आस मोहम्मद कैफ़, TwoCircles.net
सहारनपुर: “नजीब नही मिल रहा. जेएनयू का छात्र है. एक मारपीट हुई थी, उसके बाद से गायब है. पुलिस ढूंढ नही पा रही. माँ सड़को पर बेचैन अपने लाल को तलाश रही है. कहाँ है नजीब? हर माँ पूछ रही है. अविश्वाश का माहौल बन गया है, अब हर कोई अपने बच्चे को पढ़ाई के लिए दिल्ली भेजते हुए डर रहा है. नजीब अल्पसंख्यक है. समाज मे यह संदेश भी जा रहा है कि सरकार अल्पसंख्यको के मामलों को गंभीरता से नही लेती. महामहिम हस्तक्षेप कीजिए. खुदा के लिए नज़ीब का पता लगाईये.”
ये गुहार सहारनपुर के नौजवानों की है, जो एक सप्ताह से सडकों पर हैं. राष्ट्रपति के नाम संबोधित यह ज्ञापन उन्होंने सहारनपुर के जिलाधिकारी को दिया. जिस तरीके से बाटला हाउस एनकाउन्टर एक प्रतीक बन गया था, उसी तरह से नजीब भी अब एक प्रतीक बन गया है. उस समय एक डर बैठ गया था और दिल्ली में पढ़ने आने वाले मुस्लिम बच्चों की संख्या मे भारी कमी आ गयी थी. सुरक्षा कारणों से 5000 हजार से ज्यादा लड़के दिल्ली से वापस चले गए थे.
एक महीने से नजीब को तलाशा जा रहा है मगर नजीब नहीं मिल रहा. देश के सबसे बड़े शिक्षण संस्थान जेएनयू के हज़ारों लड़के नजीब के लिए सड़कों पर उतर गए. लगातार प्रदर्शन हुए. दिल्ली के मुख्यमंत्री समेत तमाम बड़े नाम नजीब को तलाशना चाहते है, नजीब की माँ सड़को पर ‘नजीब नजीब’ चिल्लाती हुई पगलाई घूम रही है और दिल्ली पुलिस चुप है. नजीब कौंन है? उसके साथ क्या हुआ? यह जान लेते है.
नजीब जेएनयू का छात्र है. उसकी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के कुछ लडको के साथ कहासुनी हो गयी थी. बाद में 72 हूरों के पास पहुंचाने की बात कहकर 12 लड़को ने उसके साथ मारपीट की, नजीब को बुरी तरह से पीटा गया. उसके बाद से नजीब का कोई पता नही. नजीब उत्तर प्रदेश के बंदायूं जनपद का रहने वाला है. यहां के सांसद धर्मेन्द्र यादव प्रदेश के मुख्यमंत्री के भाई हैं. इस मामले को लेकर वे देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मिले थे. मगर गृहमंत्री कुछ नही बोले. दिल्ली पुलिस कमिश्नर भी कुछ नही बोल रहे. दिल्ली गूंगी बहरी हो गयी है मगर सहारनपुर बोल रहा है. आठ दिन में सहारनपुर मे 4 प्रदर्शन हो चुके हैं. ये सभी प्रदर्शन एक सामाजिक संस्था ‘गाड़ा युवा मंच’ के बैनर तले हुए हैं. इस संस्था के अध्यक्ष फरहाद गाड़ा हैं.
सहारनपुर के इन प्रदर्शनों के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने नजीब के परिजनों को बुलाकर बात की है और हर संभव मदद देने का भरोसा दिया है मगर नजीब दिल्ली से गुम है. सहारनपुर जैसा गुस्सा कई शहरों में है. वहां भी प्रदर्शन हो सकते हैं. लोकल इंटीलिजेंस लगातार कड़ी नजर बनाए हुए है. सोशल मीडिया पर नजीब की बरामदगी को बड़ा अभियान छेड़ा गया है. मुज़फ्फरनगर की संस्था ‘पैगाम-ए-इंसानियत’ के अध्यक्ष आसिफ राही भी इसे मुस्लिम नौजवानों को कुचलने की साज़िश बताते हैं. जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के मौलाना मूसा क़ासमी भी नजीब की बरामदगी को लेकर अभियान को ज़रूरी बताते हैं.
नजीब के पक्ष मे पहले पूरी दिल्ली के छात्र आये थे. अब जहां-जहां के लड़के भी दिल्ली में पढ़ रहे है वे अपने इलाक़ो मे जाकर लोगो को प्रेरित कर रहे हैं. सहारनपुर इन जिलो में सबसे ज्यादा सक्रिय है. गाड़ा युवा मंच के अध्यक्ष फरहाद गाड़ा सहारनपुर से दिल्ली तक मार्च निकालना चाहते हैं, इसकी तैयारी चल रही है. बहुत से मुस्लिम परिवार अब अपने बच्चों को बाहर पढ़ने भेजने को लेकर आशंकित है. नजीब धीरे-धीरे अब एक गंभीर प्रश्न बन गया है.