अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net
संसद में केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री हंसराज अहीर ने हेट-क्राइम पर डराने वाला आंकड़ा जारी किया है. इन आंकड़ों के मुताबिक़ देशभर में धर्म और जाति के आधार पर गए हमलों में 41 फ़ीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. हमलों के ज़्यादातर शिकार मुसलमान और दलित बने हैं. हालांकि गौ-रक्षकों ने देशभर में कितना उत्पात मचाया है, सरकार के पास अलग से इसका आंकड़ा उपलब्ध नहीं है.
भाजपा की अगुवाई में केंद्र में एनडीए की सरकार बनने के बाद से देश की फिज़ा बदली है. मज़हब और जाति जैसी पहचान के आधार पर होने वाले हमलों में आए उछाल के आंकड़े कम से कम यही कहते हैं.
पिछले तीन साल में इस तरह के अपराध में 41 फ़ीसद का इज़ाफ़ा हुआ है. 2014 में महज़ 336 मामले इस प्रवृत्ति के दर्ज किए गए थे, लेकिन 2015 में यह आंकड़ा 424 और 2016 में 475 पहुंच गया.
हेट-क्राइम के सबसे ज़्यादा मामले यूपी में दर्ज हुए हैं. यहां तीन सौ फ़ीसद का इज़ाफ़ा हुआ है. पश्चिम बंगाल दूसरे नंबर पर आता है, जहां 2014 और 2016 के बीच सांप्रदायिक अपराधों में लगभग 200 फ़ीसद की बढ़ोत्तरी देखी गई है.
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हंसराज अहीर ने मंगलवार को संसद में सांसद प्रसून बनर्जी और केसी वेणुगोपालन के सवाल पूछने पर इन आंकड़ों को जारी किया है.
मंत्री हंसराज अहीर ने आंकड़े जारी करते हुए कहा, ‘राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) धर्म, जाति, जन्म स्थान आदि (आईपीसी की धारा —153क और 153ख) के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने वाले अपराधों से संबंधित आंकड़ों का रख-रखाव करता है. एनसीआरबी गौ “रक्षा”, गाय के व्यापार और दुर्व्यापार से संबंधित मामलों के बारे में आंकड़ों का रख-रखाव नहीं करता है.’
इन दोनों सांसदों ने अपने सवाल में यह भी पूछा था कि क्या भीड़ द्वारा मार दिए जाने के ख़िलाफ़ कोई सख्त क़ानून बनाने का प्रस्ताव है? इसके जवाब में मंत्री हंसराज अहीर ने बताया कि, ‘गृह मंत्रालय में इस समय ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है.’
एक अन्य सवाल के जवाब में गृहराज्य मंत्री ने बताया कि क़ानून व्यवस्था बनाए रखने और जान-माल की रक्षा का दायित्व मुख्य रूप से राज्य सरकारों का है. वे ऐसे अपराधों से निपटने में सक्षम हैं.
राज्यसभा में 26 जुलाई को कांग्रेस के पी. एल. पुनिया और उनसे पहले 19 जुलाई को के. रहमान खान और नरेश अग्रवाल ने भी ऐसे ही कई सवाल पूछे थे, तब भी मंत्री हंसराज अहीर ने इन्हीं बातों को रखते हुए बताया था कि, केंद्र सरकार अपराध की रोकथाम को अत्यधिक महत्व प्रदान करती है और राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को पशुओं की सुरक्षा के नाम पर क़ानून और व्यवस्था को भंग करने वाले शरारती तत्वों के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए आवश्यक परामर्शी-पत्र जारी किया गया है, जो गृह मंत्रालय की वेबसाइट www.mha.nic.in पर उपलब्ध है.
बल्लभगढ़ में जुनैद की ट्रेन में पीट-पीटकर हत्या से संबंधित एक सवाल में अहीर ने बताया कि, हरियाणा राज्य सरकार ने मृतक के परिवार को वक़्फ़ बोर्ड द्वारा प्रदान किए गए 5 लाख रु. के अतिरिक्त 5 लाख रु. की राशि जारी की है.
इन नेताओं के अलावा 19 जुलाई को अनिल देसाई, रीताब्रता बनर्जी और रंजिब बिस्वाल ने भी राज्यसभा में यह मुद्दा उठाया था. वहीं सांसद कल्याण बनर्जी, कोडिकुन्नील सुरेश और कौशलेन्द्र कुमार ने 18 जुलाई को लोकसभा में इन सवालों को उठा चुके हैं.
राज्यसभा में नरेश अग्रवाल ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि मंत्री जी ने जवाब दिया है कि यह केन्द्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है, राज्य सरकार के क्षेत्र में आता है और एनसीआरबी इसका कोई रिकॉर्ड नहीं रखता है. जबकि प्रधानमंत्री जी ने इस संबंध में कल-परसों ही अपील की थी और खुद यह कहा था कि जो गौ-रक्षा के नाम पर हो रहा है, वह बंद होना चाहिए, लेकिन सबसे ज्यादा यह भाजपा वाले ही कर रहे हैं, इसीलिए आप जवाब नहीं देना चाहते हैं.
उन्होंने आगे कहा कि, माननीय मंत्री जी, आप कह रहे हैं कि हमारे पास इसका रिकॉर्ड नहीं है, लेकिन हम आपको अख़बार में दिखा सकते हैं कि अब तक इसकी वजह से क़रीब 50 ऐसी वारदातें, हत्याएं हो चुकी हैं. क्या केन्द्र सरकार की जानकारी में यह है कि गौ-रक्षा के नाम पर हत्याएं हुईं. यदि है, तो क्या केन्द्र सरकार ने राज्य सरकारों को कोई डायरेक्शन इश्यू किए? क्या इस पर आप कोई नया क़ानून बनाने पर विचार कर रहे हैं या स्पेशल कोर्ट में मुक़दमा चलाने का विचार कर रहे हैं? यदि हां, तो कब तक कर रहे हैं और यदि नहीं, तो क्यों?
नरेश अग्रवाल के इस सवाल पर हंसराज गंगाराम अहीर ने कहा कि एनसीआरबी विशेषकर गौ-हत्याओं पर या गोवंश को लेकर जो अप्रिय घटनाएं हो रही हैं, उनकी कोई विशेष सूची बनाती हो, ऐसा नहीं होता है. जो भी हत्याएं होती हैं, उनके अनेक कारण होते हैं. उनमें गोवंश को लेकर, जाति को लेकर या धर्म को लेकर जो भी हत्याएं होती हैं, उनकी अलग सूची बनती है, उसी में यह भी इन्क्लूड होता है, अलग से इसकी कोई सूची नहीं बनती है.
उन्होंने यह भी बताया कि होम मिनिस्टर साहब ने भी एक एडवाईज़री निकाली है और उन्होंने सभी राज्यों को सूचना दी है कि जहां भी ऐसी घटनाएं होती हैं, उन पर तुरन्त एफ़आईआर दर्ज हो, कहीं पर आनाकानी न हो तथा संबंधित अपराधियों को तुरंत अरेस्ट किया जाए एवं उनके ख़िलाफ़ कार्यवाही की जाए. एडवाइज़री देने की वजह से सभी राज्यों ने इस पर कार्यवाही की है. कुछ राज्यों की जानकारी हमारे पास है. पार्टी का नाम लेकर जो बात कही गई है, वह बात सही नहीं है कि बीजेपी के लोग इसमें डायरेक्ट शामिल हैं.
हंसराज अहीर ने आगे कहा कि, इस संबंध में जितने भी मामले दर्ज हुए हैं, चाहे वह हरियाणा का बल्लभगढ़ हो, झारखंड हो, पश्चिमी बंगाल हो या महाराष्ट्र हो, जिन-जिन राज्यों में, जहां-जहां भी ऐसी घटनाएं हुई हैं, सभी जगह पर अपराधियों को अरेस्ट किया गया है.
उन्होंने यह भी कहा कि अगर कहीं पर किसी अपराधी को अरेस्ट नहीं किया गया है, तो वह इस संबंध में शिकायत करे, हम संबंधित राज्य से इस संबंध में पूछेंगे.
इस पर नरेश अग्रवाल ने कहा कि, मंत्री जी, जब आपकी नॉलेज में सब चीजें आ गईं, तो क्या केन्द्र सरकार ने, प्रधान मंत्री जी ने राज्य के मुख्य मंत्रियों को बुलाकर उनको कुछ डायरेक्शन देंगे कि वह एक ऐसा क़ानून बनाए, केन्द्र सरकार ऐसा क़ानून बनाए? बीफ़ का एक्सपोर्ट सबसे ज्यादा भारत से होता है, अगर आप गौ-रक्षा के नाम पर ठेकेदार बने हैं, तो क्या केन्द्र सरकार बीफ़ का एक्सपोर्ट रोकेगी? क्या आप इस संबंध में कोई कड़ा कानून बना रहे हैं क्योंकि भाजपा के लोग यह कर रहे हैं, अंगोछा डालकर भाजपा के लोग गौ-रक्षा के नाम पर जो कर रहे हैं, आप उसको बचाना चाहते हैं, इसलिए केन्द्र सरकार ऐसा नहीं कर रही है?
इस पर हंसराज अहीर ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने पहले ही पूरे देश को संबोधित किया है. उन्होंने 16 तारीख को ऑल पार्टी मीटिंग में कहा है कि गौवंश को लेकर जो-जो घटनाएं हो रही हैं, ये बहुत दुखद हैं, इसको तुरंत रोकना चाहिए. ऐसे गौवंश के नाम पर जो हंगामा करते हैं, उन पर कार्रवाई करने की बार-बार अपील की है.
इसके बाद दिग्विजय सिंह ने हंसराज अहिर से कहा, ‘ये बात ठीक है कि पुलिस और लोक-व्यवस्था का विषय राज्यों के अधीन है, लेकिन देश के Cr.P.C. and I.P.C. में परिवर्तन करने का अधिकार तो आपके पास है. आप देखें कि Cr.P.C. and I.P.C. में मॉब लिंचिंग कहीं परिभाषित नहीं है, उसका कहीं प्रावधान नहीं है. मैं आपके माध्यम से जानना चाहता हूं कि क्या केन्द्र सरकार, आज की बदली हुई परिस्थिति में, देश में एक समूह जिस तरह घेरकर लोगों को मार रहा है, उसको देखते हुए, Cr.P.C. and I.P.C. में परिवर्तन करने का कोई इरादा रखती है?
इस पर हंसराज अहीर कहते हैं, चाहे एक व्यक्ति ने हत्या की हो या 10 लोगों ने मिलकर हत्या की हो, हमारे देश में I.P.C. या संविधान के अंतर्गत क़ानून बने हैं. उनके अनुसार कार्यवाही करने का अधिकार राज्य सरकारों को है. यदि कहीं भी लिंचिंग का मामला सामने आता है या कोई दूसरा अपराध होता है, उसमें क़ानून के अनुसार कार्यवाही की जाती है. मुझे लगता नहीं कि ऐसी परिस्थिति में कोई नया संशोधन लाने की ज़रूरत है.