भारत ने अपने ऊर्जा सब्सिडी पर खर्च में की 16 अरब डॉलर की कटौती

TwoCircles.net Staff Reporter


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नई दिल्‍ली : इंटरनेशनल इंस्‍टीट्यूट ऑफ सस्‍टेनेबल डेवलपमेंट (आईआईएसडी), ओवरसीज़ डेवलपमेंट इंस्‍टीट्यूट (ओडीआई) तथा आईसीएफ इंडिया की द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार भारत सरकार ने वित्‍तीय वर्ष 2014 से 2016 के बीच ऊर्जा क्षेत्र में दी जाने वाली सब्सिडी में 16 अरब डॉलर से ज्‍यादा की कटौती की है.

रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2014 में जहां यह सब्सिडी 2,16,408 करोड़ रुपये (35.8 अरब डॉलर) थी, वह वित्‍तीय वर्ष 2016 में घटकर 1,33,841 करोड़ रुपये (20.4 अरब डॉलर) हो गई.

रिपोर्ट बताती है कि यह गिरावट तेल तथा गैस सब्सिडी जैसी फ़िज़ूल मदों में होने वाले खर्च में कटौती करने जैसे सुधारात्‍मक क़दमों का परिणाम हो सकती है. साथ ही वैश्विक स्‍तर पर तेल के दामों में आई कमी भी इसका एक कारण हो सकता है.

आईआईएसडी के प्रतिनिधि वि‍भूति गर्ग ने कहा कि, हालांकि अनुदान की धनराशि में उल्‍लेखनीय कमी लाई गई है, लेकिन यह अब भी अक्षय ऊर्जा विकल्‍पों के मुक़ाबले जीवाश्‍म ईंधन के पक्ष में है. यह सरकार के विभिन्‍न उद्देश्‍यों के पूरी तरह अनुरूप नहीं है. इन उद्देश्‍यों में नुक़सानदेह वायु प्रदूषण को कम करना तथा नेशनली डिटरमाइंड कंट्रीब्‍यूशन (एनडीसी) के ज़रिए जलवायु परिवर्तन की समस्‍या से निपटना शामिल है.

वो आगे कहते हैं कि, पिछले तीन वर्षों के दौरान अक्षय ऊर्जा पर दिए जाने वाले अनुदान में तीन गुना बढ़ोत्‍तरी हुई है. वहीं, कोयले पर दी जाने वाली सब्सिडी स्थिर है. यह इस बात की तरफ़ इशारा करता है कि सरकार धीरे-धीरे अक्षय ऊर्जा की तरफ़ अपना सहयोग बढ़ा रही है. जीएसटी लागू होने के बाद यह स्‍पष्‍ट नहीं है कि जीवाश्‍म ईंधन पर सब्सिडी की दर बढ़ेगी या घटेगी, साथ ही राज्‍य स्‍तरीय अनुदानों को लेकर तस्‍वीर अब भी अधूरी है. नीति निर्धारकों को सटीक निर्णय लेने के लिए इन मुद्दों पर पारदर्शिता की ज़रूरत होगी.

रिपोर्ट में इस बात का भंडाफोड़ भी किया गया है कि भारत सरकार बिजली पारेषण और वितरण पर दी जाने वाली सब्सिडी में लगातार बढ़ोत्‍तरी कर रही है, वहीं पिछले तीन वर्षों के अंदर उसने तेल तथा गैस पर दिए जाने वाले अनुदान में कटौती की है.

भारत ने साल 2009 में जी-20 के सदस्‍य के रूप में यह संकल्‍प लिया था कि वह फ़िज़ूल उपयोग को बढ़ावा देने वाले जीवाश्‍म ईंधन सम्‍बन्‍धी अनुदानों को धीरे-धीरे ख़त्‍म करेगी. साथ ही सबसे गरीब लोगों को लक्षित तौर पर सहयोग उपलब्‍ध कराएगी. कुल मिलकर समीक्षागत सम्‍पूर्ण अवधि के दौरान यह पाया गया कि जीवाश्‍म ईंधन (कोयला, तेल तथा गैस) पर दी जाने वाली सब्सिडी अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में दिए जाने वाले अनुदान के मुक़ाबले अब भी ज्‍यादा उल्‍लेखनीय बनी हुई है.

ग़ौरतलब रहे कि, वित्‍तीय वर्ष-2016 में पर्यावरण स्‍वच्‍छता सम्‍बन्‍धी कर लगाकर 28,500 करोड़ रुपये एकत्र किए गए, मगर स्‍वच्‍छ ऊर्जा विकास पर केवल 9,310 करोड़ रुपये ही खर्च किए गए. उसी साल भारत ने कोयला सब्सिडी की मद में 14,990 करोड़ रुपये खर्च किए. ऐसे अनुदानों का बाज़ारों, समाज और पर्यावरण पर असर पड़ता है.

लांसेट की रिपोर्ट के अनुसार वायु प्रदूषण के कारण वर्ष 2016 में भारत में 10 लाख से ज्‍यादा लोगों की मौत हो गई.

पूरी रिपोर्ट आप यहां पढ़ सकते हैं…

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