अपनी कामयाबी का श्रेय ‘एएमयू ‘ को देती है मेरठ की जज बनी मेहनाज़

आस मोहम्मद कैफ, TwoCircles.net

मेरठ-

उत्तर प्रदेश पीसीएस(जे) के रिजल्ट आने के बाद से मुस्लिम लड़कियों में खासा उत्साह है.जिन 18 मुस्लिम लड़कियों का न्यायिक सेवा के लिए चयन हुआ है.इनमें अधिकतर ग्रामीण पृष्ठभूमि से आती है.


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मेरठ के परतापुर बाईपास के नजदीक पलेहेड़ा गाँव की बेटी मेहनाज़ भी नाम रोशन करने वाली इन बेटियों में से एक है.

मेहनाज़ बताती है कि उसकी कामयाबी में जहां एक और उसके अब्बू की मेहनत और अम्मी की दुआएं है तो अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ने सबसे बड़ा किरदार अदा किया है.मेहनाज़ बताती है कि बारहवीं तक की उसकी पढ़ाई मेरठ में हुई.आठवीं तक वो यूपी बोर्ड से पढ़ी है.जबकि बारहवीं उसने सीबीएसई बोर्ड से की.

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पढ़ाई के दिनों वो एक औसत स्टूडेंट थी.कैरियर जैसी कोई बात दिल मे नही थी.बस पढ़ रही थी. दिल मे एक ख्वाहिश थी कि एएमयू में दाखिला में मिल जाएं.वहां जाकर मेरी जिंदगी ही बदल गई.एकदम अलग दुनिया की तरह.मैंने वहां बीएएलएलबी में दाखिला लिया.एलएलएम किया.वहीँ रेजिडेंशियल तैयारी की.मैं यकीनन आज जो कुछ भी हूँ वो एएमयू की तरबियत की देन हूँ.वहां मेरे आत्मविश्वास में इजाफा हुआ और मुझे बेहद अच्छे साथी मिले. जिनके साथ मिलकर हमनें तैयारी की.यही वजह है कि एएमयू से इसबार 33 स्टूडेंट पीसीएस जे के लिए चुने गए हैं.

मेहनाज़ की शादी हो चुकी है और और उनके शौहर बुलंद दुबई में रहते हैं.उनकी ससुराल शामली जनपद के चुनावी रंजिश के लिए चर्चित गांव बँटीखेड़ा में है.उनके ससुर मेहरबान गांव के प्रधान रहे हैं.मेहनाज़ की अम्मी बानो कभी स्कूल नही गई और अब्बू बाबु सिर्फ आठवीं तक पढ़े लिखे हैं.इस सबके बावूजद उनके एक भाई आईआईटी से पासआउट इंजीनियर है.दूसरे डॉक्टर है जबकि एक बहन माइक्रोबायलॉजी में पीएचडी कर रही हैं.

गांव के एक आदमी के लिए यह कामयाबी अच्छी है.इसके सूत्रधार मेहनाज़ के अब्बू बताते हैं कि “मैं मोदीनगर की एक फैक्टरी में ठेकेदारी करता था अल्लाह का शुक्र है कि पैसे की तंगी नही थी.वहां अफसरों से अच्छे ताल्लुक बन गए उनके बच्चों को देखकर अपने बच्चों को अच्छी जगह पढ़ाने का ख्याल आया.शुरुआत में बच्चें यहीं पढ़े बाद में एएमयू पहुंच गए.वहां से इन्हें अच्छा गाइडेंस मिला”.

मेहनाज़ महत्वपूर्ण विषयों पर अपनी बात रखने से से नही हिचकती जब पीसीएस जे का रिजल्ट आया तो वो अपनी ससुराल बन्तिखेडा में थी.इत्तिफ़ाक़ से इस गांव का बहुत अधिक मतलब वास्ता थाना पुलिस कोर्ट कचहरी से पड़ता रहता है.सब जज होने का महत्व समझते हैं इसलिए घर पर सैकड़ो लोग बधाई देने पहुंचे.गांव की लड़कियां खासतौर पर मिलने आई.

मेहनाज़ कहती है “मुसलमानो की बेटियों में अब बहुत अधिक तरक़्क़ी देखने को मिल रही है पर्दा हमें आगे बढ़ने से नही रोकता,हम पर्दा में भी स्मार्ट बन सकते हैं”.

मेहनाज़ मानती है कि उन्हें हमेशा परिवार ने आगे बढ़ने के लिए हौसला दिया.मेरे अब्बू कम पढ़े जरूर थे मगर उनके पास एक सपना था. उन्होंने उसे सच कर दिखाया.मेरी शादी भी हो चुकी थी मगर मेरी ससुराल ने भी मुझे आगे पढ़ने से नही रोका और सपोर्ट किया.

फिर भी जहां तक मैं समझती हूं कि मगर मैं एएमयू न जाती तो शायद यह बहुत मुश्किल हो जाता.वहां के माहौल ने मेरे और मेरे अब्बू को ख्वाब को सच किया.

मेहनाज़ की अम्मी बानो बेटी की इस कामयाबी से खुश है और अब चाहती है कि उनकी दूसरी बेटी साहिबा कलक्टर बन जाएं.

मेहनाज़ भी अब यूपीएससी की परीक्षा देने का मन बना रही है।उनके कहना है कि “एक सफलता मिलने के बाद शांत बैठना उन्हें अच्छा नही लगेगा अब तो काम शुरू हुआ है.जब पीसीएस जे का रिज़ल्ट आया तो मेहनाज़ के गांव और ससुराल में बहुत ही कम लोग इसका मतलब जानते थे.गांव के लोग सिर्फ यह समझते हैं कि लड़की जज बन गई है. इसके बाद दोनों गांव में जश्न मनाया गया और बड़ी दावत की गई.

मेहनाज़ बताती है कि गांव की इतनी लड़कियां और औरतें उनसे मिलने आई जितनी तो उनके दुल्हन बनकर जाने पर भी नही आई थी.

बनतीखेड़ा के रियाज़ के मुताबिक दोनों गांव से इससे पहले कोई जज नही बना है. गांव के लोग जज को बहुत बड़ा मानता है. उन्हें लगता है यह शहरी लोग ही बन सकते हैं यह बहुत सुखद बदलाव है.अब गांव की लड़कियां मेहनाज़ से टिप्स ले रही है.

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