अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net
हमेशा सुर्खियों में रहने वाला दिल्ली का जामिया नगर एक बार फिर ग़मज़दा है. वजह इसी इलाक़े में रहने वाली एक 16 साल की लड़की को दिल्ली के किसी सुनसान इलाक़े में ले जाकर ड्रग्स के इंजेक्शन देकर चार दिनों तक लगातार 25 लोगों द्वारा किया गया सामुहिक बलात्कार है. यहां के लोगों ने पीड़ित लड़की को ‘जामिया नगर की निर्भया’ नाम दिया है.
यह लड़की जामिया नगर के ही एक स्कूल में 8वीं क्लास की छात्रा है. इसका परिवार बेहद ही गरीब है. पिता इलाक़े में ई-रिक्शा चलाते हैं तो वहीं मां लोगों के घरों में झाड़ू-पोछे का काम करती हैं.
लड़की के परिवार वालों का आरोप है कि पुलिस इस मामले में लीपा-पोती कर रही है. इस कांड में 26 लोग शामिल थे, लेकिन पुलिस ने अब तक सिर्फ़ एक ही आरोपी को गिरफ़्तार किया है. और अब पुलिस उसे भी नाबालिग़ बताकर उसे बचाने की कोशिश कर रही है.
‘जामिया नगर की निर्भया’ का यह केस कई बड़े व जायज़ सवाल खड़े करता है. क्या ग़रीब परिवार को इंसाफ़ पाने का हक़ नहीं नहीं है? क्या रसूखदार व धन-पशु मिलकर जैसे भी चाहेंगे अपने पक्ष में क़ानून की दिशा को मोड़ देंगे? कहां हैं वो तमाम जन-प्रतिनिधी और नेता जो इसी तबक़े के वोट पर अपनी राजनिती के दुकान सजाते हैं? क्यों वो इंसाफ़ की लड़ाई में इस गरीब परिवार का साथ नहीं दे रहे हैं? लाचारी, बदनामी और तंगहाली के मुहाने पर खड़ा ये परिवार अगर कल को कोई ग़लत क़दम उठाने पर मजबूर होता है तो इसका ज़िम्मेदार व जवाबदेह कौन होगा?
ये वो सवाल हैं, जिन पर अभी भी इलाक़े के लोग खामोश हैं. जबकि यह जामिया नगर वही इलाक़ा है, जहां धार्मिक और राजनीतिक मामलों में यहां के काफ़ी सक्रिय भूमिका निभाते हैं. जहां देश में मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करने वाले मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जमात-ए-इस्लामी हिंद, इस्लामी फिकह अकादमी और जमात-ए-अहले हदीस हिन्द सहित अनेक मुस्लिम धार्मिक संगठनों व अन्य ग़ैर-सरकारी संगठनों के हेडक्वार्टर हैं. देश-दुनिया में कहीं कुछ हो, अगर उसका संबंध मुसलमानों से है तो उसके पक्ष या विपक्ष में आवाज़ें भी सबसे पहली यहीं से उठती हैं. सद्दाम, मोदी, कार्टून विवाद, सभी यहां चर्चा का गरमागरम विषय रहे हैं.
बतौर पत्रकार मैंने खुद यहां देखा है कि इन भाषणों में ऐसी अनेक बातें खुल कर बोली जाती हैं, जिन्हें हर जगह पर सार्वजनिक तौर पर बोलना आसान नहीं है. वक्ताओं के अंदर का उबाल उनके भाषणों में साफ़ ज़ाहिर होता है, लेकिन इनका सरोकार यहां के अवामी समस्याओं (ख़ासतौर पर उन समस्याओं में जिन समस्याओं को पैदा करने वाला खुद मुसलमान हो) में थोड़ा कम ही होता है, जैसा कि ‘जामिया नगर की निर्भया’ मामले में देखने को मिल रहा है.
हालांकि कुछ लोगों ने ‘जामिया नगर की निर्भया’ मामले में अपनी चुप्पी ज़रूर तोड़ी है. इस ‘निर्भया’ को इंसाफ़ व परिवार को मदद दिलाने की नियत से कल बटला हाऊस के खलीलुल्लाह मस्जिद पर एक सभा आयोजित की गई.
इस सभा को संबोधित करते हुए सीपीआई के फायर ब्रांड युवा नेता अमीक़ जामई ने यह सवाल ख़ड़ा किया कि –‘पुलिस आरोपियों को इसलिए बचा रही है कि इसमें विधायक, पूर्व विधायक और इलाक़े के कई नेताओं के रिश्तेदारों के दरिंदे बच्चे शामिल हैं? नहीं, हम ऐसा नहीं होने देंगे. इस गरीब परिवार के इंसाफ़ के लिए अपनी जान की बाजी लगा देंगे.’
वरिष्ठ पत्रकार महेश राठी ने कहा कि –‘यह हालात सिर्फ़ जामिया नगर के नहीं हैं, बल्कि पूरे देश में गरीबों, दलितों व अल्पसंख्यकों की बेटियों को इंसाफ़ नहीं मिल रहा है.’ उन्होंने सवाल किया कि –‘अगर यही बेटी गृहमंत्री राजनाथ सिंह के परिवार से या उनके ठाकुर बिरादरी की होती तो फिर क्या होता? क्या हमारी बेटियां निर्भया से कम हैं? क्या ठाकुरों की तरह इनकी इज़्ज़त व आबरू नहीं होती? यक़ीन कीजिए अगर इंसाफ़ देश की राजधानी दिल्ली में नहीं मिल सकता तो देश के किसी कोने में नहीं मिल सकता.’
सामाजिक कार्यकर्ता अब्दुल रशीद आगवान बताते हैं कि –‘ये कितना शर्मनाक है कि जामिया नगर जैसे मुस्लिम बहुल इलाक़े में ऐसे घिनौने काम हो रहे हैं. हमें इसके असल जड़ तक पहुंचना होगा कि आख़िर इसके पीछे असल वजह क्या है.’ वो बताते हैं कि –‘इसके पीछे असल वजह शराब है और चिंता की बात यह है कि इस इलाक़े में नशेड़ियों की संख्या बढ़ रही है.’ उनका यह भी कहना है कि –‘ये कोई पहली घटना नहीं है. इसके पहले ऐसे मामले आ चुके हैं, लेकिन यहां के लोग क़ौम की बदनामी के डर से ऐसे मसलों को दबा देते हैं.’
इस सभा को इलाक़े की सामाजिक कार्यकर्ता नाज़िया हसन ने संबोधित करते हुए कहा कि –‘मैं लड़की से मिलकर आई हूं. उसके दर्द को शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता. दरिंदों ने ज़ुल्म व दरिंदगी की सारी हदें पार कर दी हैं.’ उनका सवाल है कि जब एमएलसी रिपोर्ट में यह बात आ गई है कि लड़की के साथ सामुहिक बलात्कार हुआ है, तो पुलिस बाक़ी आरोपियों को क्यों नहीं पकड़ रही है.
इस सभा के बाद जामिया नगर के इंसाफ़-पंसद लोगों ने इलाक़े में एक रैली भी निकाली, जो आगे जाकर कैंडल-मार्च में तब्दील हो गई. लोग हाथों में कैंडल लिए और ‘जामिया नगर की निर्भया’ के लिए इंसाफ़ के नारे बुलंद करते हुए जामिया नगर थाने पहुंचे और यहां फिर से यह रैली एक सभा में तब्दील हो गई.
रैली में शामिल में लोगों ने जामिया नगर पुलिस स्टेशन के परिसर में अपने गुस्से का इज़हार किया और पुलिस को यह संदेश दे दिया कि –‘अब हम चुप बैठने वाले नहीं हैं. ‘जामिया नगर की निर्भया’ के गरीब परिवार को हर हाल में इंसाफ़ मिलना ही चाहिए’