सिद्धांत मोहन, TwoCircles.net
कोटा(राजस्थान): कल राजस्थान के कोटा जिले में नगर विकास न्यास(यूआईटी) द्वारा एक मदरसा और उससे सटी मस्जिद का कुछ हिस्सा तोड़कर गिरा देने का मामला सामने आया है. मदरसा गिराने के बाद इलाके में स्थिति काफी तनावपूर्ण हो गयी. गुस्साई भीड़ ने ट्रेनों को भी रोक दिया.
दरअसल कोटा के कैलाशपुरी में एक ओवरब्रिज के निकट मदरसा बना हुआ है. मदरसे का नाम खलीलुर्रहमान है. प्रशासन की नज़र में मदरसे का कुछ हिस्सा अतिक्रमण की श्रेणी में आता है. लिहाज़ा नगर विकास न्यास के अधिकारी कुछ पुलिस के जत्थे के संग कैलाशपुरी स्थित मदरसे पर पहुंचे. मौके पर पहुंचते ही यूआईटी ने मदरसे को तोड़ना शुरू कर दिया और कुछ ही देर में मदरसे को नेस्तनाबूत कर दिया गया.
इसके बाद आसपास के इलाकों से लोग घटनास्थल पर जुटने लगे और इसका विरोध करने लगे. पुलिस ने समझाने-बुझाने का प्रयास किया लेकिन मामला शांत नहीं हो सका. इसके साथ ही मदरसा टूटने पर नाराज़ भीड़ ने शहर के बीचोंबीच स्थित कैलाशपुरी ओवरब्रिज पर रास्ता जाम कर दिया. इसके कुछ देर बाद लोगों ने पास ही मौजूद रेलवे लाईन भी रोक दी, जिसके चलते दो-तीन पैसेंजर ट्रेनें बाधित रहीं.
रास्ता जाम करने के साथ ही प्रशासन दबाव में उतर आया. प्रशासन ने थोड़ी सख्ती दिखानी शुरू की तो कुछ लोगों ने भीड़ पर पथराव करना शुरू कर दिया. इसके बाद हिंसक होती गयी स्थिति में कई लोग घायल हुए. एसपी(सिटी) और एडीएम(सिटी) ने तत्काल रूप से स्थिति को अहिंसक रूप से समझाने का प्रयास किया, लेकिन बेकाबू भीड़ ने उनकी एक न सुनी. हालांकि कुछेक घंटों की तनावपूर्ण स्थिति के बाद इस स्थिति पर काबू पाया जा सका.
दरअसल कल 200 पुलिसकर्मियों के साथ जब यूआईटी का दल मदरसे में पहुंचा तो उसने बिना किसी बातचीत के मदरसे को तोडना शुरू कर दिया. स्थानीय लोगों का कहना है कि मदरसे के भीतर क़िताब लेने गयी महिलाओं पर लाठियां भांजी लेकिन पुलिस इस बात से इनकार करती है. इसके बाद जब नगर प्रशासन का एक दल मौके पर पहुंचकर मदरसे का मलबा उठवाने लगा तो लोगों ने विरोध किया और इसमें ही बात बिगड़ गयी.
इस मामले में यूआईटी और मदरसे के मालिक-संचालक के अलग-अलग पक्ष हैं. यूआईटी के अधिकारियों का कहना है कि मदरसा यूआईटी की ज़मीन पर अवैध रूप से बनाया गया था. इसके लिए मदरसे के मालिक मंज़ूर आलम को कई दफा नोटिस भी भेजी गयी और उन पर दबाव बनाया गया कि वे यह ज़मीन छोड़ दें लेकिन उन्होंने नहीं मानी. यूआईटी के मुताबिक़ इस ज़मीन की कीमत दो कारोड़ रुपयों से ऊपर की है.
वहीँ इस मामले के दूसरे पक्ष मंज़ूर आलम कहते हैं, ‘मैंने यह ज़मीन 35 साल पहले मूलचंद से खरीदी थी. मेरे पास इसके कागज़ात भी हैं.इस ऊबड़-खाबड़ ज़मीन को समतल करके हमने वंदना स्कूल और एक मदरसे का निर्माण कराया था. साल 1988 से हम यहां मदरसे और स्कूल का संचालन करते रहे हैं.’
मंज़ूर आगे बताते हैं, ‘बाद में यूआईटी ने कहना शुरू किया कि ज़मीन का कुछ हिस्सा उनका है. जिसके नियमन के लिए मैंने पांच हज़ार रूपए जमा भी कराए थे. यूआईटी ने कोई जवाब नहीं दिया. और कल अचानक आकर सबकुछ तहस-नहस कर दिया. उन्होंने हमें सामान निकालने तक का मौक़ा नहीं दिया.’
लोगों के मुताबिक मदरसा खलीलुर्रहमान में करीब 70 बच्चे पढ़ते हैं. लोगों का पूछना है कि अब उन लोगों की पढ़ाई कैसे होगी? शहर काज़ी अनवार अहमद ने कहा, ‘यदि यूआईटी ने मुझसे पूछा होता या लोगों को बता दिया होता तो ऐसी समस्या नहीं पैदा हुई होती. लेकिन उन्होंने मदरसे को अतिक्रमण मानकर अचानक ही तोड़ दिया, जिसके चलते स्थिति इतनी अनियंत्रित हो गयी.’
बहरहाल, इलाके में धारा 144 लागू कर दी गयी है. आज जिलाधिकारी और प्रशासनिक अमला लोगों से मुलाक़ात करेंगे और आगे की स्थिति पर विचार करेंगे.