TwoCircles.net Staff Reporter
लखनऊ : ‘जब भी मोदी का दौरा होना होता है तब प्रदेश में सांप्रदायिकता और सुरक्षा के नाम पर मुस्लिम समुदाय को आतंकित करने का माहौल बनाया जाता है जिस पर प्रदेश की सपा सरकार भी शामिल है.’
यह बातें आज रिहाई मंच की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा. आगे उन्होंने कहा कि –‘मोदी के दौरे के पहले जिस तरह से खुफिया एजेंसियां आतंकी घटनाओं के इनपुट संचार माध्यमों में प्रसारित कर रही हैं, वो साबित करता है कि खुफिया और सुरक्षा एजेंसियां फ़र्ज़ी गिरफ्तारियों की तैयारी कर चुकी हैं.’
एडवोकेट मुहम्मद शुऐब बताते हैं कि पिछली बार लखनऊ में अंबेडकर युनिवर्सिटी में रोहित वेमुला की हत्या के सवाल पर ‘मोदी गो-बैक’ के नारों से घिरे मोदी पर से ध्यान हटाने के लिए सुरक्षा सुरक्षा एजेंसियों ने आईएस के आतंकी के नाम पर लखनऊ से अलीम और कुशीनगर से रिज़वान को गिरफ्तार कर मामले को डायवर्ट किया था. इतना ही नहीं, प्रदेश की अखिलेश सरकार भी दिल्ली स्पेशल सेल और एनआईए द्वारा प्रदेश से आतंकवाद के नाम पर मुस्लिम युवकों की गिरफ्तारियों में संलिप्त है.
उन्होंने कहा कि मोदी की यह पुरानी राजनीति है कि उनकी सुरक्षा के नाम पर कभी इशरत तो कभी सादिक जमाल मेहतर के फ़र्ज़ी इनकाउंटर और मुस्लिम युवकों की गिरफ्तारियां होती रही हैं. उन्हीं की राह पर चलते हुए पूर्व में मायावती ने भी लखनऊ के चिनहट में कश्मीरी साल बेचने वालों को फ़र्ज़ी मुठभेड़ में मार गिरवाया था और अखिलेश यादव भी उन्हीं के नक्शे-क़दम पर चलते हुए दिल्ली स्पेशल सेल और एनआईए द्वारा अब तक के अपने कार्यकाल में 17 से अधिक मुस्लिम युवकों को आतंकवाद के झूठे मामलों में उठा ले जाने में सहयोगी की भूमिका में रहे हैं.
उन्होंने कहा कि ठीक इसी तरह पिछले दिनों अमित शाह के बहराइच दौरे के पहले सिमी की सक्रियता और दर्जनों स्लीपिंग माडॅ्यूल के संचालन का माहौल बनाया गया. जिसके बाद रिहाई मंच ने जाकर जब पुलिस प्रशासन, एलआईयू, आईबी से पूछताछ की तो उन्होंने नकार दिया और यहां तक की ख़बर छापने वाले पेपर ने भी ख़बर के पुष्टि नहीं दे पाया.
मंच अध्यक्ष ने कहा कि ऐसे में जब मोदी का लखनऊ दौरा होने वाला है और यमुना एक्सप्रेस वे से लेकर जगह-जगह के आतंकी घटना के इनपुट की ख़बरें प्रसारित की जा रही हैं तो यह स्पष्ट है कि खुफिया सुरक्षा एजेंसियां सरकार की छवि निर्माण के लिए फ़र्जी गिरफ्तारियां और घटनाओं को अंजाम दे सकती है.
उन्होंने अखिलेश सरकार को राज्य के संघीय ढांचे को संज्ञान में लेने की सलाह देते हुए कहा कि अगर आतंकवाद के नाम पर इस दौरान बेगुनाहों की गिरफ्तारी हुई तो इसके खिलाफ़ हम सड़कों को पर उतरने के लिए बाध्य होंगे.
रिहाई मंच ने इलाहाबाद में मजलिस के बीच बुरका पहनकर सांप्रदायिक तनाव फैलाने वाले विहिप नेता अभिषेक यादव के पकड़े जाने पर कहा कि इन लोगों की पुरानी परंपरा है.
मंच ने खुफिया एजेंसियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि सुरक्षा के नाम पर एलर्ट जारी कर सांप्रदायिक विभाजन कराने वाली एजेंसियां बताएं की कभी दादरी में साध्वी प्राची तो कभी मजलिस में विहिप नेता द्वारा फैलाई जाने वाली सांप्रदायिकता पर उनको इनपुट नहीं मिलता क्या.
रिहाई मंच लखनऊ प्रवक्ता अनिल यादव का कहना है कि यह वह गोडसे परंपरा है जिसे पूजने का आह्वान साध्वी प्राची गांधी जयंती के दिन कर रही थी. जिसने ठीक इसी तरह नकली दाढ़ी-टोपी लगाकर राष्ट्रपिता पर कई बार हमले करने की कोशिश की थी. मालेगांव में भी नकली दाढ़ी टोपी लगाकर यह बजंरगी बम बनाते हुए उड़ गए थे.
अनिल यादव के मुताबिक़ सांप्रदायिकता के सवाल पर अखिलेश सरकार की विफलता के चलते दादरी से लेकर इलाहाबाद तक सांप्रदायिक ताकतों के हौसले बुलंद हैं.
उन्होंने कहा कि दशहरा, मोहर्रम, दीपावली जैसे बड़े त्योहार इस महीने हैं और सांप्रदायिक तत्वों की सक्रियता बता रही है कि वह प्रदेश का माहौल बिगाड़ने पर उतारु हैं. ऐसे में अखिलेश यादव को अपने भ्रष्टाचारी रुठों को मनाने और पारिवारिक विवाद, विलय विवाद से थोड़ा ध्यान हटाकर कर प्रदेश की चिंता करनी चाहिए क्योंकि उनका पूरा प्रशासनिक तंत्र का हिन्दुत्वादी रुझान और सांप्रदायिक ताक़तें प्रदेश को सांप्रदायिकता की आग में झोंकने को उतारु हैं.