नई राशन वितरण प्रणाली से मुश्किल में है ग़रीब

आस मुहम्मद कैफ़, TwoCircles.net


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मीरापुर : गरीबों का राशन अब मुश्किल में है. आधार कार्ड ने समस्याएं और बढ़ा दी हैं. आधार कार्ड लिंक न होने की वजह से देश में दो शर्मनाक जान भी जा चुकी है. ये सरकार की नई (पीडीएस) तकनीक के चलते हुआ है.

दलित युवक महेंद्र बताते हैं कि, उनके परिवार के 6 सदस्य हैं, मगर डीलर उन्हें तीन का ही राशन देता है. शेष तीन का आधार कार्ड लिंक न होना बताता है. यानी हमें अब आधा राशन ही मिलता है.

मुझेड़ा के नाज़िम राजपूत कहते हैं, ऐसा लगता है कि जैसे सरकार ने बिना ज़मीन की हक़ीक़त जाने इस नई प्रणाली को लागू कर दिया. राशन बांटने के इस तरीक़े में सिर्फ़ समस्याएं हैं. अगर सरकार यह सोच रही थी कि इससे वो कालाबाज़ारी पर लगाम कस लेगी तो वैसा हुआ नहीं. उन्होंने बेईमानी के नए तरीक़े खोज लिए हैं. इसमें पात्र व्यक्ति के चुनाव में गड़बड़ी हुई है.

अख्तर अली पास के ही एक गांव रसूलपुर के प्रधान रहे हैं. वो हमें बताते हैं कि, पुराने लोगों के राशन कार्ड ख़त्म हो गए. नए देने की पावर प्रधान, सेकेट्री और डीलर को है. यह तीनों मिलकर गरीब चुनते हैं. अब इन्हें जहां लाभ दिखाई दे, यह वहां लाभ पहुंचा देते हैं.

सामाजिक कार्यकर्ता ताक़िब खान ‘सनी ‘कहते हैं कि, हर व्यक्ति को आधार कार्ड लिंक कराना ज़रूरी है. सबका बायोमेट्रिक अंगूठा लगता है. इसके लिए जानसठ बुलाया जाता है. ग़रीब की एक दिन की मज़दूरी इससे मर जाती है. कई जगह पैसे (रिश्वत) देने पर समस्या ख़त्म हो जाती है.

रसूलपुर गांव के इरशाद के मुताबिक़, उनके 100 रुपए देने के बाद सारी परेशानी सुलझ गई. मुझेड़ा के  आलम के अनुसार पैसे से जिसका राशन कार्ड नहीं बनना चाहिए, बन जाता है और पैसा न दो तो जिसका बनना चाहिए उसका भी नहीं बनता. अब यहां तो शुरुआत ही करप्शन से हो रही है.

वैसे बेईमानी सिर्फ़ पात्र चयन में नहीं है. जैसे आज भी राशन डिपो से राशन और तेल (केरोसिन) ब्लैक होता है. जिनके पास राशन कार्ड नहीं है, वो इसे थोड़े से ज्यादा पैसे देकर ले सकते हैं.

जावेद के अनुसार यह भाईचारा है. सबसे बड़ी समस्या बायोमेट्रिक मशीन है. यह सभी शहरों और क़स्बों में दी गई है. गाँवों में अभी आई है. अब राशन कार्ड में मुखिया महिला होती है, जब तक वो खुद नहीं आती, राशन डीलर राशन नहीं देता, क्योंकि अंगूठे का निशान लगवाता है. ज्यादातर मुखिया बड़ी उम्र वाली हैं. ऐसे में अगर किसी की टांग टूट जाए तो भी लाला उसे राशन नहीं देता.

मो. अहसान डीलर की एक और धांधली पर रोशनी डालते हैं. वो कहते हैं कि अनपढ़ महिलाओं के अंगूठे का चिन्ह लेकर कोई बहाना बनाकर डीलर वापस भेज देता है और फिर राशन हड़प जाता है.

गौरव भारती बता रहे हैं कि राशन डीलर अपने पास आधार कार्ड इकट्ठा कर लेता है और ज़रूरतमंद को टालता रहता है. इस सबके बीच सबसे ज्यादा परेशान महिलाएं हैं. जैसे अनीता सात दिन से चक्कर काट रही है. वो कहती हैं, राशन लेना भी महाभारत हो गया है. पता नहीं, सरकार को ऐसा क्यों लगता है कि सिर्फ़ गरीब ही बेईमान है!

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