अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net
किशनगंज: बिहार के मुस्लिम बहुल इलाके सीमांचल में अपनी राजनीतिक जड़ें मज़बूत करने के लिए ओवैसी एक बार फिर 28 नवम्बर को किशनगंज में होंगे. यह अलग बात है कि हाल ही में बिहार विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी के सभी उम्मीदवार हार गए. कुछ प्रत्याशी तो अपनी ज़मानत भी बचा पाने में भी नाकाम रहे.
असदुद्दीन ओवैसी किशनगंज में न सिर्फ़ हार की समीक्षा करेंगे, बल्कि बिहार में अपनी पार्टी के लिए संभावनाएं भी तलाश करेंगे. इसके साथ ही 2016 में होने वाले पश्चिम बंगाल के चुनाव, 2017 में होने यूपी चुनाव और 2019 में होने लोकसभा चुनाव के लिए अपने ‘मिशन’ का भी आगाज़ करेंगे.
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (मजलिस) की बिहार इकाई के अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने TwoCircles.net से बातचीत में बताया, ‘ओवैसी 27 नवम्बर की शाम किशनगंज पहुंच जाएंगे. 28 नवम्बर को सुबह 10 बजे किशनगंज के टाउनहॉल में पार्टी वर्कर्स की मीटिंग हैं. जिसमें पार्टी के तमाम कार्यकर्ताओं के साथ-साथ चुनाव लड़ने वाले 6 उम्मीदवार भी शामिल रहेंगे.’
आगे उन्होंने बताया, ‘ओवैसी पार्टी द्वारा कार्यकर्ताओं की हौसलाफ़ज़ाई के साथ-साथ आगे की रणनीति भी तैयार की जाएगी. पार्टी के विस्तार पर बात होगी.’ हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पार्टी मुख्य फोकस सीमांचल ही रहेगा.
लेकिन पार्टी से जुड़े मजलिस के युवा नेता व बलरामपुर प्रत्याशी रहे आदिल हसन आज़ाद का कहना है, ‘ओवैसी 28 को सीमांचल के लोगों का शुक्रियादा करने आ रहे हैं. साथ ही ‘मिशन-2019’ की तैयारी भी शुरू हो जाएगी.’
साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि जब सदन का रास्ता बंद हो जाता है, तब सड़क का रास्ता खुल जाता है. हम सीमांचल के साथ-साथ पूरे बिहार के मुसलमानों व दलितों की आवाज़ उठाते रहेंगे. उनके हक़ के लिए लड़ते रहेंगे.
दरअसल, कहा जा रहा था कि ओवैसी चुनाव के बाद बिहार का रूख नहीं करेंगे, लेकिन चुनाव हारने के बाद भी उनका सीमांचल के अहम शहर किशनगंज में आकर अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं से मिलना यह बताता है कि आगे वाले चुनावों में वह मुसलमानों के लिए विकल्प बने रहना चाहते हैं.
पार्टी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि ओवैसी 2016 में पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में भी सीमांचल से सटे कुछ सीटों पर अपना उम्मीदवार उतार सकते हैं. 2017 में यूपी विधानसभा चुनाव में कूदने का ऐलान वो पहले से कर चुके हैं. बल्कि 2016 में होने वाले यूपी के उप-चुनाव में भी ओवैसी अपना उम्मीदवार उतारने की तैयारी में हैं. ऐसे में ओवैसी चाहते हैं कि बिहार में कार्यकर्ताओं की एक बड़ी फौज तैयार की जाए ताकि उनका इस्तेमाल पश्चिम बंगाल व यूपी में किया जा सके. इतना ही नहीं, आदिल हसन आज़ाद की मानें तो ओवैसी अभी से ‘मिशन-2019’ का भी आगाज़ करने का इरादा रखते हैं.