TwoCircles.net Staff Reporter
लखनऊ : ‘उस वक्त जब मैं 18 साल का था और मैं टीवी मैकेनिक का काम करता था. मेरा बस जुर्म यह था कि मैंने पाकिस्तानी लड़की से प्यार किया था. मोहब्बत किसी सरहद की मोहताज नहीं होती. हम सब पूरी दुनिया में प्रेम-मोहब्बत से रहने की बात करते हैं, पर जिस तरह से सरहद पार मोहब्बत करने के नाम पर मेरी जवानी के साढ़े ग्यारह साल बरबाद किए उसकी कौन जिम्मेदारी लेगा? पुलिस ने मेरे प्रेम-पत्रों को मुल्क की गोपनीयता भंग कर आईएसआई का एजेंट बताया था. पोटा जैसे क़ानून के तहत मुझ पर मुक़दमा चलाया गया. ऐसे-ऐसे आरोप लगाए गए कि देश-दुनिया का हर शख्स सहम जाए.’
साढ़े 11 साल ‘आतंकवादी’ के नाम पर जेल में रहने के बाद बाइज्ज़त बरी हुए 32 वर्षीय रामपुर निवासी मुहम्मद जावेद TwoCircles.net के साथ एक खास बातचीत में बताते हैं कि –‘सन् 1999 के जनवरी महीने में पहली बार अपनी मां के साथ पाकिस्तान गया था. दरअसल पाकिस्तान में मां के रिश्तेदार रहते हैं और वो उनसे मिलना चाहती थी. मैं अपनी मां के साथ पाकिस्तान पूरे साढ़े तीन महीने रहा. इस दौरान मुझे अपनी फूफी के लड़की पसंद आ गई. मुझे उससे प्यार हो गया. उसने भी मेरे प्यार के प्रोपोजल को क़बूल कर लिया. अब हम वापस अपने देश भारत आ चुके थे, लेकिन हम दोनों के बीच प्रेम-पत्र का आना-जाना लगा रहा. हम दोनों एक दूसरे को इतना चाहने लगें कि मैं दुबारा सन् 2000 के मार्च महीने में अकेले ही मिलने चला गया.’
इस खास बातचीत में जावेद बताते हैं कि –’10 अगस्त 2002 को अपने मैकेनिक की दुकान पर काम कर रहा था. कुछ पुलिस वाले सादे ड्रेस में आकर मुझे पूछताछ के नाम पर ज़बरदस्ती उठाकर ले आएं. मुझे दरअसल दिल्ली लाया गया. तीन दिन लगातार तरह-तरह से टार्चर किया गया. थर्ड डिग्री का इस्तेमाल किया गया. फिर भी जब मैं अपने सच पर क़ायम पर रहा तो मुझे थक-हार कर रामपुर में अदालत में पेश किया गया.’
जावेद बताते हैं कि –‘पूरे 11 साल 7 महीने रामपुर जेल में रहने के बाद आख़िरकार 18 जनवरी 2014 को मुरादाबाद की अदालत से रिहाई मिली. इस दौरान मुझे जो यातनाएं दी गईं उसे शब्दों में बता पाना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है. इस मुहब्बत ने तो मेरा सब कुछ ख़त्म कर दिया.’
जावेद बताते हैं कि –‘आज मैं अदालत से बाइज्ज़त बरी हो चुका हूं, पर मेरी गिरफ्तारी के लिए दोषी पुलिस वालों के खिलाफ़ कोई भी कार्यवाई नहीं हुई. आज बरी होने के बाद मेरा पूरा परिवार तबाह हो गया है. मेरे घर में मेरे अब्बू, अम्मी और छोटे भाई और बहन की मेरे ऊपर जिम्मेदारी है, पर यह कैसे निभाउंगा? मैं इस पर कुछ सोच ही नहीं पा रहा हूं.’
जावेद के मुताबिक़ साढ़े 11 साल जेल में रहने के बाद बाइज्ज़त बरी होने के बावजूद आज तक सरकार ने पुर्नवास तो दूर सरकार का कोई नुमाइंदा उसे पूछने तक नहीं आया.
जावेद ने सरकार के सामने अपनी मांग रखते हुए कहते हैं कि –‘मैं सरकार से मांग करता हूं कि वो अपने चुनाव के समय किए गए वादे के मुताबिक़ वह मेरे और मेरे जैसे उन तमाम बेगुनाहों के पुर्नवास को सुनिश्चित करे, जिससे हम फिर से जिंदगी को पटरी पर ला सकें.’
जावेद से उनकी मुहब्बत यानी उस लड़की के बारे में सवाल पूछने पर वो बताते हैं कि –‘पता नहीं, अब वो कहां है? लेकिन है तो पाकिस्तान में ही. क्या पता अब तक उसका परिवार में कितने सदस्य बढ़ गए होंगे.’
ये पूछने पर कि अगर उन्होंने अभी तक शादी नहीं की होगी, तो क्या आप अभी भी उनसे शादी करना चाहेंगे? इस सवाल पर वो हंसते हुए बताते हैं –‘अभी तो सिर्फ प्यार किया था तो साढे ग्यारह साल जेल काटकर आया हूं, वो भी आतंकवादी व पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में… अब अगर शादी करने की सोचूंगा तो पता नहीं ये पुलिस पर मुझे ऐसे कितने आरोप लगाएंगे. ये प्यार तो मेरे लिए आग का दरिया साबित हुआ.’ फिर हंसते-हंसते जावेद मायूस हो जाते हैं.
जावेद कहते हैं कि अब अगले कई सालों तक तो शादी के बारे में सोच भी नहीं सकता. हालात ऐसे हो गए कि पता नहीं मैं खुद को कैसे ज़िन्दा रख पाउंगा, ये सोच कर ही परेशान हो जाता हूं. घर-परिवार सब बर्बाद कर दिया इन लोगों ने. मेरे घर में सबकी ज़िम्मेदारी मेरे ही उपर है, पता नहीं मैं इस ज़िम्मेदारी को कैसे निभा पाउंगा?