आस मुहम्मद कैफ़, TwoCircles.net
मेरठ/मुज़फ़्फ़रनगर : ख़ित्ता-ए-वली (संतों की भूमि) की नाम से मशहूर मेरठ मुज़फ़्फ़रनगर मार्ग पर स्थित क़स्बा खतौली के नागरिकों ने हिन्दू मुस्लिम सद्भाव की बेहद तारीफ़-ए-क़ाबिल मिसाल क़ायम की है.
एक सड़क दुर्घटना में शाकुम्भरी देवी के दर्शन से लौट रहे चार तीर्थ-यात्रियों की मौत के बाद स्थानीय मुसलमानों ने हिन्दू समाज के साथ कंधे से कंधा मिलाकर इनकी अर्थी को अंतिम संस्कार में सहयोग किया. क्षेत्र में मुस्लिमों के इस कार्य की भूरि-भूरि प्रशंसा की जा रही है.
बुधवार को सहारनपुर के प्रसिद्ध तीर्थ शाकुम्भरी देवी के दर्शन कर लौट रहे प्रवीण पुत्र अशोक, अपनी मां व पिता और एक अन्य महिला सविता के साथ मुज़फ्फ़रनगर हाइवे पर एक डीसीएम से टकरा गए, जिसमें वो गम्भीर रूप से घायल हो गए.
स्थानीय लोगों ने तत्काल उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया मगर एक भी जान बच नहीं सकी. मुस्लिम बहुल इलाक़ा होने के कारण बड़ी संख्या में यहां मुसलमान पहुंच गए और इन सभी ने अंतिम संस्कार की ज़िम्मेदारी अपने कंधों पर उठा ली. हिंदु समाज ने भी मुसलमानों की भावनाओं का सम्मान करते हुए उनका सहयोग किया. यानी कह सकते हैं कि साम्प्रदायिक सद्भाव को मज़बूत करने के लिए हिन्दू समाज ने उन्हें इसका पूरा अवसर भी दिया.
स्थानीय नागरिक क़ाज़ी फ़सीह अख्तर के मुताबिक़ मुसलमानों ने अपने फ़र्ज़ का निर्वहन किया, जो इंसानियत के प्रति उनकी जवाबदेही तय करता है. उम्मीद है कि इससे नफ़रत फैलाने वालों को सबक़ मिलेगा.
राष्ट्रीय साहित्यकार और कवि व स्थानीय निवासी अजय जन्मेजय के अनुसार उनकी आंखें ख़ुशी से नम हो गई. यह नफ़रत की राजनीति करने वालों पर प्यार की थपकी है. देश को इसी प्रकार की सद्भावना की ज़रूरत है.
गौरतलब रहे कि मुस्लिम बहुल आबादी वाला खतौली क़स्बा बेहद संवेदनशील इलाक़ा की श्रेणी में आता है. मगर इस प्रकार की पहल से बर्फ़ पिघल रही है. एक तरफ़ जहां मातम का माहौल था, वहीं यह सब देखकर लोगों की ज़बान पर दुआएं भी थी. इस कार्य में विशेष तौर पर स्थानीय क़ाज़ी जमील अहमद, हाजी जावेद, इकराम अंसारी, हाजी फैज़ान, हाजी शहनवाज़ लालू, अरशद ज़ैदी, नईम, ताजुद्दीन, सोनू फ़रीदी समेत बड़ी संख्या में मुसलमान शामिल थे.