त्रिपुरा लिंचिंग में जिंदा बच गए खुर्शीद बता रहे है कहर के उसदिन की आंखों देखी

अपने अम्मी अब्बू के साथ अपने घर खुर्शीद

आस मोहम्मद कैफ, TwoCircles.net

25 साल का खुर्शीद वो नोजवान है जो त्रिपुरा की मोब लीचिंग की घटना में जिंदा बच गया.24 घण्टे में लीचिंग की दो घटनाओं में त्रिपुरा में तीन लोग मारे गए थे घटना 28 जून को हुई थी इसमें कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए.खुर्शीद फेरी लगाकर कपड़े बेचने का काम करता था.सीधाई मोहनपुर में 28 जून को वो दरभंगा के गुलजार और मुजफ्फरनगर के ज़ाहिद के साथ कपड़ा और छोटे इलेक्ट्रॉनिक समान बेचने गया था.सीधाई मोहनपुर में भीड़ ने उन्हें बच्चा चोर बताकर उन्हें पुलिस के हवाले कर दिया उसके दो घण्टे बाद भीड़ बेकाबू हो गई और थाने में घुसकर इनपर हमला कर दिया गया जिसमें ज़ाहिद की मौत हो गई और गुलजार और खुर्शीद गंभीर रूप से घायल हो गये.खुर्शीद मुजफ्फरनगर जनपद के ककरौली थानाक्षेत्र के गांव खेड़ी फिरोजाबाद का रहना वाला है.इस हादसे के बाद वो अपने घर लौट आया है उसके दोनों हाथों में प्लास्टर चढ़ा है.बदन में अभी तक सूजन है और चेहरे पर चोट के निशान है.


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खुर्शीद उस दिन की घटना को याद करते हुए कांप  जाता है,वो बताता है कि वो कन्याकुमारी में कपड़ा बेच रहा था उसका काम नही चल रहा था किसी साथी ने बताया था कि अगरतला में दो महीने अच्छी बिक्री होती है वो तीन दिन पहले ही अगरतला पहुंचे थे.एक स्थानीय गाड़ी किराये पर लेकर सुबह 6 बजे अगरतला से 25 किमी दूर हम एक गांव सीधाई मोहनपुर पहुंचे यहां मेरे साथ गुलजार भाई और ज़ाहिद भाई थे.हम पहले ही घर मे कुकर दिखा रहे थे तो एक महिला ने कहा भाई आप चले जाओ यहां माहौल दो दिन गर्म है वहीं हमें पता चला कि यहाँ बच्चा चोरी की अफवाह फेल रही है.ज़ाहिद भाई में कहा बहन हम काम नहीं करेंगे तो भूखे मर जायेंगे.
इसके बाद वहीं कुछ लोग आ गए जिन्होंने हमसे हमारी आईडी मांगी.हमने अपनी आईडी दिखा दी.ज़ाहिद भाई ने अपनी आईडी फोन में दिखाई.यह चार पांच लोग आपस मे बात करने लगे और उसके बाद फोन पर बात कर किसी को बुलाने लगे यह बंगला बोल रहे थे और हम समझ नही पा रहे थे यह क्या बात कर रहे थे.तभी उनके फोन पर एक मैसेज आया इसमें बच्चा चोरों की बात लिखी हुई थी और कोई किडनी निकाल कर बेचने वाले गिरोह के घूमने की चेतावनी थी.उन लोगो ने वो मेसेज हमे दिखाया और उसमे से एक आदमी की कद काठी ज़ाहिद भाई से मिलती थी इसलिए खासतौर पर वो ज़ाहिद भाई पर शक करने लगे.

उसके बाद वो हमें बाहर लेकर आएं जिसके बाद बाहर का नजारा देखकर हमारी सांस अटक गई.सैकड़ो की भीड़ इकट्ठा होने लगी.यह लोग इतनी जल्दी कहाँ से आये हम सोच भी नही सकते थे.

यह सब पहाड़ी लोग थे.कुछ नेताटाइप लोग हमें थाने ले गए.तब तक 8 बज चुके थे.कुछ लोगो ने हमें बांग्लादेशी कहकर शोर मचाया.थाने में पुलिस ने हमारी आईडी चेक की.यह निश्चित हुआ कि हम भारतीय है.

इसके बाद थाने में भीड़ बढ़ती रही.मगर यह था कि हम थाने में थे और सुरक्षित महसूस कर रहे थे. इसके बाद कुछ स्थानीय नेताओ को बुलाकर हमसे बात कराई गई.उनको पूरा पक्का यकीन हों गया था कि हम बच्चा चोर ही है.हमारी गाड़ी में इलेक्ट्रॉनिक का सामान और कपड़े थे .हमारा ड्राइवर सोपान मियां स्थानीय निवासी था.इसके बावजूद वो यह बिल्कुल नही मान रहे थे हम बच्चा नही चुराते.3 घण्टे से ज्यादा हो गए थे तनाव झेलते हुए मैं अपने फोन से बात कर रहा था और मदद मांग रहा वैसे अब तक कोई ऐसा डर नही था कि मौत आ जाएगी मगर मौत को रोक कौन सकता है.भीड़ हजारो में हो गई और थाने पर पथराव होने लगा. इसके बाद एक पुलिस अफसर थाने आया उसने हमसे कहा”उनपर दबाव है या तो तुम तीनो का एन्काउंटर कर दे या भीड़ के सामने से हट जाए.”इसके बाद हमारी जान निकल गई. ज़ाहिद भाई ने मुझसे कहा अब हम नही बचेंगे खुर्शीद. मैंने अगरतला में अपने एक साथी को फोन किया और कहा भाई हम तो नही बेचँगे मगर तुम यहाँ मत आना
बस इसके बाद भीड़ बेकाबू हो गई.

भीड़ खूनी हो गई थी हम थाने सीधाई मोहनपुर के अंदर ही  थे,थाने के अंदर 20 से ज्यादा पुलिसवाले थे,सभी वर्दी में,सैकड़ो लोग एक साथ अंदर आ गए उनके हाथ मे लाठी डंडे लोहे की रॉड और कुछ धारधार हथियार थे.पुलिस ने हमे एक फोल्डिंग नीचे छिपा दिया.पुलिस खुद असहाय दिखाई दे रही थी जैसे उनके हाथ बांध दिए गए हो.बाहर बच्चा चोर है कटपीस कर दो का शोर था तभी ज़ाहिद भाई ने फोल्डिंग पलंग के नीचे से बाहर झांकने की कोशिश की और एक लोहे की चीज़ भड़ाक की तेज आवाज़ से उनके सर पर मारी गई उनका भेजा बाहर निकल गया.हम तीन थे भीड़ को पता चल गया था यहां छिपे है.बिहार के दरभंगा के हमारे साथी गुलजार भाई ने जमीन से भेजा उठाकर कपड़े से ज़ाहिद भाई के बांध दिया.मैंने अपने सर के ऊपर अपने दोनों हाथ रख लिए.धड़ाधड़ डंडे बरसते रहे.तभी तेज फायरिंग की आवाज़ आने लगी त्रिपुरा पुलिस के स्पेशल कमाण्डो फरिश्ते बनकर आ गए.ताबड़तोड़ फायरिंग के बीच भीड़ भाग गई ज़ाहिद भाई मर चुके थे.गुलजार भाई भी मौत से जूझ रहे थे.मुझे खुद पर भी कोई भरोसा नही था.कमांडो ने हमें तुरंत गाड़ी में बैठाया.ज़ाहिद भाई को हमारे पैरों के नीचे छिपाया चार कमांडो आगे और चार पीछे फायरिंग करते हुए हमें बचा कर अस्पताल ले आये.

http://https://drive.google.com/file/d/1DeivbytCpjkPlabTpM1a3MBbI-EnLZ2j/view

दो घण्टे हमसे पूछताछ करने वाली स्थानीय पुलिस कहाँ गई यह हमें अब तक पता नही चला!
हमें यह बताते हुए खुर्शीद की जबान कांपने लगती है और वो चुप हो जाता है

हमारी गाड़ी तोड़ दी गई अचानक हथियारबंद भीड़ अंदर घुसने लगी एक पुलिस वाले ने कहा सर फायरिंग कर दीजिए मगर ऐसा नही हुआ.20-22 पुलिस कर्मी अब दिखाई नही दे रहे थे.एक पुलिस वाले ने हमे फोल्डिंग के नीचे छिपा दिया.मौत ने यहां ज़ाहिद भाई को गटक लिया .
उसके बाद फायरिंग की आवाजें आने लगी और भीड़ भाग गई.गुलजार भाई और मैं बच गए और ज़ाहिद भाई मर गये।

खुर्शीद अब अपने घर है उससे मिलने आने वालो का तांता लगा है उसकी अम्मी को तीन दिन बाद इस घटना के बारे में बताया गया 3 महीने पहले ही उसकी सगाई हुई है.खुर्शीद अब कभी फेरी करने नही करना चाहता।

खुर्शीद उस वक़्त को याद कर आज भी कांप जाता है

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