बेसहारा होती गाय, गौरक्षा में मरते इंसान

सिकंदरपुर के नवाब अली ,इनकी गाय के पुलिस फ़ोटो खींच कर ले गई.

आस मोहम्मद कैफ, TwoCircles.net

देशभर में गाय को लेकर बढ़ रही हिंसा और उसमे भीड़ द्वारा पीट पीट कर बेरहमी से जान से मार देने के बाद गाय को लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अब लोग गाय पालने से दूर होते जा रहे हैं. नतीजा जहाँ पहले इलाके में हजारो पालतू गाय दिख जाती थी अब बस गिनती की रह गयी हैं.


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यही नहीं, मुज़फ्फरनगर के एक गाँव में तो पुलिस हर गाय की फोटो खीच रही हैं और उसके मालिक को गाय की एक्टिविटीज की रिपोर्ट पुलिस को करनी पड़ती हैं. मेरठ में तो एक आदमी अपनी गाय थाने लेकर पहुच गया और कहा कि गाय पालने से अब डर लगता हैं.

गाय से दूरी दोनों हिन्दू और मुसलमानों ने कर ली हैं. नतीजा गाँव के गाँव से अब गाय गायब होती जा रही हैं. मुजफ्फरनगर से बिजनोर मार्ग पर 5 किमी उत्तर की ओर मुस्लिम तुर्क बिरादरी के बहुल आबादी वाला एक गांव है सिकंदरपुर.पिछले एक साल में गोकशी की सबसे ज्यादा शिकायतें इस गांव से मिली है. गौकशी में सबसे ज्यादा यहां के मुकदमे है. इत्तेफ़ाक़ यह है कि इलाके में सबसे ज्यादा गाय भी इसी गांव में पाली जाती रही है.यहां के एक किसान सय्यद अली परिवार के पास बताया जाता है कि एक हजार गाय भी रही है यहीं पास के घने जंगल वाले खादर में वो डेरा डाल लेते है.अब सय्यद के पास 20 गाय है वो खादर में उन्हें चराने ले गए है.सिकंदरपुर में प्रवेश के साथ ही ‘उजाड़ सा’ दिखने वाला गांव पर एक युवक सन्नी खान बताता है “भाई इस गांव की रौनक पुलिस ने छीन ली है”.

बुजुर्ग मोहसीन के अनुसार वो गाय को अस्पताल भी नही ले जा सकते.j

यहां के मौलाना सुएब क़ासमी हमे अपनी पुरानी गाय का ‘खूंटा’ दिखाते हुए कहते है, “हम यहां पहले गाय बांधते थे अब हमने गाय पालनी छोड़ दी है एक दिन पुलिस आई थी हमारी गाय का फोटो ले गई और हमसे कहा गाय की एक्टिवटी हमें बताते रहने अब समझ मे नही आया कि गाय हिस्ट्रीशीटर है क्या जो उसकी हर हरक़त पर नजर रखी जाएगी”.यहीं पर हमें हमीद बताते है इस गांव की सैकड़ों गाय के फोटो पुलिसवालों के फोन में है गाय को अगर छींक भी आई तो पुलिस को बताना पड़ता है पुलिस पूछती है तुम्हारी गाय कहाँ गई. बिना नाम बताये एक सिपाही बताता है कि यह डर पैदा करने के लिए है वरना ये गाय काट लेते है.

गाय की सबसे बड़ी समस्या ‘मूवमेंट ‘को लेकर है बुजुर्ग मोहसीन(68) कहते है”गाय को साथ लेकर चार क़दम नही चल सकते गोरक्षा दल वाले अथवा पुलिस वाले दोनों में कोई न कोई आ जाता है.कथित गोरक्षक मारपीट करते है और पुलिस थाने ले जाती है.साथ ही गाय को बेचा नही जा सकता है और इसके अलावा गाय के खरीदार भी नही है. इसलिए इससे दूर रहना ही बेहतर है.

मुसलमानो ने लगभग गाय पालनी बंद कर दी है. पिछले 30 सालो से जानवरों का (व्यापार) करने वाले अख़लाक़ कुरेशी कहते हैं”गाय के कारोबार में 80फीसद कमी आई है

अख़लाक़ कुरेशी इनका कारोबार ठप हो चुका है.

अब हिन्दू भाई भी गाय खरीदने में रुचि नही रखते हां वो बेचना तो चाहते है”. सिकंदरपुर के नवाब अली बताते हैं कि उनके गांव के जुल्फकार 100 गाय पालते थे अब उनके पास सिर्फ 6 भैंस है. सम्भलहेड़ा के उस्मान अंसारी पिछले साल बुढ़ाना के जानवरों के बाजार से गाय लेकर आ रहे थे जहां पुलिस ने उनकर जमकर उत्पीड़न किया जिसके बाद उन्होंने गाय पालने से तौबा कर ली है.

सिर्फ मुसलमान ही नहीं मगर सम्भलहेड़ा,कुतुबपुर और मेहलकी जैसे मिश्रित आबादी वाले गांवो में हिन्दू समाज भी गाय पालने से हिचक रहा है. सम्भलहेड़ा के सुरेश सैनी(50)कहते है दूध देना बंद कर देने के बाद गाय की कीमत 2 हजार रुपए भी नही रह गई है’कसाई’तो उसे हाथ लगाने से भी डर रहा है. बछडे की स्थिति और भी दयनीय है लोग खुलेआम उन्हें सड़को पर छोड़ रहे है”.

गोरक्षा दल गायो की इस हालत को सुधारने के लिए लिए सामने नही आ रहे हैं. वो बस मारपीट में रुचि लेते है.खास बात यह है कि पिछले कुछ समय से पुलिस ने गोवंश की कोई तस्करी नही पकड़ी है.

इस सबके बीच सड़को के किनारे और खेतों में आवारा घूम रहे गोवंश की संख्या में बढ़ोतरी हो गई है.मुजफ्फरनगर के हिन्दू युवा वाहिनी के जिला मंत्री दीपक कृष्णत्रेय (25) पिछले कुछ समय से गोवंश को ‘रेस्क्यू’करने का काम कर रहे है उनकी मान ले तो वो 6 महीनों में 20 से ज्यादा गोवंश को सुरक्षित गौशाला में पहुंचा चुके है. दीपक कहते है, “इनमे ज्यादातर बछड़े है जिन्हें लेने में गौशाला वाले भी आनाकानी करते है अक्सर ये सड़को पर घूमते रहते है और सड़क दुर्घटना भी हो जाती है दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से हिन्दू समाज भी गोवंश के रखरखाव के गंभीर नही है”.

पिछले कुछ माह से अलग अलग इलाको में नई गोशालाओं का लगातार उद्घटान हो रहा है सरकार इनपर अनुदान दे रही है. आरटीआई कार्यकर्ता विनोद कुमार के अनुसार ये गोशालाए नही है गड़बड़शाला है.यहां गोवंश की नही अपनी दशा सुधारने पर मेहनत हो रही है. वो बताते है कि रामराज की चुहापुर स्थिति गौशाला को करोड़ो की मदद मिलती है 7700 बीघा जमीन यहाँ घेर ली गई हैं हजारो गाय यहां बताई जाती है मगर वहां पहुंचकर 3 गाय दिखाई देती है.एक बात यह भी है कि गौशाला में वही जा सकता है जिसे ‘भीतर’से सिग्नल मिले.

हस्तिनापुर के बड़े किसान कुँवर देवेंद्र सिंह कहते है “इससे यह पता चलता है चिंता गाय की दिशा और दशा को लेकर नही है बल्कि गाय के नाम पर हो रही राजनीति की है अगर हिन्दू समाज को लगता है कि गाय की सेवा होनी चाहिए तो उसे खुद गाय पालनी चाहिए गोशालाओं में गाय को छोड़ना ऐसा है जैसे वृद्धाश्रम में मां बाप को छोड़ आना.”

6 महीने पहले मेरठ के शास्त्रीनगर इलाके में एक अलग मामला सामने आया था यहां के एक पार्षद अब्दुल गफ्फार अपनी गाय लेकर नोचाँदी थाने पर पहुंच गए उन्होंने कहा था कि गाय बहुत ख़तरनाक जानवर है वो इसे नही पाल सकते उन्होंने बाकायदा इसकी लिखकर शिकायत की और गाय को थाने में छोड़कर आ गए.

सिकंदरपुर में नवाब अली(54) हमें कहते है कि अगर गाय के नाम होने वाली पिलखुवा जैसी वारदाते न रुकी तो लाखों गाय मुसलमान थानों और सरकारी दफ्तरों में छोड़ आएगा.गाय एक अच्छा जानवर है और उसका दूध अच्छा होता है और वो बहुत भली भी होती है मगर अब शेर से डर नही लगता गाय से लगता है।

सम्भलहेड़ा के अब्दुल वहीद के लिए गाय उनके परिवार का हिस्सा है.

सम्भलहेड़ा के हाजी अब्दुल वहीद(65)अपनी गाय से खासा लगाव रखते है कई नौकर होने के बावूजद वो खुद उसकी देखभाल करते है वो कहते है “गाय उनके परिवार के सदस्य की तरह है और मुझे उससे मोहब्बत है सियासत उसे गाय को मुसलमानो के लिए दुश्मन बनाने पर तुली है जबकि सच यह है इंसानों की तरह जानवरो का भी एक खुदा होता है”.

शन्नो(41) मवाना में रहती है, वो बताती है कि”उनकी गाय दूध देना बंद कर चुकी है वो उसे अपने घर से कई बार बाहर छोड़ आती है मगर हर बार वो वापस आ जाती है,अब वो गाय का खर्च नही उठा सकती.वो गौशाला भी गयी थी जहां उससे 5 हजार रुपए की चन्दा पर्ची कटवाने के लिए कहा गया”. शन्नो बताती है उसके शौहर गाय को चराने ले जाने से डरते है क्योंकि इसमें खतरा बहुत है उन्होंने पड़ोस के कुछ हिन्दू समाज के लोगो से भी आग्रह किया मगर उन्होंने हामी नही भरी” गाय बेसहारा हो गई है”.

इस सबके गाय व्यापार बुरी तरह से प्रभावित हुआ है उत्तर प्रदेश में में लगने वाले सबसे बड़े गायों के बाजार जुबेरगंज में अब मुश्किल से 100 गाय ही बिक पाती है यहां के सलीम कुरेशी बताते है कि एक साल पहले तक यह संख्या 2 हजार से ज्यादा थी,अब यहां 5 फीसद कारोबार ही रह गया है.सीधे तौर पर इससे किसान,मजदूर और दूधिया प्रभावित हो रहे है.जाहिर है इससे दूध घी का व्यापार करने वाली कंपनियां गहरे लाभ में है इनमे मिलावटी दूध बेचने के लगातार आरोप लगते रहे है.

पूरे प्रदेश में ऐसे लगभग 200 बड़े बाज़ार है इन्हें पीठ कहा जाता है.पशुओं के बड़े व्यापारी अख़लाक़ कुरेशी के अनुसार एक दिन में हजारों ‘डंगर’की खरीद फरोख्त होती थी जिसमे अधिकतर कुरेशी समाज के लोग जुड़े थे अब यह कारोबार लगभग खत्म हो गया है और लाखों लोग बेरोजगार हो गए हैं.

इसके अलावा सेकडो छोटी पीठ भी लगती है जैसे बुढ़ाना के दभेड़ी गांव में प्रत्येक बुधवार को लगभग 200 गाय बिक जाती थी अब यह संख्या 15/20 पर आ गई है.

अख़लाक़ बताते है कि गाय भैंस से सस्ती होती है कुछ गरीब लोग भी इसे खरीद लेते थे और इसका दूध बेचकर अपना पेट पालते थे मगर अब वो भी ऐसा करने की हिम्मत नही करते।

इसके अलावा हरियाणा, राजस्थान पंजाब में भी गायों के व्यापार बुरी तरह प्रभावित हुआ है.इसके पीछे पुलिस के नजरिए को किसान और व्यापारी दोषी ठहराते है सलारपुर के मोहम्मद अली(34)कहते है कि “पिछले दिनों उनके गांव के एक आदमी पीठ में से एक दुधारू गाय समस्त औपचारिता पूरी कर लेकर आ रहा था रास्ते मे पुलिस के किसी सिपाही ने उससे 100 रुपए मांग लिए इसके बाद उनमे बहस हो गई तो पुलिस ने दुधारू गाय तो अपने पास रख ली और उस आदमी पर बछड़ा लगाकर जेल भेज दिया”.

अख़लाक़ कहते है इसी तरह की घटनाओं की वजह से यह कारोबार लगभग खत्म हो गया है।

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