बाबरी विध्वंस केस : जानिए, सुनवाई से ठीक एक दिन पहले जस्टिस नरीमन को क्यों हटाया गया?

TwoCircles.net Staff Reporter

नई दिल्ली : पूरे देश में अयोध्या के विवादित बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि की चर्चा अपने चरम पर है. सुप्रीम कोर्ट के आपस में बैठकर हल निकालने वाले टिप्पणी को देश के तमाम अख़बारों व चैनलों ने प्रमुखता से छापा और दिखाया है. लेकिन कल की यह ख़बर शायद ही किसी मीडिया ने दिखाया या छापा हो कि बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस पीसी घोष और जस्टिस आरएफ़ नरीमन की बेंच से जस्टिस नरीमन को निकाल कर जस्टिस दीपक गुप्ता को शामिल कर लिया गया है.


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हालांकि आज सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले की सुनवाई कल के लिए स्थगित कर दी है. इस मामले में आज सुप्रीम कोर्ट को फैसला सुनाना था. हालांकि आज इस बेंच के अध्यक्ष पीसी घोष ने कहा कि जस्टिस आरएफ़ नरीमन दोबारा इस बेंच में आ सकते हैं. 

बताते चलें कि इससे पहले 6 मार्च की सुनवाई में जस्टिस आरएफ नरीमन ने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में आरोपियों के ट्रायल में हो रही देरी को लेकर चिंता जताई थी. अदालत ने कहा था कि न्‍यायिक प्रक्रिया को तेज़ करने के लिए आरोपियों का संयुक्‍त ट्रायल चलाया जा सकता है.

इस सुनवाई में जस्टिस नरीमन ने इस बात का भी संकेत दिया था कि भाजपा व 13 हिन्दू नेताओं के ख़िलाफ़ दोबारा सुनवाई हो सकती है. साथ ही सीबीआई को भी यह सुझाव दिया था कि वे रायबरेली व लखनऊ में चल रहे मामलों को एक साथ सुनवाई के लिए लगाएं और सुनवाई लखनऊ में हो. 

इसी सुनवाई में जस्टिस पीसी घोष और जस्टिस आरएफ नरीमन की बेंच ने सीबीआई और हाजी महबूब अहमद की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुनवाई की आज की तारीख तय की थी. बताते चलें कि ये याचिका सीबीआई व हाजी महबूब अहमद ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए दायर की थी.

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस मामले में आरोपी रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, केंद्रीय मंत्री उमा भारती, राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह, वरिष्‍ठ नेता मुरली मनोहर जोशी, विनय कटियार सहित अन्य को निर्दोष पाया था. ऐसे में अगर सुप्रीम कोर्ट फैसला बदलती है तो इन सभी नेताओं के खिलाफ़ पुराना मामला फिर से खोला जा सकता है, जिससे इन नेताओं की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

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