फ़हमीना हुसैन, TwoCircles.net
लोकसभा चुनाव 2019 में 29 राज्यों की 282 सीटों पर युवाएं निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं. इस बार के लोकसभा चुनाव में 1.5 करोड़ युवा वोटर शामिल हो रहे हैं. समय चक्र के साथ कई ऐसे युवा है जो वोट तो देना चाहते हैं लेकिन उनका समाधान कहाँ है और किनके पास है इस सवाल को लेकर ही वोट करना चाहते हैं.
पुलवामा हमले को लेकर हुई राजनीति बयानबाजी पर बिहार के 23 वर्षीय धनंजय कुशवाहा का कहना है कि “जब कोई जवान देश के लिए मरता है तो नेता बयानबाजी पर उतर आते है इस तरह की बयानबाजी से क्या होगा, देश के जवान शहीद हुए, दूसरे देश से आतंकी हमला हुआ…, इन पर राजनीती कर के वोट नहीं लिया जा सकता. इस बार कोई युवा बेवकूफ नहीं बनाने वाला सही मुद्दों पर ही वोट करेंगे. वरना NOTA दबायगें।”
वही बेरोज़गारी जैसे मुद्दें को लेकर 21 वर्षीय अनिल कुमार ने कहा कि बेरोज़गारी आज सबसे बड़ा मुद्दा है, अच्छा पढ़ने-लिखने के बाद भी बेरोज़गार हैं, पिछली बार भी सरकार ने रोजगार देने का वादा किया था क्या हुआ उसका, अब दुबारा से वही सब…
अनिल आगे कहते है, “हर संस्था में काम करने या ना करने का रिवार्ड मिलता है, ये चुनाव भी ठीक वैसा ही होने वाला है इस बार जनता और युवा मिलकर सरकार का चुनाव करने वाली है कि उनको वापस सत्ता में मौका देना है या नहीं।”
20 वर्षीय शशि कुमार राजनितिक विज्ञान से स्नातक की पढाई करने के बाद सरकारी नौकरी के लिए पिछले तीन साल से प्रयास कर रहे हैं, बिहार के कारकाट क्षेत्र के रहने वाले शशि भाजपा से काफी नाराज़ है, उन्होंने बताया कि, “तीन साल से नौकरी का प्रयास कर रहे हैं लेकिन कोई वैकेंसी नहीं, परीक्षा देने के बाद भी कुछ न कुछ सरकारी व्यवस्था की समस्या ही रह रही है.”
शशि कहते हैं, “थक हार कर पिछले एक साल से ऑटो चला रहे हैं, अब तो उन्हें ही वोट करेंगे जो सरकार काम करेंगी।”
लोकतंत्र में वोट वो ताकत है जो देश को नये सिरे से गढ़ने का काम करता है हर वोट की अपनी अहमियत है. ऐसे में लोकसभा चुनाव के चौथा चरण 29 अप्रैल को होना है. बिहार में कम प्रतिशत वोट पड़ने को लेकर जहाँ चुनाव आयोग की चिंता बढ़ी है वहीँ राजनीतिक पार्टियों की भी नींदे कम होती नज़र आ रही है.