बिहार पुलिस का करिश्मा : मुजरिम फ़रार, बेगुनाह नामज़द

अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net

मधुबनी (बिहार): एक दुर्घटना के वाक़्ये को किस तरह से साम्प्रदायिक मोड़ दे दिया जाता है, मधुबनी की यह घटना इसकी जीती-जागती बानगी है.


Support TwoCircles

बिहार के मधुबनी जिले के थाना कलुआही क्षेत्र के भलनी गांव में 5 साल के अब्दुल्लाह की स्कॉर्पियो से टक्कर में हुई मौत को लेकर किया गया विरोध-प्रदर्शन गांव वालों को काफी महंगा पड़ रहा है. बल्कि यूं कहिए कि पूरी घटना पुलिस की लचर तफ़्तीश की भेंट चढ़ गई. जिस मामले में तत्काल कार्रवाई करते हुए आरोपी को पकड़ना चाहिए, उसमें कई बेगुनाहों को नामज़द कर दिया गया. हैरानी की बात यह है कि उन लोगों को भी नामज़द किया गया, जिनका इस घटना से दूर-दूर तक कोई ताल्लुक़ ही नहीं है. ऐसे में असल आरोपी फ़रार है और खानापूरी के लिए कागज़ी कार्रवाई जमकर जारी है.

Bhalni Story

इस दुर्घटना में मौत के शिकार हो चुके अब्दुल्लाह की मां आफ़ताबुन निसा बताती हैं, ‘मंगलवार (09 अगस्त, 2016) का दिन हमारे लिए बड़ा अमंगल रहा. रोज़ की तरह स्कूल से पढ़कर अब्दुल्लाह आज भी घर आया था. टॉफी दिलाने की जिद करने लगा.’ मां उसे दुकान से टॉफ़ी दिलाकर अपने साथ लेकर सड़क के किनारे से होते हुए घर लौट ही रही थी कि उसी समय सफ़ेद स्कार्पियो गाड़ी ने तेज़ी से आकर बच्चे को कुचल डाला. ये देखकर बच्चे की मां वहीं बेहोश हो गयी. अब्दुल्लाह को गांव के लोग तुरंत पास के अस्पताल लेकर गए, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया.

दूसरी तरफ़ गांव के लोगों ने इस घटना की सूचना कलुआही थाना को दी. थाना के मुंशी राजकुमार ने कॉल रिसीव की और कहा कि पुलिस जा रही है. उधर अब्दुल्लाह की मौत के बाद उसका लाश लेकर लोग गांव भी लौट आए, लेकिन एक भी पुलिसकर्मी घटनास्थल पर नहीं आया. लोगों के मुताबिक़ पुलिस को आने में पूरे ढाई घंटे लगे जबकि गांव से थाने की दूरी 2 किलोमीटर से भी कम है.

पुलिस के देरी से आने और इस पूरे मामले में काफी निष्क्रियता दिखाने के कारण लोगों में आक्रोश आ गया, क्योंकि उनका मानना था कि पुलिस यदि समय से पहुंच गई होती तो शायद नाकाबंदी करके उस सफेद स्कॉर्पियो गाड़ी को पकड़ा जा सकता था. लेकिन पुलिस ने इसमें कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई.

इस बीच घटनास्थल पर सात-आठ गांवों के लोग जमा हो गए. उन्होंने अब अपराधियों को पकड़ने के लिए अब्दुल्लाह की लाश को सड़क पर रखकर कलुआही-करमौली सड़क मार्ग को जाम कर दिया और आला अधिकारियों को बुलाने की बात की. इस बीच इस प्रदर्शनकारी भीड़ में कुछ असामाजिक तत्व भी शामिल हो गए और पुलिस गाड़ी के शीशे तोड़ डाले. प्रशासनिक अधिकारियों के आने के बाद मामला शांत हो गया. ब्लॉक विकास अधिकारी ने मृतक परिवार को लिखित में मुआवज़ा देने का आश्वासन दिया और पुलिस वहां से चली गई.

Bhalni Storyअब्दुल्लाह की फाईल फोटो

लेकिन गांव के लोगों को बाद में पता चला कि पुलिस ने अब्दुल्लाह के मारने वालों को पकड़ने के बजाए गांव के ही 160 लोगों पर काफ़ी सख़्त धाराएं लगाते हुए मुक़दमा दर्ज कर लिया है. कांड संख्या 62/16 के अधीन इन पर धाराएं 147, 148, 149, 307, 341, 342, 323, 332, 333, 353, 427 और 504 लगायी गयी हैं. बताते चलें कि इस कांड में 10 लोगों को नामजद किया गया है और 150 अज्ञात लोगों पर पुलिस ने मामला दर्ज किया है.

गांव के लोगों का मानना है कि गांव के निर्दोष लोगों को ही इन पुलिस वालों ने आरोपी बना दिया है. जिन 10 लोगों को नामजद किया गया है, उनमें एक पिछले दो महीने से दिल्ली में है. दो नामज़द 60 साल के ऊपर की आयु के हैं. और अन्य दो व्यक्ति समाजसेवी हैं.

गांव के लोगों का मानना है कि इन 10 आरोपियों में किसी का भी आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है. गांववालों का यह भी मानना है कि पुलिस द्वारा की गई यह कार्रवाई पुलिस के साम्प्रदायिक होने का सबूत पेश करती है. पुलिस ने जान-बूझकर एक धर्म-विशेष के लोगों को ही इसमें निशाना बनाया है.

जबकि यहां के आरक्षी अधीक्षक (एसपी) अख़्तर हुसैन TwoCircles.net के साथ बातचीत में बताते हैं कि पुलिस ने लोगों को नहीं, बल्कि लोगों ने पुलिस वालों को टारगेट किया है. पुलिस वालों पर पथराव किया गया, जिसमें एक पुलिसकर्मी ज़ख्मी हो गया. इतना ही नहीं, पुलिस वालों को बंधक बनाया गया. पुलिस की गाड़ियों को नुक़सान पहुंचाया गया है.

लेकिन इसी गांव में रहने वाले 72 साल के मोहम्मद जफ़ीरूल हसन बताते हैं कि लोगों ने गुस्से में पुलिस की एक गाड़ी का शीशा ज़रूर तोड़ा है, लेकिन इसके अलावा उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया है जिसकी वजह से उन्हें इस तरह से टारगेट किया जाए. उनपर इतने गंभीर धाराएं लगाई जाएं. हैरानी की बात यह है कि इस गांव ने अपना एक मासूम बच्चा खोया, जिससे गांव सदमे में है. बच्चे के घरवालों को मुआवज़ा देने के बजाय पुलिस गांववालों को ही परेशान कर रही है. बताते चलें कि मोहम्मद के बेटे आईएएस हैं.

यदि इस पूरे मामले को अपराध के नज़रिए से देखें तो पुलिस की पहली ज़िम्मेदारी स्कॉर्पियो चालक को पकड़ने की थी. मगर पुलिस ने इस ज़िम्मेदारी को निभाने के बजाय अपना शिकंजा गांववालों पर ही कस दिया, वह भी एक समुदाय विशेष के लोगों पर. ऐसे में अपराधी घटनास्थल से गायब है और जो गांव के लोग हैं, वे ही अब अपराधी की शक्ल में आ चुके हैं. ये पुलिस के काम करने की एक ख़ास शैली है, जो सामाजिक ताने-बाने को ध्वस्त करने पर आमादा है.

Bhalni Story

इस घटना के बाद एक स्वतंत्र फैक्ट-फाइंडिंग टीम ने भी इस गांव का दौरा किया और पीड़ित परिवार के लोगों से मुलाक़ात की. साथ ही उन 8 लोगों से भी मुलाक़ात की गई, जिनके नाम एफ़आईआर में दर्ज हैं. इसके अलावा कुछ अन्य लोगों से भी इस टीम ने बातचीत की, जिसके आधार पर इस टीम का मानना है कि जिन लोगों को पुलिस ने आरोपी बनाया वह निर्दोष हैं.

इस फैक्ट-फाइंडिंग टीम में ख़ासतौर पर ऑल इंडिया दलित महिला अधिकार मंच की राष्ट्रीय विधिक संयोजक सविता, मिसाल फाउंडेशन के राज्य संयोजक इबरार रज़ा और ऑल इंडिया दलित महिला अधिकार मंच के राज्य संयोजक राजेश्वर पासवान का नाम शामिल है.

फैक्ट फाइंडिंग की रिपोर्ट जारी करने के बाद सविता TwoCircles.net से बातचीत करते हुए बताती हैं, ‘हमारी टीम ने पाया कि भलनी गांव में सदभावना, प्रेम व शान्ति से रहने वाले लोग हैं. पुलिस ने जो धाराएं लगाई हैं, वह निराधार हैं. हमने पाया है कि पुलिस ने जानबूझ कर अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को फंसाने का काम किया है. पुलिस की मानसिकता अल्पसंख्यक समुदाय के प्रति नकारात्मक एवं दुर्भावनापूर्ण है.’

मिसाल फाउंडेशन के इबरार रज़ा का कहना है कि एक तो थाना अधिकारी घटनास्थल पर देरी से पहुंचे और अब भी दुर्घटना वाले मामले यानी कांड संख्या 61/16 पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी है. वह मामला ज्यों का त्यों पड़ा हुआ है. जबकि होना ही यह चाहिए कि पुलिस इस मामले में भी कुछ कार्रवाई करती.

इस मामले को लेकर यह टीम सोमवार को पटना में गृह सचिव आमिर सुबहानी और बिहार के डीजी व आईजी से मुलाक़ात करेगी. साथ ही अपनी रिपोर्ट बिहार राज्य अल्पसंख्यक आयोग व मानवाधिकार आयोग को भी सौंपेगी.

इस टीम ने अपनी रिपोर्ट में सरकार से सिफ़ारिश की है कि कलुआही थाना काण्ड संख्या 61/16 में पुलिस सक्रियता दिखाए और जांच पड़ताल कर बच्चे अब्दुल्लाह को कुचलने वाले सफेद स्कॉर्पियो गाड़ी का पता लगाया जाए और उसके चालक को गिरफ्तार किया जाए और पीड़ित परिवार को सरकार द्वारा जल्द से जल्द से सहायता राशि का भुगतान किया जाए.

इसके अलावा उनकी यह भी सिफ़ारिश है कि कलुआही थाना काण्ड संख्या 62/16 में निर्दोष लोगों का नाम प्राथमिकी से हटाया जाए. घटना की सूचना मिलने के बाद भी अत्यधिक देरी से कलुआही थाना के पुलिस का घटनास्थल पर न पहुंचने के कारण की न्यायिक जांच करायी जाए. इतना ही नहीं, अल्पसंख्यक समुदाय के निर्दोष लोगों को फंसाने के पुलिस के षड्यंत्र की जांच की जाए, जबकि घटनास्थल पर सभी समुदाय के लोग उपस्थित थे.

SUPPORT TWOCIRCLES HELP SUPPORT INDEPENDENT AND NON-PROFIT MEDIA. DONATE HERE