आस मोहम्मद कैफ, TwoCircles.net
मुज़फ्फरनगर : आमतौर पर आर एस एस मुसलमानों से दूरी बनाये रखता हैं. लेकिन कभी कभी इंसानियत हर एजेंडे से ऊपर उठ जाती है. मदद के लिए हाथ उस तरफ भी बढ़ जाते हैं जहाँ से कोई उम्मीद नहीं होती.
ऐसा ही एक किस्सा मुज़फ्फरनगर में हुआ. हर मुसलमान की तरह हज करने की ख्वाहिश शाहपुर कस्बे निवासी मजीद अंसारी को भी थी. मौका नहीं मिला तो मायूस हो गए. ताज्जुब जब हुआ जब आर एस एस के एक स्थानीय कार्यकर्त्ता ने उनको हज पर भेजने में मदद की पेशकश करी.
वैसे मुज्जफरनगर दंगे के बाद जब हिंसा फैलनी शुरू हुई तो पहली घटना शाहपुर में हुई .दंगे में शाहपुर थाना क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ. हिन्दू और मुसलमान बंट से गए. दूरियां बढ़ गयी, लोग एक दुसरे से खिचने लगे.
उसी शाहपुर में मजीद अंसारी हज पर जाने की तमन्ना संजोये हुए थे. पिछले साल उन्होंने इसके लिए फॉर्म भरा लेकिन वो कुछ वजहों से ख़ारिज कर दिया गया. अपनी उम्र के पैसठ साल बीत जाने के बाद मजीद ने इस साल फिर फॉर्म भरा लेकिन बदकिस्मती से ड्रा में उनका नाम नहीं आया. मजीद के पास दुआ करने के अलावा कोई सहारा नहीं था.
मजीद की मदद ऐसे जगह से हुई जहाँ से उनको उम्मीद नहीं. मजीद के भतीजे साजिद की शाहपुर निवासी सचिन से दोस्ती थी. ये दोस्ती कोई मज़हब नहीं देखती. सचिन को जब ये पता चला तो उसने अपने ताऊ श्यामलाल, जो आर एस एस के पुराने कार्यकर्त्ता हैं उनसे बात की. पहले श्यामलाल कुछ असहज हुए लेकिन दोस्ती के आगे झुकना पड़ा. श्यामलाल ने केंद्रीय कृषि मंत्री संजीव बालियान से मजीद को हज के लिए वी आई पी कोटे से भेजने को कहा.
मामला सीधे आर एस एस के पुराने कार्यकर्त्ता की सिफारिश का था इसीलिए बालियान ने लिखित अनुरोध केंद्रीय मंत्री मुख़्तार अब्बास नकवी से किया.
मजीद को वी आई पी कोटे से हज भेजने के सहमती जारी कर दी गयी.
इस मंज़ूरी के सूचना देने श्यामलाल खुद फूलमाला लेकर मजीद के घर पहुचे.मजीद ने तुरंत उनको गले लगा लिया. यही नहीं और दुसरे कार्यकर्ताओ ने मजीद के पैर छू कर आशीर्वाद लिया और मजीद को हज के लिए रवाना कर दिया.
इस बाबत बात करने पर सचिन सिंघल और उनके तौर श्यामलाल बस मुस्कुरा देते हैं.