम आबादी न के बराबर है.’
स्थानीय लोगों का कहना है कि गोद लिए गए गाँव फंदा कलां की 4000 की आबादी में सिर्फ़ तीन मुस्लिम परिवार हैं, जो वैसे भी घुमंतू कामगार हैं. जबकि कोलू खेड़ी गाँव की 3000 की आबादी में 35 प्रतिशत हिस्सा मुस्लिमों का है.
कोलू खेड़ी गाँव स्थित नजमा हेपतुल्ला की पुश्तैनी ज़मीन
भाजपा के अल्पसंख्यक सेल के नेता ने TCN से बातचीत में कहा कि, ‘जब एक कैबिनेट मिनिस्टर को स्थानीय नेता के दबाव में काम करना पड़ रहा है, तो आप अंदाज़ लगा सकते हैं कि हम पार्टी में किस हाल में काम करते होंगे.’
हाल ही में गरबा के उत्सवों में मुसलमानों के प्रवेश के खिलाफ़ प्रदर्शन कर रामेश्वर शर्मा ने खबरों में जगह बनायी थी. ज्ञात हो कि रामेश्वर शर्मा ने यह भी बार-बार कहा था कि मुस्लिमों को यदि हिन्दू उत्सवों या त्यौहारों में शिरकत करनी है तो उन्हें गाय का पेशाब पीना पड़ेगा.
आदर्श ग्राम योजना के क्रियान्वन के दौरान विधायक रामेश्वर शर्मा व अन्य के साथ नजमा हेपतुल्ला
कोलू खेड़ी के नागरिकों का कहना है कि इस मामले का सिर्फ़ यह आधार नहीं है कि इस गाँव की करीबी नजमा जी से है, बल्कि तथ्य यह है कि फंदा कलां के मुक़ाबिले कोलू खेड़ी कहीं ज़्यादा अविकसित है. कोलू खेड़ी और फंदा कलां गाँवों का मुआयना करने के बाद स्थिति साफ़ हो ही जाती है और इस बात का भी भान हो जाता है कि किस गाँव को विकास की ज़्यादा ज़रूरत है.
पठारी मैदान और जंगली झीलों के बीच मौजूद कोलू खेड़ी गाँव में न पक्की सड़क और न ही सीवर की समुचित व्यवस्था. घरों के दरवाजों के सामने खुले हुए सीवर और ड्रेन-लाईनें मौजूद हैं. साथ ही साथ पूरे गाँव की आबादी के लिए सिर्फ़ एक प्राइमरी स्कूल है
गाँव कोलू खेड़ी के प्राथमिक विद्यालय के सामने बहता खुला नाला
इसके उलट यदि फंदा कलां का अवलोकन करें तो यह एक ऐसा गाँव है, जो मुख्य हाइवे और सेहोर शहर के बाईपास के बीच स्थित है. यहां के लोग इसे व्यापार केन्द्र कहते हैं. फंदा कलां के ब्लॉक विकास अधिकारी की मानें तो यहां एक अस्पताल है, चार प्राइमरी स्कूल हैं, एक हाईस्कूल और 500 मीटर में फैला हुआ एक बाज़ार है. यदि नजमा हेपतुल्ला की योजनाएं काम कर जाती हैं तो इस इलाके में एक कन्या महाविद्यालय, कृषि विज्ञान व तकनीकी केन्द्र, गोबर गैस संयंत्र, फ़ूड पैकिंग और जैविक खेती के केन्द्र भी होंगे.
चाय की दुकान चलाने वाले पवन कहते हैं कि फंदा कलां एक ब्लॉक स्तरीय गाँव है जबकि कोलू खेड़ी एक खांटी ग्रामीण परिवेश का गाँव है. पवन की बात में बात मिलाते हुए एक अन्य स्थानीय जावेद खान कहते हैं, ‘नजमा जी को अपना पैतृक गाँव गोद लेना चाहिए था, जिसे विकास की ज़्यादा ज़रूरत है. लेकिन हम सब जानते हैं कि इस तरह के सभी फैसलों में राजनीतिक दखलअंदाजी का अपना हाथ होता है.’
ग्राम पंचायत
प्रदेश भाजपा के नेता और नजमा हेपतुल्ला के भतीजे अल्तमाश अली मानते हैं कि कोलू खेड़ी नजमा जी का पैतृक गाँव है और उनके पिता स्वर्गीय सैयद यूसुफ़ अली की ज़मीन अभी भी वहां मौजूद है. लेकिन अली यह भी कहते हैं कि ‘नजमा जी के लिए सारे गाँव बराबर हैं.’
अली ने बात को पुख्ता करते हुए कहा कि विधायक रामेश्वर शर्मा के सुझाव पर ही नजमा जी ने फंदा कलां का चुनाव किया. वे बताते हैं कि ‘शर्मा जी दिल्ली गए और उन्होंने गाँवों का सुझाव दिया. इन गाँवों में से नजमा जी ने उस गाँव का चुनाव किया, जहां विकास कार्यों की ज़्यादा ज़रूरत थी.’ फंदा कलां की मुस्लिम आबादी के बारे में पूछे जाने पर अली कहते हैं कि ‘यह बहुत संतोषजनक नहीं है, लेकिन यह भी ज़रूरी नहीं कि अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री अल्पसंख्यक बहुलता वाला गाँव ही गोद ले.’
अली आगे कहते हैं कि ‘आदर्श ग्राम का चुनाव राज्यसभा की सदस्यता की जिम्मेदारी के तहत हुआ है. इसका नजमा जी के मंत्रालय से कोई लेना-देना नहीं है. यह उनका अपना व्यक्तिगत चुनाव था, न कि कोई मंत्रालयी फ़ैसला.’
इन सबके उलट नजमा के पैतृक गाँव कोलू खेड़ी के गाँव के लोग इन दलीलों को सुनने को तैयार नहीं हैं और वे नजमा हेपतुल्ला का सामना करने के लिया तैयार हैं. वे कहते हैं ‘जब भी वे गाँव का मुआयना करने आएँगी, तब हम नजमा जी से प्रश्न करेंगे कि उन्होंने अपने ही गाँव के लोगों को धोखा क्यों दिया?’
स्लाईडशो:
(अनुवाद: सिद्धान्त मोहन)
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