राजस्थान में बज रहा है सामान्य सीट पर जीतने वाले दलित रूपाराम का डंका

अपनी बेटियों के साथ विधायक रूपाराम (Photo: Social Media)
आस मोहम्मद कैफ
जैसलमेर-
राजस्थानी संस्कृति और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि वाले जैसलमेर विधानसभा में एक बेहद सुखद नतीजा सामने आया है,यहां कांग्रेस के रूपाराम मेघवाल ने सामान्य सीट पर दलित होने के बावूजद चुनाव लडने का साहस किया और भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को 29 हजार वोटो से हरा दिया.अम्बेडकरवादी रूपाराम की इस जीत का जश्न राजस्थान की सबसे बड़ी दलित आबादी मेघवाल में जमकर मनाया जा रहा है.
ऐसा तब हुआ है जब पिछले पांच सालों में दलितों पर अत्याचार की राजस्थान में कई बड़ी घटनाएं हुई है,रूपाराम दूसरी बार विधायक बने है पिछली बार वो इसी सीट से लगभग 3 हजार वोटों से हार गए थे इस बार उन्होंने बीजेपी के राजपूत प्रत्याशी सांग सिंह भाटी को करारी शिकस्त दी है,रूपाराम को एक लाख 6 हजार 531 मत मिले और भाजपा के सांग सिंह भाटी 76 हजार 753 पर सिमट गए.
 रूपाराम को नामांकन के आखरी दिनों में प्रत्याशी बनाया गया था जबकि वो यहां पहले विधायक रह चुके थे उनको जैसलमेर की सुनीता भाटी और महारानी से तगड़ी चुनोतियाँ मिली थी.इसके बाद उनके खिलाफ सवर्ण बनाम दलित अभियान छेड़ दिया गया.
मगर बकौल अशोक मेघवाल दलित का यह बेटा सब पर भारी पड़ा पहले उसने टिकट की लड़ाई जीती और फिर चुनाव भी जीत लिया.राजस्थान में इस जीत की चर्चा है उन्होंने दिग्गजों के बीच दलितों के लिए एक नए अवसर का विकास किया है.

screenshot of votes gained

रूपाराम जैसलमेर जल निगम में चीफ इंजीनियर रहे है और इस रेगिस्तान वाले इलाकों में घर-घर पाइप लाइन भिजवाने में उनका बड़ा योगदान रहा है,पोखरण विधानसभा से सटी हुई इस विधानसभा में मुसलमान भी अच्छी खासी संख्या में है यहां कांग्रेस के नेता ग़ाजी फ़क़ीर का वर्चस्व है,पोखरण विधानसभा से ग़ाजी फ़क़ीर के बेटे सलेह मोहम्मद विधायक बने है यह दोनों सीट मेघवाल और मुसलमानों की पूरी तरह एकजुटता की देन है.रूपाराम के अनुसार दोनों ही बिरादरी ने अत्यधिक अत्याचार का सामना किया इसलिए वो एक हो गई.

रूपाराम मेघवाल इस इलाक़े में लड़कियों की शिक्षा में महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाने जाते हैं उनकी छह बेटियों को उच्च स्तर पर शिक्षा मिली है ,इनमे इंजीनियर,डॉक्टर और बिजनेस की उच्च डिग्री शामिल है.रूपाराम हमें बताते है राजस्थान में जैसलमेर के यह क्षेत्र बेहद पिछड़ा हुआ है और महिलायों के मामले तो यहां और भी अधिक नकारात्मक स्थिति है दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से यहां बेटियों के साथ भेदभाव की शिकायतें भी आती है मैंने खुद अपनी बेटियों को उच्च शिक्षा सहित विदेश भेजकर समाज को बाबा साहब के सिद्धन्त ‘शिक्षित बनो’ की और प्रेरित करने की कोशिश की.रूपाराम की सबसे बड़ी बेटी अंजना धनदेव जैसलमेर की जिला प्रमुख है इस चुनाव में उनकी 6 बेटियों को प्रेरणा बताकर चुनाव में खासा प्रचार हुआ.
रूपाराम नाचना गांव के रहने वाले है और उनकी इंजीनियरिंग की पढ़ाई गांव द्वारा चंदा इकट्ठा कर किये गए पैसे से हुई अब रूपाराम खुद सैकड़ो बच्चों को अपने पैसे से पढ़ा रहे है.वो राजस्थान कांग्रेस में प्रदेश सचिव भी है उनके मंत्रिमंडल में शामिल होने की भी संभावना है.
सामान्य सीट से चुनाव जीते रूपाराम मेघवाल (Photo: Social Media)
रूपाराम मानते है पिछले पांच सालों में दलितों के विरुद्ध अत्याचार की घटनायों में काफी बढ़ोतरी हुई है और आगे बढ़कर पहल करने की उनके साहस ने उन्हें सामान्य सीट पर चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया,खास बात यह है कि उनके प्रत्याशी बनाए जाने के बाद सवर्ण जातियों ने उनका विरोध करना शुरू कर दिया और इस चुनाव को दलित बनाम सवर्ण बनाने का प्रयत्न किया गया,कांग्रेस पार्टी से टिकट न मिलने वाले असंतुष्ट भी उनके खिलाफ भीतरघात करने लगे मगर मुसलमानो और दलितों की एकजुटता सब पर भारी पड़ गई.हालांकि रूपाराम कहते है कि यह बात सही है कि दलितों और मुसलमानों में विभाजन नही हो पाया मगर मेरा मानना है कि मुझे हर सौहार्द की चाह रखने वाले लोगों ने अपना प्यार और समर्थन दिया.
उनकी क़ाबिल बेटियों का यह पोस्टर चुनाव में हिट रहा (Photo: Social Media)
रूपाराम अब जैसलमेर में लड़कियों की शिक्षा बेहतर सड़क और साफ पानी पर काम करना चाहते हैं.दलित नेत्री रेणु मेघवंशी हमें बताती है “इस जीत ने दलितों को उत्साह से भर दिया है इससे पता चलता है दलित चुनाव जीतने के लिए सिर्फ आरक्षित सीट का मोहताज नही है बल्कि वो कहीं भी झंडा गाड़ सकता है”.
 बेटियों को पढ़ाने और उन्हें मुख्यधारा में लाने के रूपारामजी की मुहिम ने भी यहां बड़ा असर किया.


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