भाजपा की उम्मीदों पर तीसरे मोर्चे का वज्रपात

अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net

पटना: बिहार में जैसे-जैसे चुनाव के चरण पूरे होते जा रहे हैं, सियासी समीकरण भी तेज़ी से बदल रहे हैं. इन बदलते सियासी समीकरणों से एनडीए गठबंधन को बड़ा झटका लगता नज़र आ रहा है. झटका इसलिए भी है क्योंकि वोटों के बंटवारे की एनडीए की कोशिश इस नए सियासी गठजोड़ से नाकाम होती नज़र आ रही है.


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बिहार में तीसरे मोर्चे का हश्र इस बात का जीता जागता उदाहरण है कि जबसे इस मोर्चे से नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी यानी एनसीपी अलग हुई, तो भाजपा व समाजवादी पार्टी की मिलीभगत पर से पर्दा उठाते हुए. तब से यह तीसरा मोर्चा न सिर्फ़ ख़त्म होता नज़र आ रहा है, बल्कि इस मोर्चे से जुड़े अधिकतर कार्यकर्ताओं ने खुद को अलग कर लिया है. वोटर मान रहे हैं कि अब तीसरा मोर्चा ‘वोट-कटवा’ के अलावा कुछ भी नहीं है.

एनसीपी नेता व कटिहार से लोकसभा सदस्य तारिक़ अनवर ने यह कहते हुए खुद को तीसरे मोर्चे से अलग कर लिया कि कांग्रेस और भाजपा से मुक़ाबला कर धर्मनिरपेक्षता को बनाए रखने के लिए छह दल एक साथ आये थे. लेकिन सपा प्रमुख का बयान प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से भाजपा की मदद करता है.

एनसीपी के बाद इधर पूर्व केन्द्रीय मंत्री नागमणी की समरस समाज पार्टी ने भी उसी रास्ते को अख़्तियार किया है. सियासी जानकारों की माने तो ये दोनों ही क़दम महागठबंधन की नींव मज़बूत करने वाले साबित हो सकते हैं.

एनसीपी की तरह समरस समाज पार्टी ने भी यह आरोप लगाया है कि मुलायम सिंह यादव व पप्पू यादव भाजपा के एजेन्ट हैं. ये दोनों दल भाजपा के पक्ष में चुनाव प्रचार कर रहे हैं. नागमणी ने इन दोनों पार्टियों के नेताओं के दिल में छिपे मंशा से भी पर्दा उठा दिया. नागमणी जी का स्पष्ट तौर पर कहना है कि दोनों पार्टियों ने जान-बूझकर यादव व मुसलमानों को टिकट दिया है, ताकि इनके वोटों का बंटवारा करके भाजपा को फायदा पहुंचाया जा सके. समरस समाज पार्टी ने अब महागठबंधन का साथ देने का ऐलान कर दिया है. सूत्रों की माने तो अगले दो-तीन दिनों में एनसीपी भी महागठबंधन का साथ देने का ऐलान कर सकती है.

ऐसे में बिहार चुनाव के अगले चरण बेहद ही महत्वपूर्ण हो गए हैं. यूपी के दादरी कांड से लेकर हरियाणा में दलितों को ज़िन्दा जलाने तक सरकार के ख़िलाफ़ फ़ैल रहा मायूसी का माहौल भी इन बदलते सियासी समीकरणों में देखा जा सकता है. वैसे भी सियासी पार्टियां वक़्त की नब्ज़ देखते हुए क़दम उठाने में माहिर मानी जाती हैं.

स्पष्ट रहे कि तीसरा मोर्चा 6 दलों ने मिलकर बनाया था. 6 दलों के इस मोर्चे में सपा, एनसीपी के अलावा पप्पू यादव के नेतृत्व वाली जनअधिकार पार्टी, पूर्व केंद्रीय मंत्री देवेन्द्र प्रसाद यादव की समाजवादी जनता पार्टी, पूर्व केंद्रीय मंत्री नागमणि के नेतृत्व वाली समरस समाज पार्टी और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पीए संगमा की नेशनल पीपुल्स पार्टी शामिल थी. जिसमें अभी दो पार्टियों ने खुद को अलग कर लिया है. लेकिन चार पार्टियां अभी भी इस मोर्चे में शामिल हैं.

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