आस मुहम्मद कैफ़, TwoCircles.net
मीरापुर : आज अमरीन अबरार को कोरियर से एक बुकलेट आई है. इस पर ‘जर्नी ऑफ़ ए सुपर किड’ लिखा है. सुपर किड मतलब दाईम अबरार खान यानी अमरीन का साढ़े तीन का बेटा.
अमरीन इस कोरियर को देखकर हंसती हैं. मुस्कुराती हैं. और दाईम को सीने से लगाकर रोने लगती हैं. रोती तो वो कल भी थीं, मगर आज वाले आंसू ख़ुशी के हैं.
TwoCircles.net के साथ ख़ास बातचीत में अमरीन बताती हैं कि, पांच महीने पहले एक रात दाईम की आँखें अचानक फैलने लगीं. सामान्य बच्चों से बहुत बड़ी उसकी आंखें जैसे चेहरा फाड़कर निकलना चाहती थी. बिल्कुल ‘एलियन’ की तरह दिखने लगा. मैं डर गई. अपने बच्चे को खुद से चिपटा लिया. रोने लगी. अल्लाह से मदद मांगने लगी.
अमरीन हमें बताती हैं कि, इसके अब्बू बाहर काम करते हैं. बावजूद इन्होंने सारे काम छोड़कर डॉक्टरों और अस्पतालों के ख़ूब चक्कर लगाएं. बहुत दौड़ने के बाद पता चला कि मेरे जिगर के टुकड़े को ‘क्रोजन सिंड्रोम’ है और इसके लिए दिमाग़ का ऑपरेशन करना होगा.
अमरीन बताती हैं, ऑपरेशन का सुनकर हमारे आँखों के आगे धुंध छा गई. ज़िन्दगी अजीब सी लग रही थी. उस दिन तो हमने खाना भी नहीं खाया. डॉक्टर की बातों में हमारी रातों की नींद छीन ली थी. ‘क्रोजन सिंड्रोम’ शब्द ही हमारे कुछ समझ में नहीं आ रहा था.
वो आगे बताती हैं, डॉक्टर कह रहे थे कि भारत में गिनती के डॉक्टर ही इसका इलाज कर सकते हैं. इसके दिमाग़ में पानी भर गया है, जिससे इसकी आँखें बाहर आ जाती हैं.
ये कहते ही अमरीन रोने लगती हैं. उनके रोने से ऐसा लगता है जैसे वो कलेजा बाहर निकाल कर रख देंगी. फिर कुछ देर बाद अपनी आँखों से आंसू पोछते हुए कहती हैं, एम्स में बहुत धक्के खाने के बाद एक डॉक्टर ने बताया कि बंगलूरू में इसका इलाज हो सकता है. 25 लाख रुपए खर्च होंगे. मेरे शौहर 10 हज़ार रुपए महीने कमाते हैं. हमारा सूरज डूबने लगा. मैंने अपने बेटे की तरफ़ देखना बंद कर दिया था. वो मुझे हर वक़्त रोता देखकर तड़पने लगता…
अमरीन के शौहर अबरार बताते हैं कि, यह एक ऐसी बीमारी थी, जिसमें आँख लगातार बड़ी होती जाती है और हमारा बच्चा ‘एलियन’ जैसा लगता था. मगर वो जन्म से ऐसा नहीं था. 6 महीने का होने के बाद उसकी आँख का आकार बढ़ने लगा. हमने डॉक्टर्स को दिखाना शुरू किया. किसी भी डॉक्टर की समझ में बीमारी नहीं आती थी. हमें सिर्फ़ अल्लाह से उम्मीद थी.
अमरीन कहती हैं, फिर मदद आई. एक दिन उन्होंने सोशल मीडिया पर एक ख़बर पढ़ी. शैली नाम वाली पटना की एक लड़की हूबहू दाईम जैसी दिखती थी. वो ठीक हो गई थी. इसके लिए पटना की एक खुश्बू सिन्हा ने उसके ऑपरेशन के लिए मदद की थी. मैंने खुश्बू सिन्हा के फेसबुक आईडी पर ढ़ूंढ़ लिया और उन्हें अपने बेटे की फोटो भेजी. खुश्बू ने जैसे ही दाईम की व्हाट्सप पर फोटो देखी तो तुरंत हमें पटना बुलाया.
अब आगे की कहानी खुश्बु कहती हैं, दाईम इतना प्यारा था कि मैं बता नहीं सकती. वो शैली जैसी बीमारी से जूझ रहा था. शैली का इलाज सलमान खान की बीइंग ह्यूमन ने कराया था. इसलिए मैंने उनको दाईम के फोटो और इनकी आर्थिक स्थिति के बारे में लिखकर मेल किया. बीइंग ह्यूमन से हमें तुरंत रिप्लाई आया. वो दाईम का इलाज कराना चाहते थे.
बता दें कि शैली के लिए 30 लाख रूपये बीइंग ह्यूमन ने ही खर्च किए थे. इसके बाद दाईम को बंगलूरू ले जाया गया. वहां ग्लोबल हॉस्पिटल में डॉक्टर कृष्णा राव ने दाईम खान का सफल ऑपरेशन किया.
इत्तेफ़ाक़ है कि आज ही दाईम के घर उसकी एक बुकलेट आई है. इसमें दाइम की फोटो लगी है. और उसे ‘सुपर किड’ लिखा गया है.
अमरीन कहती हैं, अब दाईम ठीक है, मगर उसके अभी दो ऑपरेशन और होने हैं. वैसे दाईम की अब सारी गतिविधि सामान्य हो गई है. वो खेलता है. बहुत ज्यादा चिप्स खाता है और डांस करता है.
अमरीन हमें बताती हैं कि, ये सब कुछ “फ़रिश्तों” ने किया. हमसे तो आने-जाने, रहने और खाने तक का पैसा नहीं लिया गया.