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लखनऊ : ऊना, गुजरात में गौरक्षकों द्वारा दलितों की पिटाई के बाद ‘गाय की पूंछ तुम रखो, हमको हमारी ज़मीन दो’ के नारे के साथ पूरे देश में दलित अत्याचारों के ख़िलाफ़ आवाज़ बने जिग्नेश मेवाणी ने यूपी प्रेस क्लब में ऐलान किया कि भूमि अधिकार और स्वाभिमान की लड़ाई अब इस देश की सबसे बड़ी लड़ाई होगी.
गुजरात से आए ऊना दलित अत्याचार लड़क समिति के संयोजक जिग्नेश मेवाणी ने कहा कि पूरे देश में एक संघर्ष का मंच बनाना चाहते हैं जो गुजरात, यूपी ही नहीं पूरे देश में दलितों के लिए ज़मीन के सवाल पर आंदोलन खड़ा कर सके. जो दलित आंदोलन सिर्फ़ अस्मिता की राजनीति में फंस गया है उसको अपने अस्तित्व बोध के साथ खड़ा होना होगा.
उन्होंने ऊना से शुरु हुए आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा कि जिस तरह से ऊना में ज़िलाधिकारी कार्यालय पर मृत पशुओं को ले जाकर छोड़ दिया गया उसने साफ़ किया कि दलित अब पिटेगा नहीं, वह अपने अधिकारों के लिए लड़ेगा. सिर्फ़ रोटी, कपड़ा, मकान की राजनीति नहीं, बल्कि अब स्वाभिमान की राजनीति भी होगी. यह लड़ाई हम तभी जीत पाएंगे, जब जाति व्यवस्था द्वारा थोपे गए अमानवीय कार्यों को छोड़ देंगे. इसलिए हमने अहमदबाद में ‘गाय की पूंछ तुम रखो, हमको हमारी ज़मीन दो’ का नारा देते हुए 20 हज़ार दलितों के साथ शपथ ली कि हम ऐसे घृणित कार्य नहीं करेंगे. यह दलित आंदोलन की ऐतिहासिक घटना है, जिसका सपना बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने देखा था. इस आंदोलन को हम पूरे देश में गैर-बराबरी को स्थापित करने वाले ज़मीन के मालिकाना हक़ के मुद्दे से जोड़ना चाहते हैं.
उन्होंने बताया कि हमने गुजरात में मांग की है कि हर दलित परिवार को पांच-पांच एकड़ ज़मीन दी जाए. इसको गुजरात समेत पूरे देश में ले जाना है. यदि 15 सितंबर तक ज़मीन वितरण, आरक्षण सवाल पर गुजरात सरकार कार्रवाई करती नहीं नज़र आएगी तो हम दलितों, मुसलमानों, आदिवासियों, मजदूरों के यूनियन के साथ या तो जेल भरेंगे या तो रेल रोको आंदोलन करेंगे. इसी संदर्भ में हम पूरे देश में समर्थन मांग रहे हैं.
जिग्नेश बताते हैं कि ‘गाय की पूंछ तुम रखो, हमको हमारी ज़मीन दो’ का नारा पूरे देश में ले जाकर भूमि के सवाल को दलित राजनीति को केन्द्र में लाना है, जो आपके यूपी में भी दलितों का प्रमुख एजेण्डा है.
जिग्नेश ने कहा कि यूपी भी जिस तरह दलित-मुसलमान उत्पीड़न का अड्डा है, यहां भी हम हक़-हुकूक़ और इंसाफ़ के लिए संघर्षरत जमात के साथ खड़े होकर सांप्रदायिक-सामंती मंसूबों को ध्वस्त करेंगे.
इस अवसर पर मैग्सेसे अवार्ड से सम्मानित सोशलिस्ट पार्टी के उपाध्यक्ष संदीप पाण्डेय ने कहा कि ऊना में जो दलित अस्मिता यात्रा निकली थी, उसमें यह मांग उठी थी कि मृतक गायों को अब दलित नहीं उठाएंगे. जब रोटी बनाने की मशीन बना ली गई है, रोबोट से आपरेशन हो रहा है और हर मुश्किल काम हो रहा है तो मृतक गायों को हटाने के लिए मशीन क्यों नहीं.
उन्होंने बताया कि गुजरात में एक विज्ञापन निकला था जिसमें सीवर की सफ़ाई के लिए सवर्ण की आरक्षित सीट लिख दिए जाने पर लोग नाराज़ हो गए, इससे समझा जा सकता है कि सीवर में घुसकर काम करना कितना मुश्किल व अपमानजनक है. जिग्नेश और इनके साथी जो आंदोलन चला रहे हैं उसमें दलितों को ही नहीं समूचे उत्पीड़ित समाज को मज़बूती से भाग लेना चाहिए और अपने बच्चों की शिक्षा के लिए लड़ना चाहिए.
कार्यक्रम के अध्यक्षीय भाषण में रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि आज गुजरात का बेटा जिग्नेश मेवाणी हमारे बीच में हैं, जिसने मोदी के गुजरात मॉडल को पूरे दुनिया में बेनक़ाब कर दिया, जहां दलितों को इंसान नहीं समझा जाता. पूरी दुनिया ने 2002 में गुजरात की माओं के गर्भ को चीरकर नवजातों को त्रिशूल में टंगा हुआ देखा और आज उसी गुजरात के दलित भाइयों के साथ लगातार हो रही नाइंसाफ़ियों के खिलाफ़ दलित-मुस्लिम एकता का जो नया गुजरात मॉडल विकसित हो रहा है, वह पूरे देश की राजनीति को नई दिशा देगा.
उन्होंने कहा कि कोई औपनिवेशिक उदारीकरण के विकास का मॉडल इस देश में शोषितों-वंचितों को मुक्ति नहीं देगा, बल्कि इंसाफ़ के सवाल पर जिग्नेश मेवाणी जैसे नौजवानों का नेतृत्व ही एक नए भारत का निर्माण करेगा.
कार्यक्रम के शुरुआत में आधार वक्तव्य देते हुए रिहाई मंच नेता अनिल यादव ने सामाजिक न्याय की नई धारा के इस नेतृत्व पर बात रखी तो वहीं सामाजिक कार्यकर्ता अधिवक्ता अजय शर्मा ने यूपी में दलितों के भूमि व लोकतांत्रिक अधिकारों के दमन पर अपनी बात रखी.