आस मुहम्मद कैफ़, TwoCircles.net
सहारनपुर : एक ओर जहां युवाओं का क्रिकेट में आने का रुझान घट रहा है, वहीं सहारनपुर एक ऐसी जगह है जहा क्रिकेट का जुनून अपने शीर्ष पर है. गेंद और बल्ले का शानदार इस खेल के नज़ारे यहां हर गली मोहल्ले में मिल जाएंगे.
पिछले कई दशकों में यहां सिर्फ़ एक खिलाड़ी बोर्ड क्रिकेट खेल सका था, मगर पिछले सिर्फ़ तीन साल में 20 लड़के बोर्ड क्रिकेट खेल रहे हैं.
बीसीसीआई के माध्यम से मान्यता मिली बोर्ड क्रिकेट में अंडर-14, अंडर-16, अंडर-19 और अंडर-23 के अलावा रणजी ट्रॉफी, विजय हजारे ट्रॉफी, मुश्ताक अली ट्राफी इत्यादि आती है.
सहारनपुर एक छोटा शहर है और इसे ‘क्रिकेट क्रांति’ कहा जा रहा है. ख़ास बात यह है कि उत्तर प्रदेश की रणजी टीम के 20 चुने गए खिलाड़ियों में 5 सहारनपुर के हैं.
मोहम्मद इसरार अज़ीम, मोहम्मद जावेद, सरुल कंवर, शानू सैनी, मुकेश कुमार इस समय उत्तर प्रदेश की टीम में हैं. शानू सैनी को अंडर-23 का उपकप्तान बनाया गया है.
दरअसल, इस बदलाव की वजह यहां का एक नौजवान अकरम सैफ़ी है. अकरम सहारनपुर के युवा क्रिकेटर्स के मेंटर हैं. ये मानकमऊ गांव के रहने वाले हैं.
अकरम बीसीसीआई के पदाधिकारी राजीव शुक्ला के निजी सचिव हैं. वो सहारनपुर में क्रिकेट के उत्थान के लिए काम कर रहे हैं.
20 साल पहले अकरम खुद एक बेहतरीन तेज़ गेंदबाज थे, मगर उनके बहुत ही प्रयासों के बावजूद उनका चयन नहीं हो पाया.
अकरम के अनुसार तब चयन प्रक्रिया कुछ अलग थी. जैसे एक बॉल फेंकने से या एक गेंद खेलने से ही ट्रायल हो जाता था. ऐसा लगता था कि चयनकर्ताओ का माइंड सेट था कि क्या करना है. लेकिन अब ऐसा नहीं है. गेंदबाज़ कम से कम एक ओवर डालता है और बल्लेबाज कम से कम 10 गेंद खेलता है.
अकरम बताते हैं कि 2001 के आसपास जब मेरा चयन नहीं हो पाया तो मैं बहुत निराश हुआ. घर की ज़िम्मेदारी ने फिर खेल छुड़वा दिया. मगर अंदर एक टीस जलती थी. इसी टीस ने सहारनपुर की क्रिकेट को ऊंचाई पर ले जाने की चाहत दी.
अकरम ने इन खिलाड़ियों के लिए दिल्ली में ठहरने और देखभाल की ज़िम्मेदारी अपने कंधों पर ली और अपने दिशा-निर्देशन में इनकी तैयारी कराई.
दिल्ली में सहारनपुर के 50 से ज्यादा लड़के अकरम सैफ़ी की देखरेख में क्रिकेट के लिए निखारे जा रहे हैं. ख़ास बात यह है कि ज़रूरतमंद बच्चों को इसके लिए कुछ भी खर्च करना नहीं पड़ता.
अकरम की कोचिंग के बाद यहां से लगभग 20 लड़के खेल रहे हैं. इनमे सरुल कंवर मुंबई इंडियंस के लिए आईपीएल खेल चुके हैं और पंजाब से रणजी भी. अब वो यूपी रणजी टीम में हैं.
इसरार अज़ीम और मुहम्मद जावेद भी रणजी स्कवॉड में हैं. मोहम्मद वाजिद अंडर-22 में मध्यप्रदेश के ख़िलाफ़ शतक लगाकर सुर्खियां बटोर चुके हैं. वो उत्तर प्रदेश के लिए अंडर-14 और 16 का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं.
भरतवीर मुश्ताक अली ट्रॉफी, प्रवेज़ असलम अंडर-14, दीपांशु वत्स, फ़ैसल अंसारी अंडर-22, आयुष कौशिक, तुषार सैनी, प्रांजल, रमीज़ मलिक, अंज़र अली भी यूपी के लिए खेल चुके हैं. जस्करण और करणवीर भी फिलहाल खेल रहे हैं.
2001 में यूनिवर्सटी क्रिकेट में खूब नाम कमाने वाले आदिल खान इस ज़िले से तब इकलौते बड़े ख़िलाड़ी थे. अब वो हमें बताते हैं कि ऐसी हवा यहां क्रिकेट पर कभी नहीं आई कि इतनी बड़ी संख्या में खिलड़ियों को मौक़ा मिल रहा हो.
वो आगे बताते हैं कि, इनमें से कई खिलाड़ी ऐसे हैं, जिनकी पारिवारिक हालात बहुत ख़राब है.
यहां के लोगों के अनुसार, यह बदलाव यक़ीनन अकरम सैफ़ी के प्रयासों से आया है. उन्होंने सहरानपुर को क्रिकेट का हब बना दिया है.