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बाराबंकी : उत्तर प्रदेश के बाराबंकी गांव में कई मुस्लिमों के घरों में ताला लगा हुआ है, जो घर खुले हैं उनमें केवल औरतें और बुज़ुर्ग ही रह गए हैं। दरअसल बाराबंकी के मोहम्मदपुर गांव से हो रहे पलायन की सच्चााई वृक्षारोपण के लिए आरक्षित ज़मीन पर चौकी प्रभारी गजेंद्र प्रताप सिंह द्वारा अवैध रूप से मंदिर निर्माण कराए जाने से यह तनाव पैदा और साम्प्रदायिक तत्वों का होना है।
स्थानीय लोगों से रिहाई मंच द्वारा बातचीत में बताया कि हाईवे पर पुलिस चौकी के पास स्थित वृृक्षारोपण के लिए आरक्षित भूमि पर चैकी इंचार्ज गजेंद्र सिंह अवैध रूप से मंदिर निर्माण करवा रहे थे। जब गांव के लोगों ने इसका विरोध किया काम रुकवाने के लिए कहा तो आसपास की आबादियों से साम्प्रदायिक तत्वों को अवैध मंदिर निर्माण के पक्ष में इकट्ठा किया। भीड़ ने वहां मुस्लिमों को निशाना बनाते हुए आपत्तिजनक और भड़काऊ नारे लगाए, गालियां दीं और पुलिस चौकी के ठीक सामने हाइवे के दूसरी ओर स्थित मस्जिद पर पुलिस संरक्षण में पथराव किया।
इस मामले में चैकी प्रभारी ने मुस्लिम समुदाय के 13 लोगों को नामजद करते हुए 50 अज्ञात के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत किया वहीं दूसरे पक्ष के लोगों पर 151 के तहत कार्रवाई की।
इस मामले में पूर्व आईजी वजीह अहमद ने बताया कि पहली नज़र में मामला हाईवे के किनारे स्थित करोड़ों की भूमि पर कब्ज़ा करने का लगता है। कानून चौकी प्रभारी को मंदिर निर्माण की अनुमति नहीं देता है। पुलिस ने अपनी गैरकानूनी हरकत पर परदा डालने के लिए ही फर्जी मुकदमे गढ़े हैं।
वही मंदिर निर्माण मामले को लेकर गांव के हिंदू और मुसलमानों में किसी तरह का तनाव नहीं है। पुलिस ने गांव के मुस्लिमों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया और मुस्लिम आबादी में भय का माहौल उत्पन्न करने के लिए रात में छापेमारी शुरू कर दी। इसी के चलते गांव के अधितकतर मुस्लिम परिवार घरों में ताला लगाकर पलायन कर गए।
किसी अनहोनी के भय से गांव में परचून तक की दुकानें बंद हो गईं। दिहाड़ी मज़दूरों के पास अपनी आजीविका कमाने के लिए काम नहीं है। दीपावली के बाद शादियों का सीज़न होता है। गांव में कई घरों में शादी की तारीखें पक्की हो चुकी हैं और परिजन चिंतित हैं।
रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि जिस भूखंड पर मंदिर निर्माण का प्रयास किया गया है वह राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है और खतौनी में वृक्षारोपण के लिए दर्ज है। कानून के मुताबिक़ वृक्षारोपण की भूमि पर कोई निर्माण नहीं किया जा सकता।