आस मुहम्मद कैफ, TwoCircles.net
उम्र मुलायम सिंह यादव पर अपना असर कर रही है.
लखनऊ के रास्ता मैनपुरी को होकर जाता है.यह बात राजनीतिक भी है और भौगोलिक भी.2014 में मुलायम सिंह यादव मैनपुरी से सांसद चुने गए थे.वो आजमगढ़ से भी जीत गए.बाद में उपचुनाव में उनके पोते तेज़ प्रताप यादव यहां से सांसद बन गए.इस बार भी समाजवादी पार्टी ने दूधवालों के इस गढ़ में ‘चायवाले’को प्रधानमंत्री बनने की शुभकामनाएं देने वाले मुलायम सिंह यादव को प्रत्याशी बनाया है.79 साल के मुलायम सिंह यादव समाजवादी पार्टी के संरक्षक है.
उत्तर प्रदेश में 24 साल बाद दो सबसे बड़ी क्षेत्रीय पार्टी सपा बसपा एक हुई है.24 साल में दो बड़े कुम्भ आयोजित हो गए.सूबे में कई बड़े राजनीतिक बदलाव हुए.24 साल पहले जब यह दोनों दल गेस्ट हाउस कांड के कारण अलग हुए थे तो दिलों में फर्क आ गया था आज मेल धूल गया दिखाई दिया.।
जैसे मुलायम सिंह यादव को कुर्सी पर बैठते समय मायावती ने भी अखिलेश यादव की तरह सहारा देकर बैठाने में मदद की.वो मुलायम सिंह के सम्मान में खड़ी हो गई.मुलायम सिंह ने उन्हें हाथ जोड़कर नमस्ते की.
इसी महीने 7 अप्रैल को सपा बसपा ने सहारनपुर में पहली संयुक्त रैली की थी.जिसमे मायावती और अखिलेश यादव के साथ रालोद के सुप्रीमो और मुलायम सिंह यादव के करीबी दोस्त अजित सिंह ने शिरकत की थी.यहाँ मायावती ने अजित सिंह को अच्छा सम्मान दिया था.जाट इससे गदगद थे.
मगर मुलायम सिंह यादव के साथ मंच साझा करने की बात इससे अलग थी उनका एक तकलीफ़देह अतीत था जिसे लखनऊ गेस्ट हाउस कांड के रूप में जाना जाता है.उसकी तल्खी बढ़ाने की भाजपा नेताओं की और से लगातार कोशिश हो रही थी.इसलिए समझा जा रहा था कि दोनों एक दूसरे को सामने पाकर असहज हों सकते है.
बसपा सुप्रीमो की पहल ने ऐसा होने नही दिया.वो मुलायम सिंह के सम्मान में खड़ी हो गई और मुलायम सिंह ने उनका आगे हाथ जोड़कर अभिवादन किया.इसके बाद मायावती ने सहारा देकर मुलायम सिंह को बैठाया जिसमे अखिलेश ने उनका साथ दिया.मायावती पहले किनारे वाली कुर्सी पर बैठी थी जबकि अखिलेश ने उनसे बीच वाली कुर्सी पर बैठने का अनुरोध किया.दोनों नेताओं ने एकदूसरे को सम्मान देने में कोई कसर नही छोड़ी.
मैनपुरी की रैली में बसपा का दबदबा रहा.मंच पर लगे होर्डिंग नीले रंग के थे.रैली में बसपा के महापुरुषों की तस्वीरें लगी थी.मंच पर लगे पोडियम का रंग भी नीला रहा.आसपास भी बसपा के झंडे ज्यादा लहराये जा रहे थे.
बसपा के कार्यकर्ताओं में उत्साह भी ज्यादा था.रैली का आयोजक भी बसपा के जिलाध्यक्ष को बनाया गया था.
उत्तर प्रदेश के पहले दो चरणों के हुए मतदान में दलित और मुस्लिमो और जाटो का वर्चस्व था.तो तीसरा चरण गठबंधन के लिए यादवों की एकजुटता पर निर्भर करता है.इस बात को अखिलेश यादव ने बखूबी समझा और ‘दूधवाले’ सन्देश को भी दे दिया.तीसरे चरण में 10 सीटों पर चुनाव है.इसमें चार जिलों में शिवपाल सिंह यादव का भी असर है.मुलायम सिंह यादव के गठबंधन के मंच पर पहुंचने से इन सीटों का यादवों का बंटवारा थम जाएगा.
मैनपुरी के क्रिश्चियन ग्राऊंड में आयोजित की गई इस गठबंधन रैली में मायावती सबसे पहले पहुंची और उसके बाद मुलायम सिंह यादव अपने पुत्र अखिलेश यादव के साथ पहुंचे.मुलायम सिंह ठीक तरह बोल नही पा रहे तो उनकी बात को अखिलेश यादव ने मंच आकर बताया.