हमें काम नहीं करने दे रहा सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड – NSIC

TwoCircles.net Staff Reporter

लखनऊ – केंद्र सरकार के लिए डाटा इंट्री का काम कर रहे संगठन NSIC ने एक पत्र के जवाब में कहा है कि उत्तर प्रदेश सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड NSIC को बाक़ायदे काम नहीं करने दे रहा है. बोर्ड उन्हें ऑफिस के घंटों में ही काम निबटाने के लिए कहता है, जिससे उनके काम की गति धीमी पड़ती जा रही है.


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दरअसल अल्पसंख्यक मंत्रालय ने देशभर में फ़ैली हुई वक़्फ़ की संपत्तियों का लेखाजोखा तैयार करने के लिए राष्ट्रीय सूचना केंद्र के तहत भारतीय वक़्फ़ मैनेजमेंट सिस्टम की स्थापना की है. चार मॉड्यूल में फैले इस सिस्टम में देश की सारी वक़्फ़ संपत्तियों का ब्यौरा मौजूद होगा.

फिलहाल उत्तर प्रदेश सुन्नी केंद्रीय वक़्फ़ बोर्ड के अधीन 1,23,115 संपत्तियां आती हैं. इसके अलावा 10,500 संपत्तियां उत्तर प्रदेश शिया केंद्रीय वक़्फ़ बोर्ड के अंतर्गत आती हैं.

सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड की संपत्तियों का रिकार्ड तैयार करने में देर होने के कारण मंत्रालय ने रिकॉर्ड तैयार करने की जिम्मेदारी NSIC को आउटसोर्स कर सौंप दी.

NSIC द्वारा कार्य लिए जाने के बाद संपत्तियों का रिकॉर्ड बेहद तेज़ी से आगे बढ़ता नहीं दिख रहा है. अभी तक NSIC सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड की 49,346 और शिया वक़्फ़ बोर्ड की 843 संपत्तियों को ही रिकॉर्ड में शामिल कर पायी है.

वहीं NSIC ने उत्तर प्रदेश सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड पर यह आरोप भी लगाया है कि सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड अपने ऑफिस में डाटा रिकॉर्ड का काम करने के लिए पर्याप्त जगह मुहैया नहीं करा रहा है. इसके साथ NSIC ने यह भी कहा है कि ऑफिस के समय के बाद काम करने की मांग को भी सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड ने खारिज कर दिया और छुट्टी के दिनों में भी NSIC को काम करने की अनुमति नहीं दी जा रही है.

NSIC का आरोप है कि इन वजहों से उनकी डाटा एंट्री बेहद धीमी गति से हो रही है.

इन आरोपों का खंडन करते हुए उत्तर प्रदेश सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के नोडल अफ़सर अली अतीक़ ने कहा, ‘NSIC के लोग बिलकुल झूठ कह रहे हैं. हमने उन्हें अपने हॉल में जगह दी है, गलियारों में उन्हें जगह दी है. वे अपने कर्मचारियों से गर्मी में काम करा रहे थे, कल हमने उन्हें कूलर दिया है.’ अतीक़ ने आगे कहा, ‘ जहां तक छुट्टियों में और ऑफिस आवर से आगे काम करने की बात है, हम उसकी इजाज़त नहीं दे सकते हैं. इस ऑफिस में मौजूद संपत्ति और कागज़ात की जिम्मेदारी कौन लेगा? वह तो हमारी जिम्मेदारी पर है, चोरी होने के बाद भी जिम्मेदारी हमारी ही होगी.’

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