अल्पसंख्यक बच्चों की शिक्षा के लिए तत्पर ‘सोफ़िया’

फ़हमिना हुसैन, TwoCircles.net

मुस्तफाबाद(दिल्ली)- उत्तर पूर्वी दिल्ली के अनजान इलाकों में एक नयी कवायद ज़ाहिर हो रही है. 50 वर्षीय मुस्कान के चेहरे से शायद मुस्कराहट लम्बे वक़्त से नहीं थी. और हो भी कैसे? क्योंकि न तो उनके पास रहने को घर है और न खाने को पैसे. पति की मौत के बाद मुस्कान की ज़िन्दगी और भी कठिन हो गई.


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अल्पसंख्यक बच्चों की शिक्षा के लिए तत्पर ' सोफ़िया'

अब वह अपनी दो बच्चियों के साथ एक रैन बसेरा में रहती हैं. मुस्कान अपनी इन बच्चियों को पढ़ाना चाहती हैं ताकि कम से कम वे दोनों पढ़-लिखकर खुद के लिए कुछ कर सकें लेकिन स्कूलों में देने के लिए उनकी फीस का इंतजाम कैसे हो, इसकी कोशिश और चिंता में एक लंबा वक़्त निकल गया.

लेकिन ये परेशानी सिर्फ मुस्कान की नहीं है. कई ऐसे परिवारों की यही समस्या है कि वे शिक्षा पाना चाहते तो हैं लेकिन उसके लिए ज़रूरी संसाधन नहीं जुटा पाते हैं. उनके इस दर्द को सबसे पहले समझा सोफिया की टीम ने.. इस टीम ने मुस्कान की एक बेटी का दाखिला पास के प्राईवेट स्कूल में करा दिया है. बच्ची को स्कूल जाता देख मुस्कान के चेहरे पर दिन भर में एक बार मुस्कुराहट आ ही जाती है.

ये कहानी सिर्फ़ मुस्कान की नहीं है. बल्कि सोफिया नाम के इस संगठन ने कई गरीब परिवारों के चेहरे पर मुस्कान लाने का काम किया है. उत्तर पूर्वी दिल्ली के मुस्तफाबाद इलाके में ‘सोफिया एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसाइटी’ ने हाल के दिनों में कलिंगा इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल साइंस में 73 अल्पसंख्यक बच्चों का दाखिला कराकर उन्हें शिक्षा के लिए न सिर्फ प्रेरित किया है, बल्कि दूसरे परिवारों में भी अपने बच्चों को स्कूल भेजने की लालसा जगायी है.

अल्पसंख्यक बच्चों की शिक्षा के लिए तत्पर ' सोफ़िया'

सोफिया एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसाइटी की ओर से दिल्ली के मुस्तफ़ाबाद में आयोजित एक कार्यक्रम में भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी एस. ई. रिज़वी ने अभिभावकों को सम्बोधित करते हुए कहा, ‘बच्चे ज़रूर आपका नाम रोशन करेंगे. 73 बच्चों की जिंदगी बदलने का ये पहला क़दम है.’

इस मौके पर सोफिया के अध्यक्ष सुहैल सैफी ने कहा, ‘बच्चे समाज का आईना होते हैं और हम उनमें अपने देश का भविष्य और तरक्की देखते हैं, इसलिए हम जितनी भी कोशिश बच्चों को पढ़ाने के लिए कर सकते हैं उतनी कोशिश करनी चाहिए. खासकर वो परिवार जो अपने बच्चों को नहीं पढ़ा पा रहे हैं, उनके बच्चों को सरकारी मदद दिलाकर पढ़ाना हमारा मक़सद है.’

सुहैल बताते हैं कि सोफ़िया की टीम ने करीब दो महीनों के दौरान बेहद गरीब मुस्लिम समुदाय के लोगों के कागजात पूरे कराये और उनके बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में दाखिला दिलाने मे मदद की. उन्होंने खासकर लड़कियों को दाखिले दिलाने पर जोर दिया.

गौरतलब है कि मुस्लिम समुदाय के लोगों की सरकार से शिकायत रही है, लेकिन अपने अधिकारों और तमाम स्कीमों की जानकारियों के अभाव में वे मूलभूत सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं. उन्हें यह पता नहीं होता कि इस स्कीम का लाभ लेने के लिए क्या-क्या कागजात ज़रूरी हैं और वे कागजात कहाँ से बनवाए जा सकते हैं?

अल्पसंख्यक बच्चों की शिक्षा के लिए तत्पर ' सोफ़िया'

इस संगठन का मानना है कि किसी भी समाज का उत्थान तभी संभव है जब उस समाज को शिक्षित किया जाए. इसी काम को
अंजाम देने के लिए सोफिया की पूरी टीम समाज के बेहद गरीब परिवारों के बच्चों को प्राइवेट इंग्लिश मीडियम स्कूलों के माध्यम से शिक्षा दिलाने के काम में लगी हुई है.

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