TwoCircles.net Staff Reporter
सहारनपुर : भीम आर्मी सुप्रीमो चन्द्रशेखर रावण चार दिन से भूख हड़ताल पर हैं. यह जानकारी खुद उनकी मां कमलेश देवी ने दी है.
चन्द्रशेखर 2 अप्रैल को भारत बंद के बाद हुए बवाल में दलित युवाओं की नामज़दगी को लेकर नाराज़ हैं. इन ताबड़तोड़ गिरफ्तारी के विरोध में उसने एक सप्ताह पहले भूख-हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी थी. इसके बाद जेल प्रशासन के हाथ-पैर फूल गए और उन्होंने ऐसी किसी भी बात का खंडन किया था.
मगर अब चन्द्रशेखर की मां कमलेश देवी ने बेहद चौंकाने वाला ख़ुलासा किया है. TwoCircles.net से बातचीत में उन्होंने बताया कि शेखर (उनकी मां उन्हें इसी नाम से बुलाती हैं) पिछले चार दिन से सिर्फ़ पानी पी रहा है. वो दलित युवाओं पर हो रही पुलिस की ज़्यादती से दुखी है. उसने जेल प्रशासन से भूख हड़ताल की अनुमति मांगी थी, जो उसे नहीं दी गई.
हालांकि जेल अधीक्षक विराज कुमार शर्मा ने उनके इस दावे को खारिज किया है. उनका कहना है कि पहले चंद्रशेखर सभी अन्य क़ैदियों के साथ खाना खा रहा था, अब अकेला खा रहा है.
इस पर कमलेश देवी का कहना है कि, इसी बात से समझ लीजिए उसे तन्हाई में छोड़ा गया है. जेल में किसी क़ैदी को तन्हाई में छोड़ा जाना काफ़ी तकलीफ़देह होता है.
कमलेश देवी का कहना है कि, 2 अप्रैल के बाद से चन्द्रशेखर के साथ अत्याधिक सख़्ती बरती जा रही है. उसको किसी के साथ मिलने नहीं दिया जा रहा है. इस पर जेल अधीक्षक ने सहमति जताई है.
उन्होंने कहा कि चन्द्रशेखर से सिर्फ़ उनके परिजनों के मिलने की ही अनुमति है.
कमलेश देवी के अनुसार अब शेखर के भाई को भी मिलने नहीं दिया जा रहा. तीन दिन के बाद चन्द्रशेखर को उसकी मां से मिलने दिया गया.
कमलेश देवी बताती हैं कि, मुझे पहले गेट पर ही रोक लिया गया. मेरे मिलने पर रोक लगाने की कोशिश हुई. बाद में मुझे शेखर से मिलवाया गया. उसने बताया कि उसने 3 दिन से सिर्फ़ पानी पिया है और वो भारत बंद बवाल के बाद दलित नौजवानों के विरुद्ध पुलिस की कार्रवाई से दुखी हैं.
भीम आर्मी के प्रवक्ता मंजीत नॉटियाल ने इस पर भीम आर्मी की और से प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सरकार दलितों के उत्पीड़न पर उतारू हैं. झूठे मुक़दमों में उन्हें जेल भेजा जा रहा है. दलित नौजवानों का पूरी तरह दमन किया जा रहा है. चन्द्रशेखर भाई के साथ लगातार अत्याचार बढ़ता जा रहा है, मगर हम लड़ते रहेंगे.
ग़ौरलतब रहे कि 2 अप्रैल को भारत बंद बवाल के दौरान सहारनपुर में बहुत अधिक विरोध देखने के लिए नहीं मिला था. यहां दलित सड़कों पर तो था, मगर हिंसा की घटनाओं पर प्रशासन का नियंत्रण रहा था. शहर में प्रदर्शन शान्तिपूर्व तरीक़े से हुआ था. संवेदनशील सहारनपुर के शान्त रहने पर प्रशासन ने भी अपनी पीठ थपथपाई थी. बावजूद इसके यहां लगातार दलित नौजवानों की गिरफ्तारी हो रही है. यहां भी सैकड़ों दलित युवाओं पर मुक़दमा दर्ज किया गया है.
चन्द्रशेखर की भूख हड़ताल की ख़बर बाहर आने के बाद दलितों में बेचैनी है. हरपाल सिंह कहते हैं, लगातार उत्पीड़न से दलितों में घोर निराशा पनप रही है, जिससे स्थिति विस्फोटक हो सकती है.