आस मुहम्मद कैफ़, TwoCircles.net
मेरठ : एससी/एसटी एक्ट में संशोधन के विरोध में हुए भारत बंद के दौरान पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक बवाल का केंद्र रहे मेरठ, हापुड़ और मुज़फ़्फ़रनगर में अब पुलिस प्रशासन ने बेहद सख़्त रुख अख़्तियार कर लिया है.
यहां सैकड़ों दलित नौजवानों को प्रदर्शन के दौरान बवाल करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. वहीं हज़ारों के ख़िलाफ़ मुक़दमा भी लिख दिया गया है. दलित समाज के दर्जनों बड़े नेता गिरफ्तार कर लिए गए हैं. अब इन पर रासुका लगाने की तैयारी चल रही है.
ग़ौरतलब रहे कि पुलिस दलित बहुल गांवों में लगातार दबिश दे रही है. इसके लिए अतिरिक्त पुलिस बल बुलाया गया है. अब तक मेरठ से 90, मुज़फ़्फ़रनगर में 88, हापुड़ में 64 और सहारनपुर ने 40 गिरफ्तारी की ख़बरे हैं. यह संख्या बढ़ भी सकती है.
सबसे चर्चित गिरफ्तारी मेरठ से हुई है. यहां हस्तिनापुर के पूर्व विधायक योगेश वर्मा को बेहद अपमानित तरीक़े से गिरफ्तार किया गया है. उनकी पत्नी सुनीता वर्मा हाल ही में मेरठ शहर से भाजपा प्रत्याशी कांता कर्दम को हराकर मेयर चुनी गई थी. कांता कर्दम अब राज्यसभा सांसद हैं.
योगेश वर्मा पर कई गंभीर धाराओं में मुक़दमा दर्ज किया गया है. एसएसपी मंज़िल सैनी ने उन पर रासुका की कार्रवाई करने की बात कही है. उनके साथ कई बड़े बसपा नेता भी जेल भेजे गए हैं. पुलिस उनकी हिस्ट्रीशीट खोलने की भी तैयारी कर रही है.
समाजवादी पार्टी के छात्र संघ के ज़िला अध्यक्ष अतुल प्रधान की गिरफ्तारी के लिए भी पुलिस प्रयासरत है. उन पर बवाल के दौरान पुलिस को पीटने का आरोप है.
मुज़फ़्फ़रनगर के पूर्व राज्यसभा सांसद राजपाल सैनी और पुरकाजी के पूर्व विधायक अनिल कुमार की भूमिका की भी प्रशासन जांच कर रही है. यह दोनों बवाल के दौरान मुज़फ़्फ़रनगर में मारे गए नौजवान अमरेश जाटव के गांव गादला अंतिम संस्कार में पहुंचे थे.
पुलिस के डर का अंदाज़ा आप इसी से लगा सकते हैं कि दलित बहुल गाँवो से ज़्यादातर नौजवानों पलायन कर चुके हैं. भीम आर्मी ने भी बवाल में अपना हाथ होने से इंकार कर दिया है. वहीं स्थानीय दलित नेता संजय रवि ने बवाल के पीछे आरएसएस की साज़िश बताई है.
उन्होंने कहा कि 11 बजे के बाद अचानक मुंह पर रुमाल बांधे 50/60 नौजवान आए, जिन्होंने आगजनी की. इनकी जांच होनी चाहिए कि यह कौन लोग थे. दलितों का आंदोलन नाकाम करने के लिए संघ के भेजे हुए लोगों ने इसे हिंसक बना दिया.
पुरकाजी क्षेत्र पूर्व विधायक अनिल कुमार कहते हैं कि, हिंसा करने वाले लोगों को चिन्हित कर सख्त कार्रवाई की जाए. मगर बवाल के नाम पर निर्दोष लोगों को बिल्कुल न सताया जाए. पुलिस के क्रेकडाउन से दलितों में डर बैठाया जा रहा है.
पुलिस हिंसा के लिए भीम आर्मी को ज़िम्मेदार बता रही है. लेकिन सहारनपुर में भीम आर्मी के प्रवक्ता मंजीत कोटियाल का कहना है कि, भीम आर्मी की हिंसा में शामिल होने की बात एकदम फ़र्ज़ी है. हमारे किसी कार्यकर्ता की इसमें कोई संलिप्तता नहीं है. मगर हम एससी/एसटी एक्ट में किसी भी तरह के बदलाव के विरोधी हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि प्रशासन बेगुनाह दलित नौजवानों की गिरफ्तारी करने से परहेज़ करे, वरना ठीक नहीं होगा.
इस बीच 14 अप्रैल को अम्बेडकर जयंती धूमधाम से मनाए जाने का उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने कार्यकर्ताओं को निर्देश जारी किया है. लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बवाल वाले जनपदों में निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है. इसके तहत किसी भी प्रकार कोई भी धरना-प्रदर्शन अब प्रतिबंधित है.