तोड़ी गई राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समाधि

TwoCircles.net Staff Reporter


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नई दिल्ली : ख़बर है कि मध्य प्रदेश राज्य के बड़वानी स्थित ज़िला मुख्यालय के समीप राजघाट में स्थापित राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समाधि स्थल को तोड़ दिया गया है. यहां से उनकी अस्थि कलश निकाल ली गई है.

बताते चलें कि सरदार सरोवर बांध के डूब प्रभावित इलाक़े में आ रहे गांधी स्मारक को हटाने के लिए गुरुवार सुबह 4 बजे कुछ सरकारी अधिकारी पहुंचे. उन्होंने जेसीबी से खोदकर महात्मा गांधी, कस्तूरबा गांधी और महादेव जी के अस्थि कलश बाहर निकाल लिया.

इसकी ख़बर मिलते ही मेधा पाटकर और नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ता मौक़े पर पहुंच गए और बिना कोई जानकारी के स्मारक हटाने को लेकर हंगामा किया.

उन्होंने आरोप लगाया कि बिना पंचनामा बनाए अस्थि कलश ले जाए जा रहे थे. क़रीब 2 घंटे तक विरोध के बाद प्रशासन वहां से हट गया. लेकिन कुछ देर बार फिर प्रशासन का अमला मौक़े पर पहुंचा और अस्थि कलश उठाकर राजघाट ले जाया गया.

इस घटना के बाद ट्वीटर पर लोग इस बारे में बात करने लगे हैं. इस संबंध में मध्य प्रदेश के एक पत्रकार राकेश मालविया ने ट्वीटर पर जानकारी दी है. उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि, ‘दिन के उजाले में बापू को गोली मारी थी, रात के अंधेरे में उनका कलश निकाल लिया. राजघाट बड़वानी में बापू की समाधि पर हे राम.’

स्पष्ट रहे कि दिल्ली के राजघाट के बाद बड़वानी के राजघाट पर स्थापित गांधी समाधि का अपना राष्ट्रीय महत्व है. लेकिन प्रशासन की माने तो सरदार सरोवर बांध की डूब में ये समाधि आ चुकी है. इसलिए इस समाधि को यहां से हटाकर कुकरा बसावट में स्थापित किया जाना है. लेकिन गांधीवादी विचारकों का मानना है कि पुनर्वास के बाद इस राष्ट्रीय महत्व का अस्तित्व ख़त्म हो जाएगा, क्योंकि जिस उद्देश्य से नर्मदा किनारे समाधि बनाई गई थी, उसका कोई महत्व नहीं रह पाएगा.

यहां राष्ट्रपिता गांधी जी के साथ राष्ट्रमाता कस्तूरबा गांधी और राष्ट्र सेवक व गांधीजी के निजी सचिव महादेव भाई देसाई की अस्थि एक ताम्र कलश में रखकर 30 जनवरी 1965 में स्थापित कर गांधी समाधि बनाई गई थी. तभी से कुकरा घाट को राजघाट भी कहा जाने लगा. पूरे देश में बड़वानी के राजघाट पर स्थापित समाधि एकमात्र समाधि है, जहां गांधीजी के साथ कस्तूरबा गांधी और महादेवभाई देसाई की अस्थि भस्म के अंश मौजूद है.

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