फारबिसगंज : भाजपा को मिलेगी टक्कर

अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net

फारबिसगंज: अररिया ज़िला का फारबिसगंज कभी सुलतानपुर के नाम से जाना जाता था. लेकिन इतिहास के पन्नों में दर्ज कहानी बताती है कि 1859 में सुलतानपुर के मीर साहब की ज़मींदारी को एक अंग्रेज़ ‘सर अलेक्जेंडर फोर्ब्स’ ने ख़रीद लिया. 1890 में अलेक्ज़ेन्डर फोर्ब्स व उनकी पत्नी डायना की मृत्यु मलेरिया से हो गयी. तब आर्थर हेनरी फ़ोर्ब्स ने पिता की मृत्यु के बाद शासन संभाला और इसका नाम सुलतानपुर से बदलकर ‘फोर्बेस गंज’ रख दिया.


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भले ही फारबिसगंज के इस इतिहास से हम रूबरू न हों, लेकिन 3 जून 2011 को घटित गोली कांड ने इसे पूरे भारत में ज़रूर मशहूर कर दिया. फारबिसगंज विधानसभा क्षेत्र का यह इलाक़ा व्यावसायिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है. इसीलिए फ़ारबिसगंज को ज़िला बनाने के खातिर लगातार आंदोलन किया जाता रहा है, लेकिन इसके बावजूद इसे ज़िले का दर्जा नहीं मिल सका है. ये यहां का खास चुनावी मुद्दा है.

चुनावी समीकरण की बात करें तो इस बार अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है. लेकिन स्थानीय लोगों का मानना है कि लड़ाई गठबंधन व महागठबंधन के बीच ही होने वाली है.


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इस विधानसभा का अब सबसे प्रसिद्ध गांव भजनपुर है, बल्कि यूं कहिए कि 3 जून 2011 की गोलीकांड ने इसे पूरी दुनिया में प्रसिद्ध बना दिया है. इस घटना के बाद सरकार ने इसे आदर्श गांव में तब्दील करने की बात कही थी, लेकिन इस घोषणा के बाद भी यह गांव विकास नाम की चीज़ से कोसों दूर है. गांव में अब भी टूटी-फूटी पुरानी ईटों वाली रोड है. बल्कि रोड कम गढ्डे अधिक हैं. लोगों का कहना है कि 2010 में चुनाव जीतने के बाद शायद ही कभी विधायक जी इस गांव में आए हों.

यह बात ज़रूर है कि भजनपुर गांव में बिजली खंभे ज़रूर पहुंच गए हैं. लड़कियां साईकिल चलाते हुए भी नज़र आ जाती हैं. लड़कियों को भविष्य में स्कूटी मिलेगी या नहीं, यह नहीं पता, लेकिन इस गांव की दो लड़कियों के पास अपनी स्कूटी ज़रूर है, जिसे गांव की कई लड़कियां मिलकर चलाती हैं.



गांव के युनूस अंसारी का कहना है कि पिछली बार इस गांव के लोगों ने भाजपा को वोट दिया था. लेकिन इस बार हम महागठबंधन को ही वोट देंगे. भाजपा के विधायक चाहते तो अपने फंड से इस गांव में कुछ काम ज़रूर करा देते, पर कुछ नहीं कराया. इसलिए इस बार उन्हें वोट देने का कोई सवाल ही नहीं.

मासूम अंसारी व जमीला खातुन भी कहती हैं कि इस बार नीतिश कुमार की जीत होगी. नीतिश कुमार के शासन में यहां बिजली में काफी सुधार हुआ है. बिजली अब 18-20 घंटे रहती है. तवरेज बताते हैं कि इस बार बिहार के दुल्हा नीतिश कुमार ही बनेंगे. नीतिश कुमार के शासन में लड़कियों को साईकिल मिला है. बच्चों को पोशाक मिला है. खाना भी मिलता है.

गांव भजनपुर इस बार महागठबंधन के पक्ष में दिख रहा है और लोगों का मानना है कि अगले मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ही बनेंगे. विकास से कोसो दूर यह गांव प्रधानमंत्री मोदी के अब तक के कार्यकाल पर कई सवाल खड़े करता है.

स्पष्ट रहे कि 2010 चुनाव में फारबिसगंज से भाजपा के पदम पराग राय वेणु, लोजपा के मायानंद ठाकुर को 26827 वोटों से हराकर जीत हासिल की थी. इसके पूर्व भी यहां भाजपा की ही जीत हुई थी.

इस बार मैदान में इस विधानसभा क्षेत्र से 12 उम्मीदवार हैं. पप्पू यादव की पार्टी ‘जन अधिकार पार्टी (लोकतांत्रिक)’ से ज़ाकिर हुसैन खान हैं. जो यहां 2005 से पूर्व विधायक भी रह चुके हैं और वर्तमान में अररिया के विधायक हैं. लोजपा में होने के वज़ह से इन्हें इस बार टिकट नहीं मिला, तो इस बार फिर अररिया की सीट छोड़ फारबिसगंज से चुनावी मैदान में हैं. यहां चुनावी विश्लेषकों का मानना है कि गठबंधन व महागठबंधन की लड़ाई में कहीं ज़ाकिर हुसैन खान भी बाज़ी मार सकते हैं.

8 नवम्बर को आने वाला चुनावी नतीजा फारबिसगंज की तकदीर का पिटारा खोलेगा. पिछली बार विधानसभा चुनाव में यहां मतदान का प्रतिशत 59.57 रहा था. उम्मीद है कि इस बार इसमें और इज़ाफ़ा होगा.


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