बिहार चुनाव: महागठबंधन की गर्जना

अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net

पटना: लोकतंत्र में भीड़ बहुत कुछ कहती है. सियासी पार्टियां जनसैलाब को अपनी ताक़त के तौर पर प्रचारित करती आई हैं. ऐसे में इस पैमाने पर देखें तो रविवार को हुई महागठबंधन की ‘स्वाभिमान रैली’ ने बिहार के सियासी माहौल में भारी हलचल पैदा कर दी है. स्थानीय लोगों के मुताबिक गांधी मैदान में यह अब तक की सबसे बड़ी रैली थी.


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इस रैली को लेकर गठबंधन की तीनों पार्टियां काफी उत्साहित थी. समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता भी रैली में खूब दिखे. सुबह से ही पटना की सड़कें महागठबंधन के नेता व कार्यकर्ताओं से पट गयी थीं. हर तरफ़ से अलग-अलग ज़िलों से आए कार्यकर्ता पूरे जोश-खरोश के साथ बैंड-बाजों व ढोल-तासों की धुन पर नाचते हुए गांधी मैदान की ओर पद-यात्रा कर रहे थे. रास्ते में जगह-जगह ‘बिहार में बहार हो, फिर से नीतीश कुमार हों’ तथा ‘ए गो मुझौसा ललकरले बा हमनी के स्वाभिमान… चलह चलह हो भईया गांधी मैदान…’ जैसे भोजपुरी गाने कार्यकर्ताओं के जोश को दोगुना करने की नीयत से बजाए जा रहे थे. कई लोग गले में प्याज की माला डाले हुए थे. मैदान की ओर जाने वाले रास्तों पर सत्तू और नींबू पानी का विशेष प्रबंध था. कड़ी व तपती धूप भी इनके हौसलों को पस्त नहीं कर पा रही थी. सिर्फ गांधी मैदान ही नहीं, पूरा पटना लोगों से पट गया था. लोगों के मुताबिक जितने लोग गांधी मैदान के अंदर थे, उससे कई गुना ज्यादा लोग मैदान के बाहर थे.

रैली में सबसे अधिक संख्या युवाओं की थी. तय समय-सीमा के कुछ ही मिनटों के बाद मंच से युवाओं में जोश भरने के ख़ातिर लालू के बेटे तेजस्वी यादव नज़र आए. खूब गरजे. बीजेपी व मोदी पर ख़ूब सवाल खड़े किए. पैकेज पर बात करते हुए यहां तक कह डाला कि ‘मोदी जी! बिहार की जनता बिकाउ नहीं, टिकाउ है’. जब तेजस्वी बोल रहे थे तब प्रेस दीर्घा में हमारे मीडिया के साथी तेजस्वी की तुलना चिराग़ पासवान से करते नज़र आए.

भीड़ को देखकर पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार भी उत्साहित नज़र आईं. जमकर बीजेपी व पीएम मोदी पर हमला बोला ‘हम भिखारी नहीं, बिहारी हैं और बिहार के लोगों! इन मनुवादियों को उखाड़ फेंकों.’

राबड़ी देवी भी निशाना साधने में पीछे नहीं रहीं. खूब बोलीं. जब राबड़ी बोल रही थी, तब लालू हंसते हुए नज़र आ रहे थे. भाषण ख़त्म करके जाते हुए राबड़ी को लालू ने हंसते हुए यहां तक बोल दिया कि ‘कितना बोल दिया.’

रघुवंश प्रसाद भी पूरे जोश में नज़र आए और इस रैली को ‘रैला’ करार दिया. बल्कि आगे ‘रैला’ को भी बदलकर ‘रेल्ला’ कह दिया. उन्होंने बताया कि इस रैला की पूरे दुनिया में चर्चा होगी, ये बिहार की ऐतिहासिक रैली है. जदयू नेता अली अनवर भी अपने जोशीले अंदाज़ में दिखे.

सपा नेता शिवपाल यादव की ज़बान थोड़ी फिसल गई. उन्होंने कहा, ‘जब बिहार में परिवर्तन होगा, तो इसका सीधा असर यूपी पर पड़ेगा. हम सबको मिलकर परिवर्तन करना है.’ हालांकि आगे उन्होंने स्पष्ट किया, ‘नेता जी (मुलायम सिंह यादव) ने कहा है कि इस महागठबंधन को हमें मज़बूत करना है.’

शिवपाल यादव ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा ‘कितने झूठे वादे… कितने झूठे सपने… जादू लंबा नहीं चलता. मोदी सरकार में हमारे देश का कर्ज बढ़ता जा रहा है. 461 करोड़ का क़र्ज़ा है. देश के कुल बजट का 21 फीसदी ब्याज में जा रहा है.’

केन्द्र में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आज़ाद ने भाजपा पर वार करते हुए कहा, ‘बिहार के लोगों! मोदी के बहकावे में मत आना. मोदी के पैकेज इलेक्शन पैकेज होते हैं. यही पैकेज का वादा कश्मीर में किया था, लेकिन 10 महीनों के बाद भी यहां की जनता को कोई पैकेज नहीं मिला.’ आगे उन्होंने कहा, ‘हम डूब गए, लेकिन हम नहीं चाहते कि बिहार के लोग भी डूबे.’

अब बारी सोनिया गांधी के बोलने की थी. उन्होंने मोदी सरकार को जमकर घेरा. सरकार को किसान-विरोधी बताया. मोदी के 56 इंच के सीने को खोखला बताया. पाकिस्तान व सीमा के मसले पर भी जमकर निशाना साधा. कथनी व करनी के फ़र्क को लेकर भी सवाल खड़े किए.

उन्होंने मोदी से सवाल करते हुए कहा, ‘एक लाख युवकों को रोज़गार का क्या हुआ? व्यापम में तो लाखों नौजवानों का भविष्य ख़राब कर दिया आपने.’ उन्होंने यह भी कहा, ‘मोदी सरकार किसान विरोधी सरकार है. किसानों की ज़मीनों को छीनकर वो अपने चंद अमीर दोस्तों में बांटना चाहते हैं.’

सोनिया इतने पर ही नहीं रूकी. उन्होंने कहा, ‘देश में महंगाई बढ़ती जा रही है, रूपये की क़ीमत गिरती जा रही है. जब हमारी सरकार में एक बार रूपये की क़ीमत गिरी थी तो भाजपा के ही एक नेता ने कहा था कि पीएम की गरिमा गिर गई है. तो क्या पीएम मोदी की गरिमा इससे अधिक नहीं गिरी है?’

नीतीश कुमार ने भी जमकर मोदी पर निशाना साधा. बिहार में क्राईम के आंकड़ों को भी पेश किया और मोदी से पूछा, ‘मोदी जी! काला धन कब दीजिएगा? नक़द दीजिएगा या चेक से दीजिएगा? या जन-धन वाले खाता में डालिएगा?’ आगे उन्होंने कहा, ‘कम से कम बोहनी तो कर देते. 15 लाख न सही, 15-20 हज़ार ही डाल देते.’

लालू ने भी मोदी व अमित शाह पर जमकर चुटकी ली. अमित शाह के बिहार के लिफ्ट में फंसने की कहानी भी सुनाई. मोदी के बोलने की नक़ल भी की. साथ ही लोगों को सतर्क रहने की अपील भी की.

लालू ने कहा कि पीएम मोदी ने राम और गंगा को भी धोखा दिया है. उन्होंने कहा, ‘पीएम को बनारस के बुनकरों की हालत के बारे में पूछना चाहिए. पीएम मोदी कहते हैं कि स्मार्ट सिटी बनाएंगे, हम कहते हैं कि स्मार्ट गांव बने.’

लालू ने चुटकी लेते हुए कहा, ‘लागल झुलनियां में धक्का, बलम कलकत्ता चले. गुजरात जल रहा है और ये खरहा की भागे फिर रहे हैं. इधर वो थोड़ा चिड़चिड़ा गए हैं. मालूम हुआ कि गया में उनके पुरखे इंतज़ार कर रहे थे कि उनका औलाद पिंडदान करेगा, लेकिन वे आए और दूसरा पिंड पारकर चले गए.’

जब लालू बोल रहे थे तो गांधी मैदान में लोगों का उत्साह देखने लायक था. अब तक मौसम भी काफी सुहाना हो चुका था. पानी की हल्की-हल्की फुहारें भी पड़ने लगी. लालू के इस भाषण के साथ यह रैली खत्म हुई. लोग फिर से गांधी मैदान में ढोल नगाड़ों की धुन पर नाचने लगे. उधर मंच से नीतीश कुमार का थीम सांग बज रहा था. लोग धीरे-धीरे गांधी मैदान से निकल रहे थे. पूरी सड़क लोगों से पटी पड़ी थी. सड़कों पर न ऑटो चली और न ही बस. लोग पैदल ही अपने मंज़िल की ओर बढ़ रहे थे. और हर किसी के ज़ुबान पर लालू के भाषण की चर्चा थी.

खैर, लालू-नीतीश का साथ आना बिहार में वोटों के एक बड़े गठजोड़ का सीधा संकेत दे रहा है. यदि इस गठजोड़ की आंधी वोटिंग के दिन तक क़ायम रही तो बीजेपी के लिए बिहार ही नहीं, बल्कि आने वाले कई राज्यों के चुनाव में एक बड़े ज़ख्म की शुरूआत साबित हो सकती है.

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