By सिद्धान्त मोहन, TwoCircles.net,
वाराणसी: हाल ही में बीते लोकसभा चुनाव में जिस वाराणसी संसदीय सीट से नरेंद्र मोदी ने भारी बहुमत से जीत दर्ज की, उस सीट के बारे में एक चौंका देने वाला खुलासा सामने आया है. भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा आदेशित जाँच के दौरान अब तक बनारस में 3,11,057 मतदाता फर्जी साबित हो चुके हैं.
ज्ञात हो कि बनारस यानी वाराणसी ही वह लोकसभा सीट है, जहां से नरेन्द्र मोदी ने चुनाव लड़ा और आम आदमी पार्टी के अरविन्द केजरीवाल को 3,71,784 वोटों से पराजित किया था. जिला प्रशासन का अनुमान है कि यह गिनती 6 लाख से ऊपर पहुंच सकती है.
इन फर्जी वोटरों का खुलासा तब हुआ, जब भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश पर जिला प्रशासन ने मतदाता सूची का पुनरीक्षण अभियान शुरू किया. बनारस के सभी 8 विधानसभा क्षेत्रों में 11 मतदान केन्द्रों पर बने 2553 बूथों के अफ़सरों द्वारा घर-घर जाकर मतदाताओं का सत्यापन करवाने के बाद इन फर्जी मतदाताओं का खुलासा हुआ है.
हमने इस बाबत कांग्रेस के नगर अध्यक्ष प्रजानाथ शर्मा से बात की. प्रजानाथ शर्मा ने कहा, ‘देखिए, भाजपा और आरएसएस जहां-जहां होंगी, वहां यह स्थिति उभरेगी. यह इनका देशव्यापी अभियान है कि जीत दर्ज करने के लिए फर्जी वोटर जोड़ दिए जाएं. इन्होंने यहां प्रशासन को भी दबाव में ले लिया. इन घटनाओं के मद्देनज़र प्रशासन को भी सचेत रहना चाहिए.’ उन्होंने आगे कहा कि, ‘आप लिख लीजिए, चाहे तो आप सर्वे करवा लें. जिन-जिन जगहों पर इनकी सरकार है, वहां-वहां उन्होंने इस काम को अंजाम दिया है.’ भाजपा के चुनावी एजेंडे पर आते हुए प्रजानाथ शर्मा ने कहा, ‘यदि इनका ध्यान सचमुच विकास पर होता तो इन्हें जीत के लिए इन सब हथकंडों की ज़रूरत नहीं होती. ये ऐसे ही चुन लिए जाते. इन्होंने सीधे तौर पर इन फर्जी वोटरों का फायदा उठाया है, जो शायद नहीं होते तो नरेन्द्र मोदी को जीतने में काफी मशक्क़त करनी पड़ती. हमारी और कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं की गलती भी है कि हम इन सब चीज़ों को लेकर सचेत नहीं थे.’
जिला प्रशासन की जांच की मानें तो पिंडरा में 1,12,160; अजगरा में 1,01,456; शिवपुर में 87,140; रोहनिया में 84,757; शहर उत्तरी में 61,795; शहर दक्षिणी में 42,866; कैंट में 65,969 व सेवापुरी में 90,942 फर्जी वोटरों की संभावना अभी भी बनी हुई है.
वाराणसी संसदीय सीट पर हुए चुनाव में भाजपा उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल को 3,71,784 वोटों के अंतर से हराया था. कांग्रेस उम्मीदवार अजय राय 75,614 मतों के साथ तीसरे स्थान पर, बसपा के विजय प्रकाश जायसवाल 60,579 वोटों के साथ चौथे और सपा के कैलाश चौरसिया 45,291 वोट हासिल कर पांचवे स्थान पर अपनी जगह बना पाए.
मतदाताओं को भिन्न-भिन्न तरीकों से प्रभावित करने और घोषणा पत्र में पत्नी जशोदा बेन के आय का ब्यौरा न देने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस के प्रत्याशी और पिंडरा के विधायक अजय राय ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वाराणसी से निर्वाचन को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी, जिस पर अभी भी सुनवाई जारी है.
हुआ यूं कि निर्वाचन आयोग के निर्देश पर 1 जनवरी 2015 को 18 साल की उम्र पूरी करने वाले युवाओं का नाम वोटर लिस्ट में जोड़ने के साथ-साथ पुराने मतदाताओं के सत्यापन का काम शुरू हुआ. आगे 5 जनवरी 2015 को भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश पर नई वोटर लिस्ट प्रकाशित होगी, जिसमें से इन फर्जी मतदाताओं को गायब कर दिया जाएगा.
एक ओर जहां कांग्रेस इन फर्जी वोटों को भाजपा का जनाधार बता रही है, वहीं भाजपा इसे अन्य पार्टियों के पाले में डालकर शायद बचने का प्रयास कर रही है. भाजपा के नगर अध्यक्ष टी.एस. जोशी ने कहा, ‘पहले हम एक बात साफ़ करना चाहते हैं कि यह सारे वोट फर्जी नहीं हैं, ये बोगस हैं. सालों से कोई सुधार ही नहीं हुआ है वोटर लिस्ट में. जो जहां है, वह चला आ रहा है.’ हमने उन्हें बताया कि यह तो बूथ-लेवल पर सर्वे के आधार पर बनी लिस्ट है तो उन्होंने कहा, ‘पहले जिस तरह से मैनुअल लिस्ट बनती थी, वह ज़्यादा प्रामाणिक थी. उसी आधार पर काम किया जाना चाहिए.’ भाजपा को मिले संभावित फ़ायदे के बारे में जोशी कहते हैं, ‘हम एक बात साफ़ कर देना चाहते हैं कि यदि मतदाता सूची सही होती तो श्री नरेन्द्र मोदी जी पाँच लाख से भी ज़्यादा मतों से जीतते. यह निर्वाचन आयोग की गलती है.’ फर्जी वोटर के प्रश्न को फर्जी वोटिंग से जोड़ते हुए उन्होंने कहा, ‘आपको क्या लगता है फर्जी वोटिंग आसान है? एकदम भी आसान नहीं है. कोई नहीं डाल सकता. जिनके नाम थे, वे तो वोट डाल नहीं पा रहे थे, फर्जी वोट कैसे पड़ेगा? यह सम्भावना ज़रूर हो सकती है कि यदि यह वोटर नहीं होते तो अन्य पार्टियों को बेहद कम वोट गए होते.’
इस फर्जीवाड़े के बाबत आम आदमी पार्टी ने अपने फेसबुक पेज पर पोस्टर लगाया है और लिखा है कि ‘यह सवाल दिलचस्प है कि फर्जी वोटरों की इतनी बड़ी संख्या कहां से और किस मकसद से आई? निर्वाचन आयोग ने लोकसभा चुनाव से पहले इतनी बड़ी धांधली को क्यों नही पकड़ा?’
आम आदमी पार्टी का युवा चेहरा अलका लाम्बा TCN से बातचीत में कहती हैं, ‘यह गड़बड़ी बनारस के वोटर के साथ धोखा और फ्रॉड है. यह चुनाव आयोग का काम है. अब यह काम किसे फायदा पहुंचाने के लिए किया गया, उसकी जांच होनी चाहिए.’ सुश्री लाम्बा ने आगे कहा, ‘अनुमान के आधार पर मैं कह सकती हूं कि भाजपा की पूरी प्रतिष्ठा इस चुनाव से जुडी हुई थी. वे तो खुलेआम कहते थे कि हर हाल में हमें यह चुनाव जीतना है. इस हिसाब से भाजपा पर पूरा ध्यान जाता है.’ वे आगे कहती हैं, ‘लोगों को ईमानदारी और निष्पक्षता से अपनी सरकार चुनने का अधिकार होना चाहिए. यह लोकल वोटर के साथ धोखा है. यह पार्टी का नहीं बल्कि मेरा अपना निजी मत है कि चुनाव रद्द किए जाने चाहिए और फ़िर से वोटिंग कराई जानी चाहिए.’
सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी दया शंकर उपाध्याय के अनुसार सबसे ज्यादा फर्जी वोटर कैंट विधानसभा क्षेत्र में मिले हैं. इनका नाम वोटर लिस्ट से बाहर किया जा रहा है. बीते लोकसभा चुनाव की सबसे हाई-प्रोफ़ाइल सीट बनारस में इतनी भयानक धांधली का पकड़ा जाना एक बड़ी घटना की तरह देखा जा रहा है.