जमीयत की मुलाक़ात में मोदी ने माना, ‘न्यू इंडिया’ का ख़्वाब 18 करोड़ मुसलमानों के बग़ैर मुमकिन नहीं

अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net

नई दिल्ली : नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के तीन साल बाद भी मुसलमानों की बड़ी मिल्ली तंज़ीम जमीयत उलेमा-ए-हिन्द उनसे दूरी बनाकर रखी थी. लेकिन अब जब गोरक्षकों का आतंक, ट्रिपल तलाक़ और यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड जैसे मुद्दे पर राजनीति गर्म है और मुसलमान बैकफूट पर हैं, तो ऐसे हालात में मुसलमानों के 25 रहनुमाओं के एक दल ने जमीयत के एक धड़े के महासचिव मौलाना महमूद मदनी की क़यादत में मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाक़ात की.


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इस मुलाक़ात में जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना क़ारी सैय्यद उस्मान मंसूरपूरी ने सबसे पहले पीएम मोदी का शुक्रिया अदा किया. साथ में यह भी कहा कि मुल्क में ख़ौफ़ व दहशत का जो माहौल है वो ख़त्म होना चाहिए.

महमूद मदनी ने मोदी को बताया कि जमीयत हमेशा तक़सीम के ख़िलाफ़ रही है. हम ये समझते हैं कि मुल्क का मफ़ाद हमारे लिए सबसे अजीज़ है. मुसलमानों की सरकार के साथ जो दूरियां बढ़ रही हैं वो दूर होनी चाहिए.

मौलाना बदरूद्दीन अजमल ने इस मुलाक़ात में असम के मसले को उठाया और कहा कि इस पर जल्द ही कुछ देखा जाए.

इस मुलाक़ात में ट्रिपल तलाक़ का भी मुद्दा उठा. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मैंने पहले भी कहा है और अब भी कह रहा हूं कि सियासतदानों को इससे अलग रहना चाहिए. इसका हल मुस्लिम समाज व उलेमा खुद निकालें.

प्रधानमंत्री मोदी के साथ इस मुलाक़ात में मौलाना आज़ाद यूनिवर्सिटी, जोधपूर के वाइस चांसलर प्रोफ़ेसर अख़्तरूल वासे भी शामिल रहें. TwoCircles.net के साथ बातचीत में बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को कहा कि वो ‘न्यू इंडिया’ के ख्वाब से सहमत हैं, लेकिन ‘न्यू इंडिया’ का ख़्वाब उस वक़्त तक पूरा नहीं होगा, जब तक 18 करोड़ मुसलमान नज़रअंदाज़ किए जाएंगे.

पीएम मोदी से उन्होंने यह भी कहा कि, गोरक्षा के मुद्दे पर आपने व योगी जी ने बयान दिया कि क़ानून किसी को हाथ में नहीं लेने दिया जाएगा. लेकिन जो क़ानून का पालन करवाने वाली एजेंसियां हैं वो इस सिलसिले में कोई मज़बूत क़दम नहीं उठा रही हैं, जो उन्हें उठाना चाहिए.

अख़्तरूल वासे ने पीएम मोदी के सामने अपनी बात रखते हुए यह भी कहा कि, मुसलमान व सरकार के बीच बढ़ती दूरी को कम करने के लिए कोई ऐसा मैकेनिज़्म डेवलप होना चाहिए कि मुसलमान अपना दुख-दर्द सीधे आप तक पहुंचा सके. वासे के मुताबिक़ पीएम मोदी ने इस मामले पर आश्वत किया कि ऐसा मैकेनिज़्म जल्द ही बनाया जाएगा.

पीएम मोदी ने यह भी कहा कि, भेदभाव के ज़रिए कोई सरकार चल नहीं सकती, और देश भी तरक़्क़ी नहीं कर सकता. 

बताते चलें कि मोदी के साथ ये मुलाक़ात तक़रीबन डेढ़ घंटे की रही. इस दौरान पीएम मोदी ने सभी मुद्दों पर खुलकर बात की. 

यहां यह भी स्पष्ट रहे कि प्रधानमंत्री मोदी ने इस दल को बुलाया नहीं था, बल्कि खुद इसके लिए मौलाना महमूद मदनी से प्रधानमंत्री कार्यालय से समय मांगा था. 25 लोगों के दल में अख़्तरूल वासे, पी.ए. इनामदार, डॉ. ज़हीर ज़की, मो. अतीक़, हाजी सैय्यद वाहिद हुसैन चिश्ती अंगारशाह के अलावा बाक़ी सारे लोग जमीयत उलेमा-ए-हिन्द से जुड़े हैं.

महमूद मदनी के मुताबिक़ मुल्क में जो मौजूदा हालात हैं, जिस तरह का दहशत का माहौल है, ऐसे माहौल में प्रधानमंत्री मोदी के साथ यह मुलाक़ात ज़रूरी थी.

मुसलमानों ने पीएम मोदी से अपने तमाम मतभेदों को दरकिनार कर मुलाक़ात की ज़रूरत समझते हुए प्रधानमंत्री मोदी से मुलाक़ात की. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि पीएम मोदी की जो छवि है, क्या वो अपनी छवि के ऐन मुताबिक़ ही पेश आते हैं या फिर मुसलमानों को कोई सौगात देने में कुछ क़दम आगे बढ़ाते हैं? भविष्य में यह भी देखने वाली बात होगी कि पीएम मोदी मुल्क के अपने 18 करोड़ से अधिक मुसलमानों की इस नुमाइंदगी को कोई अहमियत देते भी हैं या नहीं?

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